सामान्य ज्ञान
गिर ,पश्चिमी गुजरात की निम्न पर्वतश्रेणी है। यह दक्षिणी काठियावाड़ प्रायद्वीप यानी पश्चिमी-मध्य भारत का हिस्सा है। यह श्रेणी अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ है और दक्षिण में समुद्र की ओर तीखी ढलान तथा उत्तर में भीतरी भूमि की ओर अपेक्षाकृत कम निचली है। यहां से उत्तर दिशा में निचली, संकरी, विभक्त पर्वतश्रेणी फैली हुई है, विशाल गिरनार पहाडिय़ों में गोरखनाथ शिखर (1,117 मीटर) स्थित है, जिसे एक मृत ज्वालामुखी माना जाता है। गिर पर्वतश्रेणी की एक पहाड़ी पर गिरनार का प्राचीन जैन मंदिर (ऐतिहासिक नाम रौवट या उलाड़थेट) होने के कारण इस पर्वतश्रेणी को पवित्र माना जाता है। यह मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह पर्वतश्रेणी साल और ढाक के वृक्षां से भरे जंगलों से ढकी हुई है। गिरनार की पहाडिय़ों से पश्चिम और पूर्व दिशा में भादस, रोहजा, शतरूंजी और घेलो नदियां बहती हैं।
गिर पहाडिय़ों पर मुख्यत: भील और डुबला लोगों का निवास है। विरल आबादी वाले इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में जीविका के लिए की जाने वाली कृषि की प्रधानता है। यहां की फसलों में अनाज, मूंगफली और कपास शामिल हैं। बड़े पैमाने पर कुछ उद्योग हैं, जिनमें वस्त्र तथा लोहे व इस्पात के फर्नीचर का निर्माण होता है। कुटीर उद्योगों में बढ़ईगिरी, लकड़ी पर नक्काशी, पीतल के बर्तनों पर वार्निश का काम, कढ़ाई और ऊन की बुनाई शामिल है। एशियाई सिंहों के लिए विख्यात गिर वन राष्टï्रीय उद्यान इसी क्षेत्र में स्थित है। खंबलिया, धारी विसावदर, मेंदरदा ओर आदित्याणा यहां के प्रमुख नगर हैं।