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कोरबा, बस्तर, सरगुजा में शिक्षकों की भर्ती पर रोक हटी, स्थानीय की बाध्यता भी समाप्त
13-May-2022 5:27 PM
कोरबा, बस्तर, सरगुजा में शिक्षकों की भर्ती पर रोक हटी, स्थानीय की बाध्यता भी समाप्त

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब 27100 सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 मई।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा सरगुजा और बस्तर में 2700 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर रोक हटाते हुए कहा है कि इसमें प्रदेश भर के उम्मीदवार किसी भी जगह पर आवेदन कर सकेंगे। कोर्ट ने इस संबंध में राज्यपाल की अधिसूचना को निरस्त कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए 19 मार्च 2019 को विज्ञापन जारी किया था। अन्य जिलों में पूरे प्रदेश के आवेदकों को मौका मिला लेकिन कोरबा जिला तथा सरगुजा और बस्तर संभाग में केवल स्थानीय आवेदकों को भर्ती की पात्रता दी गई। अन्य जिलों से आवेदन स्वीकार नहीं किए गए। इसका कारण यह था कि संविधान की पांचवी अनुसूची के संबंध में मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए केवल स्थानीय निवासियों को मौका देने की अधिसूचना जारी की थी। राज्यपाल की अधिसूचना 17 जनवरी 2012 को सबसे पहले जारी की गई थी। इसके बाद इसे 2- 2 साल के लिए बढ़ाते हुए सन् 2023 तक के लिए लागू किया गया।

इस प्रावधान को उमेश श्रीवास, शुशांत शेखर धराई और अन्य आवेदकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत किसी भी नागरिक को धर्म, जाति, निवास और लिंग के आधार पर अवसर प्रदान करने में भेदभाव नहीं किया जा सकता। राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को प्रदेश के किसी भी जिले की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने का बराबर अधिकार है। यदि निवास के आधार पर आरक्षण लागू किया जाना है तो इसका अधिकार केवल संसद को है।

चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस गौतम चौरड़िया की युगल पीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद कोरबा जिला तथा सरगुजा एवं बस्तर संभाग में सहायक शिक्षकों की भर्ती पर लगाई गई रोक को हटा दिया। साथ ही व्यवस्था दी कि इन स्थानों पर भर्ती के लिए प्रदेश के किसी भी स्थान से बेरोजगारों को आवेदन करने की पात्रता है। कोर्ट ने कहा कि संविधान में सभी नागरिकों को रोजगार का समान अवसर देने की बात कही गई है। उसे पांचवी अनुसूची के आधार पर हटाया नहीं जा सकता। राज्यपाल या राज्य शासन को इस संबंध में कोई अधिकार नहीं है। विशेष परिस्थिति हो तभी अनुच्छेद 16 (3) के तहत ऐसा किया जा सकता है।

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