सामान्य ज्ञान
बीटी बैंगन (बैसिलस थुरियनजीनिसस बैंगन) जिसे बीटी कॉटन (कपास) के रूप में निर्मित किया गया है, एक आनुवांशिक संशोधित फसल है। बीटी को बैसिलस थुरियनजीनिसस (बीटी) नामक एक मृदा जीवाणु से प्राप्त किया जाता है। बीटी बैंगन और बीटी कपास (कॉटन) दोनों में इस विधि का प्रयोग होता है।
आनुवांशिक संशोधित फसल (जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें) यानी ऐसी फसलें जिनके गुणसूत्र में कुछ मामूली से परिवर्तन कर के उनके आकार-प्रकार और गुणवत्ता में मनवांछित स्वरूप प्राप्त किया जा सकता है। यह गुणवत्ता परिवर्तन फसल में कीटाणुनाशकों से लडऩे की क्षमता या पौष्टिकता में की वृद्धि रूप में भी हो सकती है। इसी वैज्ञानिक या अप्राकृतिक परिवर्तन को आनुवांशिक संशोधित फसल कहा जाता है।
बीटी बैगन को लेकर काफी विवाद हुआ है। भारत में बीटी खाद्यान्न पर उठी बहस को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि वह फिलहाल बीटी बैंगन की खेती को रोके रखेगी।
दुनिया के कई देशों में जीएम फसलें इस्तेमाल में लाई जाती हैं। इनमें उत्तर और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश देश शामिल हैं जहां सोयाबीन, मक्का, राई और चुकंदर आदि की जीएम फसलें उगाई और इस्तेमाल में लाई जाती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में पूरी दुनिया की आधी से अधिक जीएम फसलें इस्तेमाल की जाती हैं। इसके विपरीत यूरोप के केवल सात देशों में ही अभी तक जीएम फसलों के इस्तेमाल को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है। एशिया में भी भारत और चीन समेत केवल तीन देशों में ही जीएम फसलों को इस्तेमाल में लाए जाने की शुरुआत हुई है, लेकिन इसके लिए कड़े नियामक हैं। अफ्रीका में भी केवल तीन देश ही हैं जिन्होंने जीएम फसलों के इस्तेमाल की इजाजत अभी तक दी है।