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प्रतिष्ठा और अवसर की समता
27-Jul-2022 7:18 PM
 प्रतिष्ठा और अवसर की समता

Photo : Twitter

-प्रकाश दुबे
वन में निवास करने वाली महिला को दुनिया का सबसे विशाल राष्ट्राध्यक्ष महल सौंपना प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक प्रयोग है। इससे भी बड़ा प्रयोग इस बीच अनदेखा रह गया। संविधान और राजनीति के ज्ञानी- विश्लेषक तक अनजान हैं। दूसरे दल से अपने दल में शामिल करने की व्यवस्था करने के लिए पहली बार बाकायदा समिति का गठन किया गया। समिति शब्द अटपटा लगे तो वार्ताकार मंडल कह कर तसल्ली कर लें।  तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने एटला राजिन्दर को भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया। कुपित राजिन्दर भाजपा में शामिल होकर उपचुनाव जीत कर फिर विधायक बने। वार्ताकार मंडल के अध्यक्ष की हैसियत से  गुणीजनों से संपर्क कर राजिन्द्र दल बदल कराने की गति तेज करेंगे। इसे संविधान-सम्मत विशेष अवसर कहकर चतुर सुजान उत्साहित हो सकते हैं।  हैदराबाद में भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के दौरान हुए निर्णय का ऐलान न प्रधानमंत्री ने किया और न अनुशासित अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र में इसकी जरूरत नहीं पड़ी। तेलंगाना राष्ट्र समिति निशाने पर है। हालां कि सेंध लगाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।   

व्यक्ति की गरिमा  
लाट साहब यानी वाइसराय महल के आसपास बाबुओं के दफ्तर लगाकर भाई सराय बना दिया जाए। यह तो निर्माता लुटियंस  नहीं चाहते थे।   इसके बावजूद नार्थ ब्लाक और साउथ ब्लाक बने। राष्ट्रपति भवन के पास पेड़ पौधों की समाधि पर सेंट्रल विस्ता में नया संसद भवन बन रहा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की मौजूदगी में गुर्राते शेर के साथ प्रधानमंत्री मुस्कराए। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू गैरहाजिर थे। शेर के अगवाड़े और घोड़े के पिछवाड़े में बदलाव से दुखी खुराफाती देवदास बने जा रहे हैं।  गीता, कुरान, बाइबल की तरह संविधान में दूसरे महत्वपूर्ण उपराष्ट्रपति पद पर नायडू समारोह में नजर नहीं आए। चेहरा चमकाऊ पोथी (फेसबुक)  वाले चहकने लगे कि कुछ दिन के मेहमान उपराष्ट्रपति को जानबूझकर न्यौता नहीं भेजा। सेंट्रल विस्ता के प्रभारी शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी जानें न जानें, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी को पक्का पता था कि राष्ट्रपति पद का चुनाव चल रहा था। संवैधानिक क्रम में दूसरे स्थान पर शेर के साथ वैंकैया जी को खड़ा करना पड़ता। प्रधानमंत्री की कल्पनाशीलता की उपेक्षा होती। एक जंगल में दो शेर सिर्फ फिल्मी तरानों में हो सकते हैं। यह जानकारी उन लोगों के लिए, जिन्हें शिकायत है कि संविधान की अनदेखी हो रही है।

पंथनिरपेक्ष
प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को किसान पुत्र और संविधान के अति उत्कृष्ट विशेषज्ञ कहा। विरोधी उनकी जात उछाल रहे हैं। अनेक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले धनखड़ पहले उपराष्ट्रपति होंगे। विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता सरकार में धनखड़ राज्यमंत्री रहे। कुछ महीनों की सरकार में चंद्रशेखर ने उन्हें शामिल नहीं किया। धनखड़ का विरोध करने से पहले विपक्ष सोचे। अयोध्या में ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण सिंह, सुंदर लाल पटवा और भैरोंसिंह शेखावत बर्खास्त हुई। ढांचा ढहाने को अनैतिकता बताने वाले अलवर के कांग्रेस विधायक जगदीप का कांग्रेस ने फिर भी टिकट काट दिया।  भारतीय जनता पार्टी में बरसों तपस्या के बाद राज्यपाल बने। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने जनता का राज्यपाल कहकर धनखड़ की उम्मीदवारी घोषित की। मुख्यमंत्री से पहले जनता के बीच पहुंचने में उनकी बराबरी महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी तक नहीं कर सकते। इसीलिए दूसरे सिंहासन तक पहुंचते पहुंचते रह गए। नड्डा ने एक और बात कही- वे जनता के उम्मीदवार हैं। जनता से पहले भारतीय तो हैं ही। हिरण शिकारी सलमान के वकील की राज्यसभा में नए तेवर वाली भूमिका देखने लायक होगी।   
       
विचार, विश्वास, धर्म की स्वतंत्रता
दर्जन भर विधायकों को गुड़ की डली दिख जाए तो खजुराहो, बंगलूरु, कामरूप सब जगह की सूरत दिख जाती है। झूमते नाचते थरकने लगते हैं। मगर राष्ट्रपति का चुनाव था। हजार दो हजार वोट यहां से वहां हो जाने पर किसी की सरकार नहीं गिरनी थी। कांग्रेस वाले जाने  क्यों तमाशा करते फिरे। मतदान से पहले गोवा के अपने 11 विधायकों को पार्टी वाले चेन्नई उड़ा ले गए। पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष दोनों को पता नहीं था कि उनको क्यों छोड़ गए। कांग्रेस वाले शायद 13 का अंक अशुभ मानते होंगे। चुनाव में बहुमत न मिलने से दिगम्बर कामत मुख्यमंत्री नहीं बन सके।  कांग्रेस में अपने  इस तरह नाम के मुताबिक हालत  होने का दिगम्बर को अंदाज नहीं था। भाजपा से कांग्रेस में आकर कामत मुख्यमंत्री बने थे। छुटकू से गोवा में दल बदल कर मंत्री, उपमुख्यमंत्री बनने का अवसर हाथ नहीं आया। गोवा राज्य के कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने कामत की भरपूर बदनामी कर डाली है।
(सभी शीर्षक संविधान की प्रस्तावना के अंश हैं।)
(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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