संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : विधानसभा में रेप पर हुआ ऐसा सर्वदलीय हँसी-ठट्ठा
17-Dec-2021 4:50 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : विधानसभा में रेप पर हुआ ऐसा सर्वदलीय हँसी-ठट्ठा

जब कभी ऐसा लगने लगे कि कोई नेता या कोई पार्टी अपने सबसे घटिया बयान दे चुके हैं तो उसी वक्त वह कुछ और नया लेकर आते हैं जो गंदगी का एक नया रिकॉर्ड कायम करने के लिए काफी रहता है। कर्नाटक में कांग्रेस के एक बड़े नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार ने विधानसभा के भीतर अध्यक्षों से बातचीत करते हुए यह बयान दिया कि एक बात कही जाती है कि जब बलात्कार होना एकदम तय हो, तो लेट जाओ और इसका मजा लो। इस बयान के बाद रमेश कुमार खुद हँसते हुए दिखते हैं, दूसरे सदस्य भी हँसते हुए दिखते हैं, और तो और विधानसभा अध्यक्ष भी जोरों से हँसते हुए दिखते हैं जिनकी हँसी देर तक चलती है। सच तो यह है कि दूर बैठे हुए विधानसभा की कार्यवाही के इस हिस्से का कन्नड़ भाषा का जितना वीडियो देखा जा सकता है और सदन की कार्रवाई के इस हिस्से को जितना सुना जा सकता है उससे ऐसा लगता है कि आज के विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में चल रहे हंगामे से थककर सामने बैठे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को देखा और कहा आप जानते हैं रमेश कुमार, मुझे लगता है कि अब हमें सिर्फ इस स्थिति का आनंद लेना चाहिए मैंने फैसला लिया है कि अब न मैं उन्हें शांत कराने की कोशिश करूंगा और न ही स्थिति को व्यवस्थित करने की। विधानसभा अध्यक्ष की इस बात का एक पुराना संदर्भ दिखता है कि जब 2 साल पहले रमेश कुमार स्पीकर थे तब भी उन्होंने इसी किस्म का एक बयान बलात्कार को लेकर दिया था। और हो सकता है कि इस बार विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार से बात करते हुए उसी बात के बारे में बोल रहे हों। लेकिन जो भी हो, ऐसा न भी हो तो भी कम से कम यह तो देखा ही जा सकता है कि एक भूतपूर्व विधानसभा अध्यक्ष के रेप को लेकर महिलाओं के खिलाफ ऐसे भयानक हिंसक और अश्लील बयान पर सदन में और सदस्य भी हँसते हैं, और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष भी हँसते हैं, जबकि ऐसा घटिया बयान सदन की कार्यवाही से तुरंत ही निकाल दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। यह ताजा मामला यह याद दिलाता है कि किस तरह इसी कर्नाटक विधानसभा में बैठकर ब्लू फिल्म देखने का मामला सामने आया था।

जिस कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रही हों, जिसकी मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी हों, उस पार्टी का इतना बड़ा नेता, जो कि 2 बार विधानसभा अध्यक्ष था, वह इतनी गंदी और घटिया बात कहकर एक लुकाछिपी वाली माफी मांगकर बच निकल रहा है। कल के विधानसभा के अपने बयान के बारे में आज रमेश कुमार ने कहा -‘अगर मेरे बयान से महिलाओं की भावनाएं आहत हुई हैं तो मुझे माफी मांगने में कोई दिक्कत नहीं है’। दूसरी तरफ लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा है कि रमेश कुमार को ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन आप जब उन्होंने माफी मांग ली है तो इस मामले को और तूल नहीं देना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष जो कि जाहिर तौर पर भाजपा के हैं, उन्होंने कहा कि जब रमेश कुमार ने माफी मांग ली है तो इस मामले को और नहीं खींचना चाहिए। खैर यह दोनों हँसी-ठहाके में भागीदार रहे हैं तो दोनों की एक दूसरे के साथ हमदर्दी भी जायज है।

विधानसभा और संसद देश के यह दोनों ही निर्वाचित सदन अपने-आपको तरह-तरह के विशेष अधिकारों के घेरे में रखते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह कि सुप्रीम कोर्ट के जज अदालत की अवमानना के कानून को छोडऩा ही नहीं चाहते हैं, फिर चाहे वे जज की कुर्सी पर बैठकर किसी की भी अवमानना क्यों ना करते हों। ऐसे में देश के ताकतवर तबकों ने अपने-आपको विशेषाधिकार और अवमानना के कानूनों से घेर कर रखा हुआ है क्योंकि उन्हें यह बात अच्छी तरह मालूम है कि उनके बीच में जो गड़बडिय़ां चल रही हैं, जो खामियां हैं, उन्हें लेकर लोग उन पर हमले कर सकते हैं। और आम लोगों पर भले भीड़ के हमले ऐसे होते चलें कि उनमें किसी को चिथड़े उड़ाकर मार डाला जाए, लेकिन संसद और अदालत की तरफ कोई नजर उठाकर भी ना देख सके, इसलिए ऐसे कानून बनाए गए हैं। और यही वजह है कि गंदगी की बातें कहकर भी सांसद और विधायक बच जाते हैं क्योंकि इन सदनों के भीतर कही गई बातों को लेकर उनके खिलाफ कोई अदालती कार्यवाही नहीं की जा सकती, किसी अदालतों में कही गई जुबानी बात के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। तमाम देश के तमाम किस्म के कानून महज आम जनता के लिए हैं, जिसे कुचलना बहुत आसान है, जिसे कानून भी मार सकता है और जिसे गैरकानूनी हिंसक भीड़ भी घेरकर मार सकती है, और फिर अगर संसद या विधानसभा के भीतर बाहुबल हो तो ऐसी हत्यारी भीड़ को बचाने का काम भी हो सकता है।

हिंदुस्तान में इतने बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुए लोग भी महिलाओं से होने वाले बलात्कार को लेकर जिस तरह का हँसी-ठट्ठा करते हैं, वह देखना भी भयानक है। या उससे कहीं कम नहीं है जिन मामलों में बलात्कार की रिपोर्ट लिखाने गई महिला से थाने के पुलिस वाले भी बलात्कार करने में जुट जाते हैं। विधानसभा के भीतर जहां देश के कानून के लिए महिलाओं के लिए सबसे अधिक सम्मान की सोच रहनी चाहिए, वहां पर ऐसी घटिया और हिंसक सर्वदलीय सोच सामने आती है तो यह जाहिर है कि ऐसे नेता सदन के कैमरे और माइक्रोफोन से परे महिलाओं के बारे में कैसी सोच रखते होंगे। यह तो कांग्रेस पार्टी के आज दुर्दिन चल रहे हैं कि वह अपने नेताओं के खिलाफ किसी कार्रवाई करने की ताकत आज नहीं रखती है, वरना ऐसे विधायक को कांग्रेस पार्टी को तुरंत ही निलंबित करना चाहिए था।
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