संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : ट्विटर का पंछी सोने के एक नए पिंजरे में कैद, अब चहचहाहट का क्या?
26-Apr-2022 3:22 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : ट्विटर का पंछी सोने के एक नए पिंजरे में कैद, अब चहचहाहट का क्या?

यूक्रेन पर रूस के हमले के तुरंत बाद का दुनिया का सबसे बड़ा हमला भारतीय समय के मुताबिक आज सुबह से खबरों में हैं। पिछले दस दिनों से चले आ रहा असमंजस आज खत्म हुआ, और दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क ने करीब 33 सौ अरब रूपये जितनी रकम से ट्विटर को खरीद लिया है। एक पंछी के मार्के वाला ट्विटर दुनिया में खबरों का पहला जरिया हो गया था, और यह ऐसा सोशल मीडिया था जिस पर दुनिया के तमाम बड़े नेता, कारोबारी, सरकारें, और चर्चित लोग अपनी पहली घोषणा करते थे। करीब सोलह बरस पहले यह कंपनी बनी थी, और गिने-चुने शब्दों में अपनी बात पोस्ट करने की मुफ्त सहूलियत देने वाले इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का हाल यह है कि अब सरकारों को अपने बड़े फैसले मीडिया को अलग से नहीं देने पड़ते, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री उन्हें ट्वीट करते हैं, और परंपरागत मीडिया उन्हें वहां से उठाकर खबर बनाते हैं। लेकिन जैसा कि किसी भी बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ हो रहा है, ट्विटर पर भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी और उसकी सीमाओं के बीच एक बहस चलती रहती है कि आजादी किसे माना जाए? कितनी आजादी दी जाए, और कितनी बंदिश लगाई जाए? ऐसी बहस के बीच ही दुनिया के एक सबसे बड़े कारोबारी, बैटरी से चलने वाली कारों के सबसे बड़े निर्माता, कारोबारी अंतरिक्ष यात्रा शुरू करने वाले, एलन मस्क ने पिछले कुछ हफ्तों में लगातार ट्विटर के बारे में अपनी राय सामने रखी थी, और यह भी लिखा था कि वे विचारों की स्वतंत्रता के बड़े हिमायती हैं। अब अपने बारे में कही गई इस बात के कई मतलब निकलते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि एलन मस्क के मालिक बनने के बाद अब ट्विटर पर से पिछले अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प पर लगाई गई बंदिश हट जाएगी क्योंकि एलन मस्क ऐसी बंदिशों के खिलाफ हैं। लेकिन ट्रम्प पर झूठ फैलाने और नफरत फैलाने की वजह से बंदिश लगाई गई थी, और अगर ऐसे सुबूतों के बाद भी नया मालिक अगर ट्रम्प को ट्विटर पर फिर आने देता है, तो विचारों की यह आजादी दुनिया भर के नफरतजीवी लोगों के लिए जश्न का मौका रहेगा। आज वैसे भी ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर नफरत और हिंसा का सैलाब है जिसे रोकने की या तो इनके मालिकान की नीयत नहीं है, या कूबत नहीं है। अब अगर ट्विटर एक कंपनी के बजाय, उसके संचालक मंडल के बजाय अगर सीधे-सीधे एक ऐसे मालिक के मातहत आ रहा है जो कि अपने सनकमिजाजी फैसलों के लिए जाना जाता है, तो यह सबसे ताकतवर सोशल मीडिया आज सचमुच खतरे में है।

एलन मस्क खुद के बनाए हुए कारोबारी साम्राज्य के मालिक हैं, और चूंकि पश्चिमी देशों के कारोबार में हिन्दुस्तान की तरह का दो नंबर के पैसों का अंबार नहीं होता है, इसलिए वहां के आंकड़े सही भी रहते हैं कि कौन सबसे रईस है, किसका कारोबार सबसे बड़ा है। एलन मस्क दुनिया के सबसे रईस तो हैं ही, उनका कारोबार भी भविष्य को देखते हुए खड़ा किया गया है, और बैटरी कारों से लेकर अंतरिक्ष पर्यटन तक का उनका कारोबार बढ़ते ही चले जाते दिख रहा है। ऐसे में एक बिल्कुल ही अलग किस्म के धंधे में, उसे मनमानी कीमत पर खरीदने की जिद पूरी करते हुए एलन मस्क ने दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हिमायती लोगों को असमंजस में डाल दिया है कि ट्विटर का भविष्य क्या होगा? क्या यह ट्रम्प जैसों के लिए लाल कालीन बिछाएगा, या ट्विटर पर से प्रमुख लोगों और संस्थानों को मिलने वाले ब्ल्यू टिक का आभिजात्य सिलसिला खत्म करेगा? नए मालिक, अकेले मालिक, और तानाशाह मिजाज के मालिक अगर जनकल्याणकारी हों, आजादी के हिमायती हों, तो भी उनके मनमाने फैसलों का खतरा तो बने ही रहता है।

खुद अमरीका में एक सवाल यह खड़ा हो गया है कि सोशल मीडिया जैसे कारोबार पर एकाधिकार किस हद तक होने देना चाहिए। एक वक्त अमरीका में अखबारों और टीवी स्टेशनों पर एकाधिकार को लेकर भी यह बात उठती भी, और अब सोशल मीडिया का हाल तो यह हो गया है कि फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग से पूछताछ के लिए संसदीय कमेटी की सुनवाई होती है, और संसद की तरफ से इस कारोबारी से कई दिनों तक सवाल-जवाब किए जाते हैं। दुनिया के दूसरे देशों में भी सोशल मीडिया की पहुंच को लेकर, और उसके बेजा इस्तेमाल के खतरों को लेकर फिक्र बनी हुई है। हिन्दुस्तान में अभी हाल ही में खोजी पत्रकारों की एक रिपोर्ट में यह स्थापित किया गया है कि इस देश के पिछले आम चुनावों में फेसबुक ने किस तरह भाजपा की मदद की, और दूसरी पार्टियों को बराबरी का हक नहीं दिया। खुद अमरीका के राष्ट्रपति चुनावों में यह बात सामने आ रही थी कि फेसबुक ने वहां के जनमत को मोडऩे के लिए सोच-समझकर कुछ साजिशें की थीं। खैर, अमरीका में कारोबारियों को भी आजादी है, और अदालतों को भी आजादी है, इसलिए वहां लोकतंत्र इतने बड़े खतरे में नहीं रहता, जितने बड़े खतरे में हिन्दुस्तान में दिखता है।

खैर, आज का यह मौका ट्विटर पर चर्चा का है कि नए मालिक की तरह यह विश्व जनमत का एक औजार बने रहेगा, या विश्व जनमत को कुचलने के लिए एक हथियार बन जाएगा। आने वाले हफ्ते या महीने यह बताएंगे कि अथाह दौलत रहने पर कोई रातोंरात जिस तरह दुनिया के सबसे बड़े सूचनातंत्र का मालिक बन सकता है, उसे बदल सकता है, तो यह विचारों की आजादी का सुबूत है या कारोबार की आजादी का? फिलहाल एलन मस्क की इस एक सनकी खरीददारी ने दुनिया के सोशल मीडिया कारोबार को हिलाकर रख दिया है कि उन पर क्या इससे भी बड़ा एकाधिकार हो सकता है? और क्या इनके मालिक दुनिया के लोकतंत्रों को कठपुतली की तरह हिला-डुला सकते हैं?
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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