सामान्य ज्ञान
उत्तरकाशी जिला मे यमुना की सहायक रुपिन और सूपिन नदियों के आस-पास फतेह पर्वत की गोद में बसा क्षेत्र हर की दून कहलाता है। यह उच्च हिमालय के निकट स्थित एक अत्यन्त दुर्गम अंचल है। उत्तर में हिमाचल के किन्नोर और पूर्व मे तिब्बत से सटा हर की दून का इलाका अपने भीतर गोविन्द पशु विहार वन्य जीव अभयारण्य को समेटे है।
यमुनोत्री मार्ग पर नौगांव से बांए मुडक़र यात्री बस द्वारा पुरोला,मोरी होते हुए नेटवाड़ पहुंच कर आगे जीप आदि हल्के वाहनों से सांकरी ग्राम तक जा सकते हैं। इससे आगे का सारा मार्ग जो जितना मनोरम है, उतना ही कठिन भी है, पैदल ही तय करना पड़ता है। यमुना की सहायक सूपिन नदी के किनारे-किनारे तालुका, गन्गाड़, ओस्ला आदि ग्रामीण बस्तियों तथा राजमा, आलू व चौलाई के खेतों के पास से निकलते हुए, कलकत्ती धार नामक थका देने वाली चढा़ई को पार करके अन्त मे यात्री जब हर की दून (यानी ईश्वर की घाटी) में पहुंचता है, तो इस घाटी का अलौकिक सौन्दर्य उसकी सारी थकान मिटा देता है। यहां से लगभग दस किमी आगे स्वर्गारोहिणी पर्वत के चरणों मे स्थित जौंधार ग्लेशियर ही सूपिन नदी का उद्गम है। इस पूरे पैदल यात्रा मार्ग मे गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा उचित मूल्य पर पर्यटकों के लिए रहने-खाने की पर्याप्त व्यवस्था है। पौराणिक मान्यता है कि स्वर्गारोहिणी पर्वत से होकर ही युधिष्ठिर स्वर्ग को गये थे।