सामान्य ज्ञान
महिला दिवस जैसे दिनों में महिलाओं के अधिकारों पर खूब चर्चा की जाती है, लेकिन हैरानी की बात है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए भी एक दिन अलग से मनाया जाता है. दुख की बात होने के साथ ही यह एक बहुत बड़ी जरूरत बनी हुई है. इतना ही नहीं दुनिया में कई देशों में जहां पुरुषों के बराबर महिलाओं को बहुत से अधिकार मिले हुए हैं. महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस की प्रासंगिकता बनी हुई है. संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 25 नवंबर का दिन इसे मानने के लिए तय किया हुआ है.
कोविड-19 महामारी का असर
इस दिन को महिलाओं और पुरुषों भी महिलाओं के अधिकारों के लिए जागरूक किया जाता है. पिछले दो साल से कोविड-19 महामारी से जूझ रही दुनिया में लोगों ने कई तरह के मानसिक तनावों को झेला है ऐसे में महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा में इजाफा हैरानी की बात नहीं हैं.
क्या है इस बार की थीम
साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी थीम “ऑरेंज द वर्ल्ड: एंड वॉयलेंस अगेंस्ट वुमन नाउ” घोषित की है. इसमें अपील की गई है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा का अभी अंत किया जाए. संयुक्त राष्ट्र ने भी माना है कि कोविड महामारी के कारण महिलाओं और बच्चियों पर होने वाली हिंसा में, खास तौर पर घरेलू हिंसा में तेजी से इजाफा हुआ है जिसके लिए दुनिया तैयार नहीं थी.
तेजी से बढ़ी है ये हिंसा
13 देशों में हुए एक सर्वे के आधार पर आई संयुक्त राष्ट्र नई रिपोर्ट में पता चला है कि कोविड-19 ने घर और बाहर दोनों ही जगहों पक महिला सुरक्षा की भावनाओं का क्षरण किया है जिससे उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इसमें वैश्विक हिंसात्मक संघर्ष, मानवीय समस्याएं और बढ़ती जलवायु संबंधी आपदाएं भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा मे गहनता लाने का काम किया है.
घरेलू हिंसा महिलाओं के अधिकारों का बड़ा मुद्दा
महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत से कानून बनाए गए हैं. आज भी बहुत सारे देशों में उन्हें वो अधिकार नहीं मिले हैं जिससे कहा जाए कि वे एक स्वस्थ समाज में रह रही हैं. फिर भी घरेलू हिंसा एक अलग ही मुद्दा उभर कर सामने आया है. जिससे यह समस्या सामाजिक होने के साथ साथ पारिवारिक मूल्यों, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध रखती है.
पाई जा सकती है निजात
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि इस समस्या से निजात पाना असंभव हो ऐसा बिलकुल नहीं है. ऐसे प्रमाण स्पष्ट रूप से पाए गए हैं कि महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकना संभव है. इसके लिए व्यापक तौर पर काम करना होगा जिससे ऐसी समस्याओं के मूल कारण से निपटने, हानिकारक रीति रिवाज में बदलाव करने और बची महिलाओं को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में मदद मिल सके.
ऐतिहासिक तौर पर 25 नवंबर की तारीख का संबंध 1960 के साल से है जब इसी दिन तीन मीराबेल सिस्टर्स की डोमिनीक रिपब्लिक में हत्या कर दी गई है. इन राजनैतिक कार्यकर्ताओं की हत्या के आदे डोमोनिक तानाशाह राफेल त्रूजिलो ने दिए थे. 1981 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियन महिला मीटिंग में कार्यकर्ताओं ने 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रति जागरूकता फैलाने और उससे लड़ने के लिए दिन पर मानने का फैसला किया जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव द्वारा स्वीकार किया गया.
हर साल यह खास दिवस 16 दिन की विशेष सक्रियता की शुरुआत के तौर पर देखा जाता है जो 10 दिसंबर को विश्व मानव अधिकार दिवस तक चलता है. इन 16 दिनों में संयुक्त राष्ट्र की इस साल की थीम यूनाइट टू एंड द वॉयलेंस अगेंस्ट वुमिन अभियान चलाया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि हिंसा झेलने वाली केवल 40 प्रतिशत से कम महिलाएं और बच्चियां ही किसी तरह की मदद की मांग करती हैं. इस लिहाज से यह दिन और भी प्रसांगिक हो जाता है.