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गुलाम अली महफिलों में सुनाते रहे हैं ये मशहूर गजलें, सुनें उनकी नज्में
05-Dec-2021 10:09 AM
गुलाम अली महफिलों में सुनाते रहे हैं ये मशहूर गजलें, सुनें उनकी नज्में

गुलाम अली की गजलों और उनकी गायकी के करोड़ों लोग दीवाने हैं. उन्होंने अपनी मुधर आवाज और शख्सियत से हर पीढ़ी के लोगों पर असर डाला है. गुलाम अली की गायकी और गजलों में ऐसी रूहानियत है, जो सीधा सुनने वाले के दिल पर घर कर जाती है. आज इस मशहूर गायक का जन्मदिन है. आइए, इस मौके पर उनकी कुछ शानदार गजलों को सुना जाए.

गुलाम अली को दुनिया भर में लोग गजल गायक के तौर पर पहचानते हैं. वे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में जानकार हैं और पटियाला घराने से ताल्लुक रखते हैं. उनके चाहनेवालों के लिए आज का दिन बेहद खास है. दरअसल, आज 5 दिसंबर को गुलाम अली का बर्थडे है. आइए, गुलाम अली के जन्मदिन पर उनकी कुछ मशहूर गजलों के बारे में जानें और उनको सुनें.

बड़े गुलाम अली साहब से ली थी तालीम
गुलाम अली का जन्म आज ही के दिन पाकिस्तान में साल 1940 में हुआ था. उन्होंने संगीत की तालीम बड़े गुलाम अली साहब से ली थी. जिस तरह कुछ चंद कविताएं एक कवि को अमर कर देती हैं, उसी तरह कुछ गजलें ऐसी होती हैं जो अपने गायक को लोगों के दिलों में जिंदा रखती हैं. महफिलों में अक्सर लोग गुलाम अली से उनकी बेहद मशहूर गजल ‘हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह’ गाने की फरमाइश करते हैं. आइए, सुनें उनकी कुछ सदाबहार गजलें-

1. हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह…

2. हंगामा है क्यूं बरपा…

3. चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला…

4. चुपके चुपके रात दिन…

5. हमको किसके गम ने मारा…

गुलाम अली को पाकिस्तान और हिन्दुस्तान में बराबर रूप से प्यार मिला है. उन्होंने पहली दफा पाकिस्तानी रेडियो के लिए गाया था. वे वक्त के साथ मशहूर होते गए और पूरी दुनिया में छा गए. वे हसरत मोहानी, अकबर इलाहाबादी जैसे बड़े फनकारों की गजलों के साथ-साथ खुद की लिखी गजलें भी गाते रहे हैं.

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