संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : सोशल मीडिया की धुंध में, जिसके ऐसे-ऐसे यार उसको दुश्मन की क्या दरकार ?
30-Dec-2021 5:54 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : सोशल मीडिया की धुंध में, जिसके ऐसे-ऐसे यार उसको दुश्मन की क्या दरकार ?

सोशल मीडिया पर हिंदुस्तान के बहुत से लोग लगातार दूसरों को धमकियां देने का काम करते हैं, और तरह-तरह की गालियां देते हैं। बहुत से लोगों का यह मानना है कि वैचारिक आधार पर यह हमला जिस किस्म का दिखता है, उससे यह लगता है कि ये किसी एक संगठन से जुड़े हुए लोग हैं जो कि भुगतान पाकर रात-दिन अलग-अलग नाम से किसी पर हमला करते हैं, किसी को विचलित करने का काम करते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर कुछ लोग अपने नाम के साथ फ़ख्र से यह भी लिखते हैं कि उन्हें देश के कौन सबसे चर्चित और बड़े लोग फॉलो करते हैं। यह भी हो सकता है कि जब इतने बड़े लोग जो कि गिने-चुने लोगों को ही फॉलो करते हैं, वे जब ऐसे धमकीबाजों को और ऐसे नफरतजीवियों को फॉलो करते हैं, तो हो सकता है कि उन्होंने सोच-समझकर ही इन पर यह मेहरबानी की हो। यह बात हक्का-बक्का करती है लेकिन सोशल मीडिया पर किसने, किसे, किसलिए फॉलो किया है यह तो पता लगता नहीं है। इस बीच कुछ ऐसे लोग भी सोशल मीडिया पर देखते हैं जिन्होंने अपने प्रोफाइल पर किसी एक पार्टी का झंडा लगा रखा है, और उस पार्टी के नेता की तस्वीर भी लगा रखी है। इसके अलावा उनकी पोस्ट में एक चौथाई पोस्ट ऐसी भी रहती हैं जो कि उस पार्टी के प्रचार की रहती है और उस पार्टी की सकारात्मक बातों को भी वे आगे बढ़ाते रहते हैं। लेकिन कई ऐसे अकाउंट भी देखने में आ रहे हैं जो जाहिर तौर पर अपने को किसी एक पार्टी का तरफदार साबित करते हैं, और फिर साथ-साथ दूसरी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ गंदी गालियां लिखते हैं, धमकियां लिखते हैं, उनके खिलाफ नफरत की बातें लिखते हैं। तो इससे एक तस्वीर ऐसी बनती है कि एक पार्टी के लोग दूसरी पार्टी के लोगों के खिलाफ इस तरह की गंदी बातें लिख रहे हैं। जबकि ऐसे लोग किसी पार्टी के हैं या नहीं यह देखने की फुर्सत उस पार्टी को भी नहीं रहती। जबकि होना यह चाहिए कि अपने आपको किसी पार्टी का समर्थक बताने वाले लोग अगर उसके नेता और उसके झंडे की तस्वीरें इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उनकी पोस्ट की हुई चीजों को भी वह पार्टी देखे, और अगर उनमें अश्लीलता, हिंसा, या धमकी दिखे, तो तुरंत फेसबुक, ट्विटर, या इंस्टाग्राम में शिकायत दर्ज कराए कि ऐसे गलत लोग उनकी पार्टी और नेता के फोटो का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं।

सोशल मीडिया ऐसी दोधारी तलवार है कि जिसमें कौन दोस्त है, और कौन दुश्मन है, यह कभी-कभी तो साफ हो जाता है, लेकिन कभी-कभी यह धुंधला भी रहता है। ऐसा भी रहता है कि दिख तो दोस्त रहे हैं, लेकिन काम दुश्मन सरीखा कर रहे हैं। इसलिए आज किसी भी कारोबार को किसी वैचारिक या राजनीतिक संगठन को, जिन्हें सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी या अपने बारे में कही जाने वाली बातों से कोई फर्क पड़ता हो, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि उनकी कैसी छवि वहां बन रही है। हम तो ऐसे दर्जनों अकाउंट देख-देखकर हक्का-बक्का हैं कि क्या इन्हें उन पार्टियों या धार्मिक आध्यात्मिक संगठनों की तरफ से अब तक कोई नोटिस नहीं मिला है कि उनकी हरकतों से ये संगठन भी बदनाम हो रहे हैं? आज किसी से दुश्मनी निकालनी हो तो उसका एक आसान तरीका दिख रहा है कि उसके समर्थक की तरह बनकर एक सोशल मीडिया अकाउंट बनाया जाए और उनके समर्थन की चार बातें पोस्ट की जाए और उसके बाद चालीस बातें उनके विरोधियों को धमकी, हिंसा या अश्लीलता की पोस्ट की जाए। किसी को बदनाम करने के लिए उसी का हिमायती, उसी का दोस्त बनकर यह काम अधिक आसानी से किया जा सकता है। आज बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का ऐसा इस्तेमाल हो रहा है और सार्वजनिक जीवन में जो राजनीतिक दल या संगठन सक्रिय हैं वह इसे अनदेखा करने की मासूमियत का दावा नहीं कर सकते। जो लोग जनता के बीच में जी रहे हैं उनकी यह भी जिम्मेदारी बनती है कि उनके समर्थक बनकर सक्रिय लोग किस किस्म के हैं इस पर नजर रखी जाए। सोशल मीडिया आज न सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि पूरी दुनिया में जनधारणा प्रबंधन (परसेप्शन मैनेजमेंट) का इतना बड़ा औजार और हथियार बन चुका है कि उसकी ताकत को अनदेखा करना ठीक नहीं है। अभी हमारे पास कई ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट हैं जो पहली नजर में किसी एक पार्टी के समर्थक दिख रहे हैं, लेकिन उस पार्टी के विरोधियों के लिए वैसी जुबान में गालियां और अश्लील बातें लिख रहे हैं जैसे कि पहले लोग शौचालयों के भीतर दरवाजों पर कुरेद देते थे। अब हैरानी की बात यह भी है कि बहुत से लोग जो अपने-आपमें बहुत भले हैं वे भी किसी तरह झांसे में आकर ऐसे लोगों के सोशल मीडिया दोस्त हो गए हैं। इनकी लिखी हुई बातें इतनी अधिक गंदी हैं कि उनका कोई जिक्र भी यहां नहीं हो सकता, इसलिए हम बतौर सावधानी यहां पर सार्वजनिक जीवन के लोगों को यह समझाना चाह रहे हैं कि उन्हें अपने समर्थक से दिखने वाले लोगों के प्रति अधिक सावधान रहना चाहिए क्योंकि उनके किए हुए कुकर्म उनके समर्थन पाने वाले नेताओं या संगठनों की भी इज्जत खराब करते हैं। यह भी हो सकता है की एक साजिश के तहत बड़े पैमाने पर ऐसा किया जा रहा हो लेकिन उसकी छानबीन का हमारे पास कोई जरिया नहीं है, जिन लोगों का नाम इससे बदनाम हो सकता है उन्हें यह परवाह हो तो वे खुद ही इसकी शिकायत कर सकते हैं। फिलहाल लोगों को हमारी यही सलाह है कि किसी की तस्वीर या उसका झंडा देखकर, उसके किसी के समर्थक देखते हुए सोशल मीडिया अकाउंट को सच्चा मान लेना ठीक नहीं होगा। हो सकता है कि बदनाम करने की नीयत से कोई समर्थक बनकर ऐसा कर रहा हो।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

 

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