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सूख गया है अराल सागर
27-Nov-2021 11:59 AM
सूख गया है अराल सागर

विश्व की चौथी सबसे बड़ी झील ‘अराल सागर’ सुख गया है।  नासा की पृथ्वी वेधशाला ने यह रिपोर्ट भेजी है।

कजाकिस्तान और उजबेकिस्तान के बीच करीब 55 लाख साल पहले कीजीलकुम मरुस्थल में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अराल सागर पूरी तरह सूख चुका है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के टेरा उपग्रह के द्वारा भेजी गई तस्वीरों से पता चला है कि अराल सागर सूख गया है।

सन् 1900 के शुरुआती दशक में यह दुनिया का चौथा बड़ा सागर हुआ करता था, लेकिन आज इस सागर में पानी का नामोनिशान तक नहीं है। 1960 के दशक में सोवियत संघ ने अमु दरिया नदी को कैस्पियन सागर की ओर मोड़ दिया था जिसके कारण अराल सागर सूख गया। 600 साल में अराल सागर पूरी तरह सूख गया इसका एक कारण पहाड़ों पर जमने वाली बर्फ का कम होना भी माना जा रहा है क्योंकि इस बर्फ के पिघलने से अराल सागर में पानी भरता था। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि 2020 तक अराल सागर पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

अरल सागर अथवा  अराल सागर  मध्य एशिया में स्थित एक झील है। इसके बड़े आकार के कारण इसे सागर कहा जाता है। स्थानीय भाषाओं में  अरल  का शाब्दिक अर्थ है-  द्वीपों की झील। यह झील एक समय पर दिखने वाले लगभग 1500 टापुओं के आधार पर नामांकित थी। आँधी-तूफ़ानों की बहुलता तथा सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण इस सागर में यातायात सुगम नहीं है।

 1960 ई. में सोवियत प्रशासन ने अरल सागर में आकर मिलने वाली दो नदियों-  आमू और  साइर को मरुभूमि की सिंचाई के लिए विभाजित करने का निर्णय लिया। इसके बाद से यह सागर तीन अलग-अलग भागों में विभाजित हो गया, जिसके परिणामस्वरूप आगे के 40 वर्षों में अरल सागर का 90 प्रतिशत जल समाप्त हो गया। इसका एक परिणाम यह भी हुआ कि अरल सागर की 74 प्रतिशत से अधिक सतह सिकुड़ गई और इसका आकार 1960 ई. के आकार का केवल 10 प्रतिशत ही शेष रह गया। 

एक समय अरल सागर का क्षेत्रफल लगभग 68 हजार वर्ग कि.मी. था। इसके बाद 2007 तक यह अपने मूल आकार के 10 प्रतिशत पर आ गया। इसके जल की लवणता में वृद्धि हो गई है, जिस कारण से इसमें मछलियों का जीवन संकट में पड़ गया है। 1960 ई. के बाद के दशकों में सूखे के कारण और पानी मोडऩे के लिए बनाई गई नहरों की कुव्यवस्था के कारण अरल सागर की तटरेखा में भी बहुत कमी देखी गई। इसके जल में जहां बड़ी नौकाएं चलती थीं, वहीं अब रेगिस्तान नजऱ आता है। किन्तु इस सबके बाद भी उज़बेकिस्तान दुनिया के प्रमुख कपास निर्यातकों में शामिल है।

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