सामान्य ज्ञान
27 जून वर्ष 1957 में ही पहली बार एक वैज्ञानिक रिपोर्ट में धूम्रपान और फेफड़ों के कैंसर के बीच सीधे संबंधों का दावा किया गया।
प्र्रकाशित हुई ब्रिटेन की मेडिकल रिसर्च काउंसिल की एक खास रिपोर्ट में पहली बार यह बताया गया कि धूम्रपान, फेफड़ों के कैंसर का सीधा कारण है। इन नतीजों पर पहुंचने से पहले रिसर्चरों ने बीते पच्चीस सालों में फेफड़ों के कैंसर से मरने वालों की बढ़ती संख्या का कारण ढूंढने की कोशिश की थी। इतने आंकड़ों का विश्लेषण करके पाया गया कि इनमें से बड़ी संख्या में प्रभावित लोग धूम्रपान करते थे। उस समय रिसर्चरों के इस दावे को सिगरेट और तंबाकू के दूसरे उत्पाद बनाने वाली कई कंपनियों ने सिरे से नकार दिया था। कईयों का कहना था कि यह सिर्फ नजरिए का मामला है।
रिपोर्ट में पाया गया कि 1945 में फेफड़ों के कैंसर से मरने वालों की मृत्यु दर 10 लाख लोगों में केवल 188 थी। दस साल के बाद यही मृत्यु दर करीब दोगुनी हो कर 388 तक पहुंच गई थी। इन नतीजों तक पहुंचने के लिए छह देशों में किए गए कई अनुसंधानों से तथ्य जमा किए गए थे। इन सबमें सिगरेट पीने वालों की संख्या और बढ़ती हुई मृत्यु दर में सीधा संबंध दिखाई दिया। फेफड़ों के कैंसर से आज हर साल हजारों जानें जाती हैं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को इस बात के कई सबूत मिल चुके हैं जो धूम्रपान से इसके गहरे संबंधों को स्थापित करता है। इसके अलावा तंबाकू के सेवन से कई तरह की दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2020 तक दुनिया भर में इससे मरने वालों की संख्या करीब एक करोड़ तक पहुंच जाएगी।