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हेल्थ टिप्स: लू से खुद को कैसे बचाएं
23-May-2022 12:53 PM
हेल्थ टिप्स: लू से खुद को कैसे बचाएं

भारत और पाकिस्तान में गर्म हवाएं यानी लू आम बात है लेकिन इस बार लू की गर्मी पिछले कुछ सालों से कहीं ज्यादा है. लू की चपेट में आने से तबियत बिगड़ने की आशंका रहती है. कुछ उपाय हैं जिन पर अमल करके इनसे बचा जा सकता है.

  (dw.com)

   

भारत और पाकिस्तान में इन दिनों तापमान कई बार 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है और अब तक की सबसे ज्यादा गर्मी का रिकॉर्ड बना रहा है. दिन में गर्मी के वक्त लोग काम करना बंद कर दे रहे हैं और स्कूलों में छुट्टी से पहले ही बच्चों को घर भेज दिया जा रहा है. भीषण गर्मी की वजह से मवेशियों की मौत हो रही है और पानी ना मिलने के कारण पक्षी आकाश से नीचे गिर रहे हैं.

नई दिल्ली में मौजूद डीडब्ल्यू संवाददाता मुरलीकृष्णन कहते हैं, "यह वास्तव में एक तरह से असहनीय गर्मी है. दिन में सड़कों पर लोग नहीं दिख रहे हैं. यह गर्मी बेहद कष्टदायक है.”

हमने जब कृष्णन से बात की, उस वक्त वो गुजरात में थे जो कि भारत में सबसे ज्यादा गर्म रहने वाले राज्यों में से एक है. वो उस वक्त एक दुकान में पहुंचे ही थे जहां एसी लगा हुआ था. वो कहते हैं, "मैं यहां यही पता करने आया था कि लोगों के लिए यह गर्मी कितनी बुरी है और यह वास्तव में बहुत बुरी है.”

प्यास लगने से पहले ही पानी पियें
स्वास्थ्य विशेषज्ञ अभियंत तिवारी कहते हैं कि लू से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है कि खूब पानी पियें. तिवारी कहते हैं कि गर्मी में हर वक्त पानी पीते रहना चाहिए, यहां तक कि आपको प्यास ना लगी हो तब भी. सामान्य पानी और नारियल पानी जैसे ठंडे पेय, गर्म पेय की तुलना में गर्मी के लिए ज्यादा ठीक रहते हैं.

तिवारी कहते हैं, "प्यास लगने का इंतजार मत कीजिए. गर्मी के मौसम में प्यास लगना डिहाइड्रेशन का लक्षण है. इसलिए प्यास लगने से पहले ही पानी पीजिए.”

एक और विशेषज्ञ जॉन हॉपकिंस स्कूल ऑफ नर्सिंग में प्रोफेसर केथरीन लिंग कहती हैं कि ज्यादातर पेय अच्छे होते हैं लेकिन कैफीन युक्त पेय पदार्थों से बचना चाहिए क्योंकि उनकी वजह से डिहाइड्रेशन होता है. उनके मुताबिक, गर्मी के मौसम में अल्कोहल के सेवन से भी बचना चाहिए.
जहां तक संभव हो घर पर ही रहें

इस मौसम में जहां तक संभव हो, घर के भीतर ही रहना चाहिए, खासकर उस समय जब दिन के वक्त गर्म हवाएं ज्यादा चलती हैं और तापमान ज्यादा रहता है. इस समय घर पर आराम करना बेहतर होता है.

भारत में लू से बचने के लिए ज्यादातर लोग इन्हीं नुस्खों को आजमाते हैं.

मुरलीकृष्णन कहते हैं, "गुजरात में जिन स्कूलों में बच्चों को चार बजे शाम तक रहना पड़ता था, अब उनकी दोपहर में एक बजे ही छुट्टी कर दी जा रही है. लोग घरों में ही रहकर खुद को ठंडा रखने की कोशिश कर रहे हैं और बाहर नहीं निकल रहे हैं. लेकिन सभी के लिए ऐसा करना संभव नहीं है. गर्मी की मार सबसे ज्यादा मजदूरों को झेलनी पड़ रही है.”

वो बताते हैं, "भारत जैसे देश में जहां बड़ी संख्या में गरीब लोग रहते हैं, खासकर ऐसे लोग जो कि निर्माण क्षेत्र में नौकरी करते हैं, उन लोगों को वास्तव में लू के गर्म थपेड़ों को सहना पड़ता है. उन्हें काम करना पड़ता है क्योंकि घर चलाने के लिए पैसे चाहिए और काम नहीं करेंगे तो पैसे कहां से आएंगे.”

छाया में रहें और अपने सिर को ढककर रखें
पाकिस्तान के जैकबाबाद जिले में परवीन सिकंदर की स्थिति ऐसी नहीं है कि वो भीषण गर्मी के चलते अपना काम छोड़ दें और घर पर आराम करें. सिकंदर एक कृषि मजदूर हैं और दिहाड़ी पर काम करती हैं. सिकंदर जिस दिन काम पर नहीं जाएंगी, उन्हें उस दिन का पैसा नहीं मिलेगा.

डीडब्ल्यू से बातचीत में सिकंदर कहती हैं, "मेरा 14 साल का बेटा पिछले हफ्ते भीषण लू की चपेट में आ गया और बेहोश हो गया. मेरा बेटा भी मेरे साथ काम करता है और गधा गाड़ी पर फसल लादकर उसे पहुंचाता है.”

जैकबाबाद में तापमान 51 सेल्सियस तक पहुंच चुका है. सिकंदर कहती हैं कि वो और उनके साथ काम करने वाली दूसरी मजदूर औरतें खुद को ‘असुरक्षित' महसूस करती हैं और अपने कपड़ों को बार-बार गीला करके गर्मी से बचने की कोशिश करती हैं.

सिकंदर कहती हैं, "इस मौसम में तो ऐसा लगता है जैसे हम नरक में रह रहे हों. हम बच्चे थे तब इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी.”

अभियंत तिवारी सलाह देते हैं कि इस मौसम में लोग जब भी किसी काम से बाहर जाएं तो अपने सिर को ढककर रखें. लिंग कहती हैं कि मजदूरों को भी जहां तक संभव हो, छाया में ही रहना चाहिए.

हवा लेते रहें
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बुजुर्ग लोगों को सलाह देते हैं कि यदि हो सके तो उन्हें एसी कमरों में ही रहना चाहिए. भारत में एसी आसानी से सबको मिलने वाली चीज नहीं है. पहली बात तो गरीब लोग एसी में रह नहीं सकते और दूसरी बात यह है कि भारत में बिजली की बहुत समस्या है और बार-बार बिजली चली जाती है, कई बार तो तीन-चार घंटे तक नहीं आती.

कृष्णन कहते हैं कि जिनके पास एसी है, वो भी इसका बहुत फायदा नहीं ले पाते क्योंकि बार-बार बिजली कटौती की वजह से कई बार एसी जैसे उपकरण भी खराब हो जाते हैं.

बिना एसी के इमारतों को ठंडा रखना
तिवारी कहते हैं कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग कुछ परंपरागत तकनीकों का प्रयोग करते हैं जिससे कि उनके घर ठंडे रहें. मसलन, गांवों में लोग घरों को ठंडा रखने के लिये छतों पर गोबर का लेप कर देते हैं. शहरों में कुछ लोग अपने घरों में ‘कूल रूफ्स' लगवा रहे हैं जो कि हल्के रंग के होते हैं और गाढ़े रंग की छतों की तुलना में गर्मी कम सोखते हैं.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और विशेषज्ञ राधिका खोसला कहती हैं कि घरों की छतों पर पानी से भरे बर्तन भी रखे जा सकते हैं जिसकी वजह से वाष्पन होगा और छतें कम गर्म होंगी और कमरे ठंडे रहेंगे.

इसके अलावा, खिड़कियों को बंद रखकर भी धूप को सीधे कमरों में आने से रोका जा सकता है और पंखे से हवा ली जा सकती है. कलाइयों, सिर और गले पर ठंडे कपड़े लपेटकर भी शरीर को गर्म हवा से बचाया जा सकता है.
सावधानी ही बचाव है

लू जैसी गर्म हवाएं यूं तो भारत और पाकिस्तान में बहुत आम हैं लेकिन दुनिया के अन्य हिस्सों में भी ये चलती हैं. हालांकि इस बार की लू काफी परेशान कर रही है.

इस बार भारत और पाकिस्तान में हवाएं पिछले कई सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा गर्म रहीं. यही नहीं, आमतौर पर इन हवाओं के चलने का जो समय होता है, इस बार करीब दो महीने पहले यानी मार्च से ही चलने लगीं.

तिवारी कहते हैं, "ऐसा शायद जलवायु परिवर्तन की वजह से है. लेकिन गनीमत है कि 2015 की तरह इस बार भारत और पाकिस्तान में लू की वजह से लोगों को बीमार होकर अस्पताल नहीं जाना पड़ रहा है. 2010 में अहमदाबाद में भी बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था.”

तिवारी कहते हैं कि उस समय स्थिति बहुत ही खराब थी, अस्पताल मरीजों से भर गए थे और कई लोगों की मौत भी हो गई थी.

इस बार लू की वजह से मरने वालों का कोई आंकड़ा जारी नहीं हुआ है लेकिन 2010 या 2015 जैसी स्थिति नहीं दिख रही है. 2015 में करीब तीन हजार और 2010 में 1300 लोगों की मौत गर्म हवाओं यानी लू लगने की वजह से हुई थी. इस साल अब तक सिर्फ 90 लोगों की लू लगने से मौत की खबर है.

तिवारी कहते हैं कि यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसा क्यों है. उनके मुताबिक, हालांकि गर्म हवाओं का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन इसके पीछे एक यह वजह हो सकती है कि इसके बारे में जागरूकता अभियान खूब चलाए जा रहे हैं और लोग खुद भी सावधानी बरतने लगे हैं.

 

 

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