सामान्य ज्ञान
सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 8वें वर्ष 261 ई. पू. में कलिंग पर आक्रमण किया था । आंतरिक अशांति से निपटने के बाद 269 ई. पू. में उसका विधिवत अभिषेक हुआ । तेरहवें शिलालेख के अनुसार कलिंग युद्ध में एक लाख 50 हजार व्यक्ति बंदी बनाकर निर्वासित कर दिए गये, एक लाख लोगों की हत्या कर दी गई। सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपनी आंखों से देखा । इससे द्रवित होकर अशोक ने शांति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार किया ।
कलिंग युद्ध ने अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया । उसका हृदय मानवता के प्रति दया और करुणा से उद्वेलित हो गया । उसने युद्ध क्रियाओं को सदा के लिए बंद कर देने की प्रतिज्ञा की । यहां से आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ । उसने बौद्ध धर्म को अपना धर्म स्वीकार किया ।
सिंहली अनुश्रुतियों दीपवंश एवं महावंश के अनुसार अशोक को अपने शासन के चौदहवें वर्ष में निगोथ नामक भिक्षु द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा दी गई थी । उसके बाद मोगाली पुत्र निस्स के प्रभाव से वह पूर्णत: बौद्ध हो गया था । दिव्यादान के अनुसार अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने का श्रेय उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षुक को जाता है । अपने शासनकाल के दसवें वर्ष में सर्वप्रथम बोधगया की यात्रा की थी । उसके बाद अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष में लुम्बिनी की यात्रा की थी तथा लुम्बिनी ग्राम को करमुक्त घोषित कर दिया था ।