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फेसबुक पर मुख्यत: तीन प्रकार के लोग
02-Aug-2022 4:04 PM
  फेसबुक पर मुख्यत: तीन प्रकार के लोग

-अप्पू झा अपूर्वा
आपको फेसबुक पर मुख्यत: तीन प्रकार के लपहला- जो आपकी एक गलती के इंतजार में बैठे रहेंगे जैसे आपसे कोई गलती हुई। ये चिल्ला उठेंगे। सार्वजनिक रूप से कमेंट करेंगे। बहस करने लगेंगे। जो नहीं भी जानते है उनको टैग कर के बताएँगे। ऐसे लोगों से उचित दूरी बना कर रखना चाहिए।

दूसरा - ये तमाशबीन होंगे। इन्हें आपके अच्छे-बुरे से कोई मतलब नहीं है। ये पोस्ट पसन्द आने पर लाइक या कमेंट करेंगे या चुपचाप रह जाएंगे। इनका होना या ना होना आपके लिए कोई महत्व नहीं रखता है।

तीसरा - कभी-कभी भावावेश या अज्ञानता की वजह से लोग कुछ ऐसा पोस्ट कर देते है। जो बाद में जी का जंजाल बन जाता है। ऐसे लोग सार्वजनिक रूप से बात नहीं करेंगे लेकिन अकेले में या इनबॉक्स में आकर आपको बताएँगे। ये आपके लिए संपत्ति की तरह हैं, इन्हें सहेज कर रखिये।

आप कहेंगे कि मैं सुबह-सुबह क्यों ज्ञान देने के लिए बैठ गया। हुआ यूं कि मैंने किसी पोस्ट में कटिहार को कतिहार लिख दिया तो क्चड्डड्ढद्बह्लड्ड मैडम ने मुझे इनबॉक्स में गलती की सूचना दी। मैंने इसे ठीक कर दिया। तब तक इस पोस्ट पर चार सौ से ज्यादा लाइक आ चुके थे। ये बात बहुतों के नजरों से गुजरी होगी। आप कह सकते है कि ये तो बहुत छोटी और सामान्य बात है। लेकिन दोस्तों जो लोग बड़े होते है वो छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखते है। ये चीज ही उनको बड़ा बनाती है। एक बात और मैडम से ना तो मेरी कभी कोई औपचारिक मुलाकात है ना कभी कोई बात हुई है।

हाँ, एक बार भले अनौपचारिक रूप से साल या दो साल पहले कटिहार से पटना जाते समय एक बार कटिहार पटना इंटरसिटी ट्रेन में इनसे मुलाकात हुई थी। हुआ यूं कि इनका दो एसी चेयर कार इनके और हसबैंड के नाम पर रिजर्व था। और वो शायद नहीं आ सके तो ये अपने बच्चे के साथ यात्रा कर रही थी। टीटी ने आकर इन्हें टोक दिया और गलत टिकट का हवाला दिया। मैडम को लगा होगा कि मैंने तो रेलवे को दो सीट के पैसे दिए ही हैं। अब हसबैंड किसी कारणवश नहीं आ सके तो मैं अपने बच्चे के साथ यात्रा कर रही हूं। इसमें क्या दिक्कत है। जो कि किसी भी सामन्य समझ वाले व्यक्ति के नजर में सही है, लेकिन रेलवे के नजर में ये गलती मानी जाती है। इसी को लेकर बहस होने लगा। दोनों लोग अड़ गए। बहस विवाद का रूप लेने लगा। मैं इनसे दस बारह सीट आगे बैठा हुआ सबकुछ सुन रहा था। मुझे लगा कि अब अगर इस विवाद को नहीं रोका गया तो दिक्कत आ सकती है। मेरे अंदर का फेसबुक मित्र जाग गया। मैं अपनी सीट से उठा और टीटी जो कि एक रेलकर्मी होने के कारण मेरे पूर्व परिचित ही थे। उन्हें शांत करवाया और इन्हें भी शांत होने को कहा। मेरे हस्तक्षेप के बाद दोनों जन शांत हुए। बस वही जो पाँच दस मिनट की हमारी मुलाकात थी।

उसके बाद मैं वापस अपनी सीट पर आकर बैठ गया। हाँ, एक बात और इनकी सोशल मीडिया की लोकप्रियता देखकर मैंने इनसे एक बार अपने कानूनी सलाह पेज की प्रमोशन करने की गुजारिश की थी। जो इन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया था। जिससे मेरी पेज की पहुंच में कुछ इजाफा हो गया।

 

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