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गणितज्ञ नीना गुप्ता को जानिए! जो रामानुजन अवॉर्ड जीतने वाली तीसरी महिला बनीं
23-Dec-2021 5:06 PM
गणितज्ञ नीना गुप्ता को जानिए! जो रामानुजन अवॉर्ड जीतने वाली तीसरी महिला बनीं

इस साल सबसे बड़ी उपलब्धि रही गणितज्ञ नीना गुप्ता का युवा गणितज्ञों को मिलने वाला रामानुजन पुरस्कार जीतना. नीना गुप्ता कोलकाता स्थित इंडियन स्टैस्टिकल इंस्टीट्यूट की फैकल्टी मेंबर हैं. गुप्ता चौथी भारतीय हैं, जिन्हें ये पुरस्कार प्राप्त हुआ है. वहीं वे तीसरी महिला गणितज्ञ हैं, जिन्हें पुरस्कार प्राप्त हुआ है. नीना गुप्ता को ये पुरस्कार जियोमेट्री और कम्युटेटिव अल्जेब्रा पर बेहतरीन कार्य के लिए मिला है. ये पुरस्कार जीतने वाली वह चौथी भारतीय हैं और उनसे पहले जिन चार लोगों ने यह पुरस्कार जीता है, उनमें से तीन इंडियन स्टैस्टिकल इंस्टीट्यूट के फैकल्टी मेंबर हैं.

रामानुजन पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवा वैज्ञानिकों को दिया जाता है, जिनकी उम्र 45 साल से कम की होती है, ये पुरस्कार गणित के क्षेत्र में नए शोध अथवा कार्य के लिए दिया जाता है. इस पुरस्कार की स्थापना 2004 में की गई थी, और पहले साल इस पुरस्कार को 2005 में ब्राजील की गणितज्ञ मार्सेलो वियना को दिया गया था.

नीना गुप्ता ने 2019 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी जीता था, जो साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दिया जाता है. ये पुरस्कार नीना गुप्ता को इसलिए मिला था, क्योंकि उन्होंने अल्जेब्रिक जियोमेट्री की एक बेसिक समस्या को सुलझाया था और जरिस्की कैंसिलेशन प्रॉब्लम को सोल्यूशन दिया था. इसके लिए उन्हें 2014 में इंडियन नेशनल साइंस अकेडमी का यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड दिया गया था. गुप्ता के सोल्यूशन को जियोमेट्री के हालिया इतिहास में किए गए सबसे बेहतरीन कार्यों में से एक माना गया था.

नीना गुप्ता को छोटी उम्र से ही गणित में बेहद दिलचस्पी थी और डनलप स्थित खालसा हाईस्कूल से स्कूलिंग करने के बाद उन्होंने कोलकाता स्थित बेथुन कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली. बाद में उन्होंने ISI से परास्नातक और डॉक्टोरल की डिग्री भी हासिल की. जल्द ही उन्होंने ISI में बतौर फैकल्टी सदस्य ज्वॉइन किया. गुप्ता से आईएसआई के ऋतंबरा मुंशी और अमलेंदु कृष्णा को भी रामानुजन अवॉर्ड मिल चुका है. मुंशी ने जहां आईएसआई से बैचलर इन स्टैटटिक्स और मास्टर्स इन स्टैटटिक्स किया, वहीं कृष्णा ने आईएसआई से मास्टर इन स्टैटटिक्स किया है.

भारतीय अमेरिकी मूल के गणितज्ञ निखिल श्रीवास्तव ने 1959 का एक पुराना सवाल इस साल हल कर दिया. इस सवाल को केडिसन सिंगर प्रॉब्लम कहा जाता है. 1959 से ही ये सवाल अनसुलझा था. निखिल श्रीवास्तव को जॉर्ज पोल्या प्राइज और साइप्रियन फोयास प्राइज मिल चुका है. निखिल श्रीवास्तव कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में टीचर हैं. बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2012 में ऐलान किया था कि 22 दिसंबर को गणित दिवस के रूप में मनाया जाएगा. 

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