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मुमताज़: 75 की उम्र में 18 साल वाला अंदाज़- जन्मदिन पर विशेष
31-Jul-2022 9:17 PM
मुमताज़: 75 की उम्र में 18 साल वाला अंदाज़- जन्मदिन पर विशेष

इमेज स्रोत,MUMTAZ FAMILY

प्रदीप सरदाना

"कहने को मैं 75 साल की हो गयी हूँ लेकिन मुझे लगता है मैं 18 साल की हुई हूँ. मैं 18 की उम्र सा व्यवहार करती हूँ. यही सोच मैं रोज एक्सरसाइज़ करती हूँ. अपने खाने पीने को लेकर मैं बहुत सचेत रहती हूँ. खुश रहती हूँ. सच कहूँ तो मैं यह सोचती ही नहीं कि मैं इतनी बड़ी उम्र की हो गयी हूँ."

यह कहना है अपने समय की बेहद लोकप्रिय, चंचल और खूबसूरत अभिनेत्री मुमताज़ का जिन्होंने अपने अभिनय और अंदाज़ से लोगों को ऐसा दीवाना बनाया कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री हैरान रह गयी.

'दो रास्ते','सच्चा झूठा', 'खिलौना', 'अपना देश', 'तेरे मेरे सपने', 'आपकी कसम', 'लोफ़र', 'झील के उस पार', 'चोर मचाये शोर' और 'रोटी' जैसी कई सुपरहिट फिल्मों की यह दिलकश नायिका मुमताज़ रविवार (31 जुलाई) को 75 साल की हो गयी हैं.

मुमताज़ अपना यह खास जन्मदिन अफ्रीका के युगांडा में मना रही हैं जहां राजधानी कम्पाला के निकट ककीरा में मुमताज़ का 80 हज़ार एकड़ में फैला अपना विशाल माधवानी नगर है.

मुमताज़ साल भर अलग अलग देशों में घूमती रहती हैं. यूं तो उनसे मेरी पहले भी कभी मुंबई, कभी लंदन और कभी दुबई में बात होती रही हैं लेकिन इस बार उनके इस 75 वें जन्म दिन पर मैंने उनसे युगांडा में खास बात की.

बातचीत के दौरान उनका वो उत्साह, उमंग और खुशी साफ महसूस हो रही थी, जिसके लिए मुमताज़ मशहूर रही हैं. लगा ही नहीं कि कुछ समय पहले ही पेट के संक्रमण के चलते वह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में एक सप्ताह तक दाखिल रही थीं.

यूं मुमताज़ जल्द किसी से घुलती मिलती नहीं. वह काफी स्वाभिमानी होने के साथ अपनी अलग दुनिया में रहना पसंद करती हैं. अपनी फ़िल्म यात्रा में मुंबई में रहते हुए मुमताज़ ने एक से एक नायक, एक से एक फ़िल्मकार के साथ काम किया लेकिन आज फिल्म नगरी में उनके कुछेक ही खास दोस्त हैं.

शायद इसीलिए मुमताज़ ने अपना यह विशेष जन्म दिन भी मुंबई से करीब 5 हज़ार किमी दूर युगांडा में मनाने का फैसला लिया है. फिल्म वालों से दूर, सिर्फ अपने परिवार के साथ.

जब मुमताज़ से हमने पूछा कि इस ख़ास जन्मदिन के लिए उनकी क्या ख़ास तैयारी हैं ?

तो उन्होंने बताया, "यह सब मेरे पति और बच्चों को पता है कि क्या करना है. हाँ यह है कि मेरे परिवार के सभी लोग मेरी दोनों बेटियाँ, उनके बच्चे और मेरी बहन के साथ हमारे कुछ बेहद करीबी रिश्तेदार और दोस्त युगांडा पहुँच गए हैं."

आपके बड़े दामाद फरदीन भी क्या इस मौके पर युगांडा आ रहे हैं?

मुमताज़ कहती हैं, "नहीं फरदीन तो संजय लीला भंसाली की फिल्म की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण नहीं आ पाएगा लेकिन परिवार के बाकी सभी सदस्य पहुँच गए हैं."

'फिल्मों में वापसी पक्की नहीं'
इधर यह चर्चा है कि आप भी भंसाली की इसी फिल्म से बरसों बाद फिल्मों में अपनी वापसी करने जा रही हैं, आपकी शूटिंग कब है ?

इस सवाल पर उन्होंने कहा, "नहीं नहीं, मेरा अभी कुछ पक्का नहीं है कि मैं यह फिल्म करूंगी या नहीं. मेरी भंसाली से मुलाक़ात जरूर हुई है. वह एक अच्छे फ़िल्मकार होने के साथ एक अच्छे इंसान भी हैं."

"अपनी फिल्मों में वह महिलाओं को बहुत ही खूबसूरती से पेश करते हैं. मैं यदि वापसी करूंगी तो उन जैसे किसी फ़िल्मकार के साथ ही करूंगी लेकिन अभी इस फिल्म को लेकर हंड्रेड परसेंट श्योर नहीं हूँ."

अब मुंबई कब लौट रही हैं, इस सवाल पर वह बोलीं, "अभी जल्द मुंबई लौटने का कोई इरादा नहीं है. कोई बहुत जरूरी काम आया तो और बात है. अभी मैं यहाँ से नेरोबी जाऊँगी जो युगांडा के बाजू में ही है. उसके बाद लंदन जाऊंगी."

पहले हीरो थे दारा सिंह
बता दें मुमताज़ को 1960 के दशक के शुरू में ही 'स्त्री', 'सेहरा', 'मुझे जीने दो' और 'गहरा दाग' जैसी फिल्मों में छोटे छोटे रोल मिलने लगे थे लेकिन उनके करियर में पहला मोड़ तब आया जब सुप्रसिद्द पहलवान दारा सिंह के साथ उन्हें 'फौलाद' जैसी फ़िल्म में नायिका बनने का मौका मिला.

बेहद गरीब परिवार में जन्मी मुमताज़ के लिए वह बड़ी खुशी का मौका था, जब 16 साल की उम्र में उन्हें फिल्म 'फौलाद' में नायिका राजकुमारी पदमा का किरदार निभाने का मौका मिला. यह स्टंट फिल्म ऐसी चली कि दारा सिंह और मुमताज़ की जोड़ी हिट हो गयी.

देखते देखते इन दोनों की 15 एक्शन फिल्में आ गईं जिनमें 'वीर भीमसैन', 'हरक्युलिस', 'सैमसन', 'आँधी और तूफान', 'टार्जन एंड किंग काँग', 'टार्जन कम्स टू दिल्ली', 'राका', 'सिकंदर ए आज़म', 'रुस्तम ए हिन्द' और 'डाकू मंगल सिंह' जैसी फिल्में शामिल हैं.

मेरी दारा सिंह जी से बरसों पहले मुमताज़ को लेकर अक्सर बातें होती थीं. वह बताते थे, ''मुमताज़ शुरू से ही बहुत मेहनती थी. उसे जो भी सिखाया जाता वह झट से समझ जाती थी. यहाँ तक डांस में भी वह कमाल की थी. मुझे लगता था उसके नसीब ने उसका साथ दिया तो वह काफी तरक्की करेगी.''

बाद में सच में मुमताज़ ने जल्द ही जिस तरह शिखर को छुआ वह किसी चमत्कार से कम नहीं था. हालांकि, इसके लिए मुमताज़ को बहुत मेहनत करनी पड़ी क्योंकि शशि कपूर जैसे कुछ नायकों ने तो मुमताज़ के साथ काम करने से मना कर दिया था.

शशि कपूर के इंकार को लेकर जब मैंने मुमताज़ से पूछा तो वह बोलीं, ''यह सच है कि शशि कपूर ने मेरे साथ काम करने से मना कर दिया था. एक दिन मैं जिस स्टूडियो में फिल्म 'सच्चा झूठा' की शूटिंग कर रही थी, उसी स्टूडियो में शशि जी आये थे.''

''तब मैंने उनसे कहा था कि शशि बाबा आप मेरे साथ काम करने से मना क्यों कर देते हैं तो उन्होंने यह बात स्वीकार नहीं की और कहा नहीं मुमू बाबा मैं क्यों मना करूँगा, मैंने मना नहीं किया, आपके साथ काम करने से.''

''तब मैंने कहा था कि मैं सच जानती हूँ क्योंकि मेरे प्रोड्यूसर मुझे बता चुके हैं पर एक दिन आप मेरे साथ काम ज़रुर करेंगे. मैं आपकी फैन हूँ और हमेशा रहूंगी.''

'ऊपर वाला है मेरा बॉयफ्रेंड'
बाद में जब आप हिट हो गईं और शशि कपूर ने आपके साथ 'चोर मचाये शोर' और 'प्रेम कहानी' जैसी कामयाब फिल्में कीं, तब क्या शशि ने आपके साथ काम ना करने के अपने पुराने निर्णय पर कोई अफसोस जताया था?

इस सवाल पर मुमताज़ बताती हैं, "नहीं नहीं, इस बारे में उन्होंने ना कभी कोई अफ़सोस जताया और ना कभी माफ़ी मांगी क्योंकि शायद अपनी ईगो में उन्होंने यह कभी स्वीकार ही नहीं किया कि उन्होंने मेरे साथ काम करने से मना किया.''

'' लेकिन मुझे इस बात का कोई मलाल नहीं है. इसका जवाब भगवान ने ही उन्हें दे दिया. जब मेरे साथ की दोनों फिल्में हिट हो गईं और तभी मैंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. उसके बाद चाहकर भी वो मेरे साथ काम नहीं कर पाए. ऊपर वाला मुझे बहुत चाहता है, वो मेरा बॉयफ्रेंड है.''

'ऊपर वाला' मुमताज़ पर निश्चय ही बहुत मेहरबान रहा है. ध्यान से देखें तो उनका फिल्म करियर करीब 15 साल का ही रहा. इन बरसों में भी वह शुरू के 5 साल में तो बड़े धमाल नहीं कर सकीं लेकिन उसके बाद मुमताज़ हिन्दी सिनेमा की 'रानी' बन गईं.

पहले शशि के अलावा जीतेंद्र जैसे कुछ और बड़े नायक मुमताज़ के साथ इसलिए काम नहीं करना चाहते थे क्योंकि मुमताज़ स्टंट फिल्मों की नायिका थीं लेकिन जब मुमताज़ 'राम और श्याम', 'दो रास्ते' और 'बंधन' जैसी फिल्मों के कारण हिट होती चली गईं तो इस बला की सुंदरी के साथ काम करने के लिए सभी नायकों का दिल मचल उठा.

देखते देखते हालात ऐसे बने कि कई स्टंट फिल्मों की नायिका रही मुमताज़ ने एक दिन नंबर वन हीरोइन का ताज अपने नाम कर लिया.

लोकप्रियता का आलम यह था कि मुमताज़ के आते ही रुपहला पर्दा दमक उठता था. पर्दे पर नृत्य करती मुमताज़ के पैर थिरकते थे तो थिएटर में दर्शक झूमने लगते थे.

असल में अपनी जी तोड़ मेहनत, लगन और योग्यता के बल पर मुमताज़ ने ऐसा इतिहास रचा जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है और कल भी दी जाती रहेगी. बड़ी बात यह भी है कि बरसों फिल्मों से दूर रही मुमताज़ का जादू आज भी कायम है.

राजेश खन्ना के साथ खूब जमी जोड़ी
मुमताज़ की जोड़ी यूं तो धर्मेन्द्र, देव आनंद, फिरोज खान और जीतेंद्र जैसे नायकों के साथ भी लोकप्रिय हुई लेकिन राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी सबसे ज्यादा मशहूर हुई. राजेश खन्ना के साथ मुमताज़ ने 8 फिल्मों में काम किया.

मुमताज़ खुद एक समय में राजेश खन्ना को इतना पसंद करती थीं कि उन्होंने राजेश खन्ना के बंगले के साथ ही अपना बंगला भी ले लिया. जब राजेश खन्ना अपने अंतिम दिनों में कैंसर से जूझ रहे थे, तब मुमताज़ ख़ास तौर से उनसे मिलने उनके 'आशीर्वाद' बंगले में गयी थीं.

तब मुमताज़ ने राजेश को धीरज बँधाते हुए कहा था, "जैसे मैंने कैंसर से अपनी जंग जीत ली है, वैसे ही आप भी यह जंग जीत जाओगे". मगर ऐसा हो नहीं सका.

अब ना राजेश खन्ना हैं और ना उनका वह आशीर्वाद बंगला लेकिन मुमताज़ का पुराना बंगला आज भी वही हैं. जहां अब मुमताज़ की बहन मल्लिका रहती हैं.

मुमताज़ स्वीकार करती हैं कि काका राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी काफी लोकप्रिय हुई. साथ ही यह भी कि वह कभी उनके काफी करीब थे.

आप अक्सर मुंबई आती रहती हैं, इन दिनों आपके सबसे ज्यादा अच्छे संबंध किससे हैं ?

यह पूछने पर मुमताज़ हँसते हुए कहती हैं, ''मेरे संबंध सभी से अच्छे रहे हैं लेकिन मैं अपने पुराने हीरो में किसी से ख़ास मिलती नहीं. मैं बहुत ही स्वाभिमानी महिला हूँ. मैं ऐसे ही किसी के घर मिलने नहीं चली जाती.''

''कोई मुझे अच्छे से बुलाता ही तो मैं जरूर जाती हूँ. अभी पीछे मुझे शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पत्नी पूनम के जन्मदिन पर बुलाया तो मैं उनके यहाँ गयी. मेरे पड़ोस में अंजू महेंद्रू भी मेरी अच्छी दोस्त है.''

धर्मेंद्र दिल से करेंगे स्वागत
वो कहती हैं, ''हाँ, फ़िल्म इंडस्ट्री में मेरे पुराने हीरो में धर्मेन्द्र जी जरूर एक ऐसे इंसान हैं जिनके घर मैं चाहे कभी भी जाऊं तो वह मेरा खुले दिल से स्वागत करेंगे. हाल में मैं उनसे मिलने गयी तो वह मिलकर बहुत खुश हुए.''

जब हाल ही में धर्मेंद्र जी से बात होने पर मैंने उन्हें बताया कि मुमताज़ आपकी काफी तारीफ कर रही थीं तो वह बोले, "ओह येस वह खुद ही बहुत अच्छी है. उसके साथ मैंने कुछ अच्छी फिल्में की हैं.''

जब मुमताज़ से मैंने उनकी फिटनेस का राज़ जानना चाहा तो वह बोलीं,''मैं अपने खान पान का बहुत ख्याल रखती हूँ. सिर्फ डायट फूड लेती हूँ. ड्रिंक्स नहीं करती. मुझे पहले ईरानी बिरयानी बहुत पसंद थी लेकिन अब बिरयानी जैसी चीज़ें खाना छोड़ दिया है.''

''मेरा मानना है अल्लाहताला ने यह ज़िंदगी दी है तो इसे खूब एंजॉय करो. हम फिट रहेंगे तो खूबसूरत भी लगेंगे और कहीं भी घूम फिर सकेंगे. अच्छे अच्छे कपड़े पहन सकेंगे. नहीं तो घर में ही पड़े रहेंगे. न कहीं जा सकेंगे, ना आ सकेंगे.''

शिखर पर रहते लिया संन्यास
मुमताज़ के करियर का विश्लेषण करें तो उन्होंने अपने करियर में कुल लगभग 100 फ़िल्में कीं. जिनमें लगभग 60 फिल्में हिट या सुपरहिट रहीं. जहां 'रूप तेरा मस्ताना' में मुमताज़ ने डबल रोल भी किया. वहीं 'खिलौना' फ़िल्म के लिए मुमताज़ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला.

मुमताज़ ने जब 1974 में मयूर मधवानी से शादी करके फिल्मों को अलविदा कहा था तब उनका करियर पीक पर था. 'चोर मचाये शोर', 'रोटी' और 'आपकी कसम' जैसी उनकी तीन सुपर हिट फिल्में उसी साल रिलीज हुईं थीं.

जबकि 'प्रेम कहानी' और 'नागिन' उनकी शादी के बाद 1975-1976 में प्रदर्शित हुईं. उधर बतौर नायिका मुमताज़ की आखिरी और यादगार फिल्म 'आइना' 1977 में प्रदर्शित हुई.

'जो हूं दर्शकों की बदौलत हूं'
शादी के 13 साल बाद मुमताज़ ने बस एक ही फिल्म की 'आंधियां'. निर्माता पहलाज निहालानी की 1990 में रिलीज इस फ़िल्म में शत्रुघ्न सिन्हा उनके साथ थे लेकिन तब तक मुमताज़ का चेहरा मोहरा काफी बदल चुका था. फिर वह फिल्म चली भी नहीं. तब से अब तक मुमताज़ फ़िल्मों से पूरी तरह दूर हैं.

इसलिए उनसे पूछना बनता है कि अब आपका मन फ़िल्मों में लौटने को क्या कभी नहीं करता?

इस पर मुमताज़ ने जवाब दिया, ''मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता कि मैं फिर से फ़िल्मों में काम करूँ क्योंकि मेरे प्रशंसक मुझे 48 साल बाद भी भूले नहीं हैं. मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूँ कि आज भी मुझे लोग इतना प्यार करते हैं. इसके लिए मैं अपने तमाम दर्शकों को धन्यवाद देना चाहती हूँ. मैं जो कुछ भी हूँ उन्हीं की बदौलत हूँ.''

वो कहती हैं, ''हाँ, कल क्या हो यह कुछ पता नहीं क्योंकि अपने हाथ में कुछ नहीं. इंसान ऊपर वाले के हाथों की कठपुतली है. जो मुकद्दर में लिखा है वही मिलना है. किसे पता था कि मैं फिल्मों के सारे हीरो छोड़कर मयूर मधवानी से शादी करूंगी. मेरे साथ मेरे हीरो रहे फिरोज़ खान के बेटे से कभी मेरी बेटी की शादी होगी और वह मेरे समधी बनेंगे.'' (bbc.com)

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