विचार / लेख
-ध्रुव गुप्त
सुनते आए थे कि लंबे साहचर्य के बाद बुजुर्गी के दिनों में पति और पत्नी के चेहरे तक एक-दूसरे से मिलने लगते हैं। एक खबर के मुताबिक अमेरिका के इलिनोइस विश्वविद्यालय के रोमांटिक रिलेशन शोधकर्ताओं की एक टीम दो वर्षों के शोध के बाद जिस निष्कर्ष पर पहुंची है उससे सदियों पुरानी इस धारणा को थोड़ा बल मिला है।
शोधकर्ताओं की इस टीम ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सहायता से 64 साल के ऊपर के दस विवाहित जोड़ों के अध्ययन के बाद पाया है कि लंबे साहचर्य के बाद पति और पत्नी के दिल समान गति से धडक़ने लगते हैं। जैसे दो दिल और एक धडक़न। दैहिक और भावनात्मक रिश्ते के अलावा धडक़नों का एक रिश्ता भी उनके बीच बन जाता है। इस शोध में लोगों का एक आम अनुभव भी जोड़ दिया जाय तो यह भी कहा जा सकता है कि जवानी भर की वैचारिक मतभिन्नता के बाद बुजुर्गी आते-आते पति और पत्नी के विचार भी कम से कम एक मामले में तो समान हो ही जाते हैं। आमतौर पर जवानी में एकनिष्ठता स्त्री का और चंचलता पुरुष का स्वभाव माना जाता है। बुढ़ापे के पदार्पण के साथ जब देह के पुर्जे ढीले होने लगें और दूसरों के साथ अपनी संतानों की भी दिलचस्पी उनमें कम होती चली जाय तो मजबूरी में ही सही पुरुषों में भी एकनिष्ठता के गुण आने लगते हैं। इसके बगैर कोई चारा भी तो नहीं होता। यही वजह है कि बुढ़ापे में जोड़ों के बीच बेहतर सामंजस्य और समझदारी देखने को मिलती है। लब्बोलुबाब यह कि सफल, सार्थक दाम्पत्य के लिए जवानी नहीं, बुढ़ापा ज्यादा मुफीद होता है।
फिलहाल ‘दो दिल, एक धडक़न’ वाले सभी बुजुर्ग जोड़ों को यह शोध मुबारक!