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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: फ़ाइनल हारी पर दिल जीती भारतीय महिला क्रिकेट टीम
09-Aug-2022 1:40 PM
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: फ़ाइनल हारी पर दिल जीती भारतीय महिला क्रिकेट टीम

-विधांशु कुमार

बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय टीम का प्रदर्शन शानदार रहा है लेकिन जिस खेल ने करोड़ों चाहने वालों को बांधकर रखा और इन खेलों में टीम ने अपना पहला मेडल जीता वो था क्रिकेट. टूर्नामेंट के पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को तीन विकेट से हराकर झटका दिया. लेकिन इसके बाद भारतीय टीम नए हौसले के साथ खेली और दूसरी टीमों को कोई मौक़ा नहीं दिया.

अपने दूसरे मैच में भारत ने पाकिस्तान को 18 ओवरों मे. महज़ 99 रनों पर रोक दिया. भारत ने ये लक्ष्य आसानी ले आठ विकेट रहते हासिल कर लिया जिसमें स्मृति मंधाना के ताबड़तोड़ 63 रनों का अहम योगदान रहा.

भारत को बारबाडोस के खिलाफ़ भी आसान जीत मिली लेकिन इंग्लैंड को हराकर टीम में टूर्नामेंट जीतने का जज़्बा और मज़बूत हो गया. इंग्लैंड के 160 के बड़े स्कोर का सफल पीछा टीम ने 5 विकेट रहते कर लिया जिसमें एक बार फिर मंधाना के 61 और रॉड्रिग्स के 44 रनों की बड़ी भूमिका रही.

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने ज़बरदस्त खेल दिखाते हुए फ़ाइनल में प्रवेश किया जहां उन्हें ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार मिली. फ़ाइनल में लग रहा था कि भारतीय टीम आगे चल रही है और उन्हें ही जीत मिलेगी लेकिन अनुभवी ऑस्ट्रेलिया को एक मौक़ा मिला और उन्होंने भारत को सिल्वर मेडल पर ही रोक दिया.

भारत की इस हार पर टीम के साथ साथ कई और लोगों के आंसू निकल आए लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व क्रिकेटरों तक ने इन खिलाड़ियों को शाबासी दी.

पीएम ने ट्वीट कर कहा कि 'क्रिकेट और भारत को अलग नहीं किया जा सकता. हमारी लड़कियों की टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेल दिखाया और सिल्वर मेडल जीता.'

वहीं पूर्व खिलाड़ी जैसे सौरव गांगुली, पार्थिव पटेल और इरफ़ान पठान ने भी टीम की जमकर तारीफ़ की. दरअसल ये एक ऐसा टूर्नामेंट था जहां भारतीय टीम किसी एक-दो स्टार खिलाड़ियों की मदद से नहीं जीती बल्कि टीम के सभी खिलाड़ियों ने कही ना कहीं योदगान जरूर दिया.

जब भारतीय महिला क्रिकेट कप्तान को कोच ने जड़ दिया था थप्पड़

इस पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने आक्रामक क्रिकेट के खेल का परिचय दिया. चाहे वो बैटिंग हो या फ़ील्ड प्लेसमेंट, भारतीय टीम का रूख अग्रेसिव ही रहा.

अगर बैटिंग की बात करें तो स्मृति मंधाना का स्ट्राइक रेट उन सभी बल्लेबाज़ों से ज्यादा रहा जिन्होंने टूर्नामेंट में 100 से ज्यादा रन बनाए. मंधाना ने 5 पारियों में 39.75 के औसत से 159 रन बनाए जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 151.42 का रहा.

वहीं शेफ़ाली वर्मा ने 144 की स्ट्राइक रेट से 133 रन बनाए. कप्तान हरमनप्रीत ने 4 पारियों में 134 रन बनाए जे रॉड्रिग्स ने 73 के औसत से 146 रन बनाए जिसमें 56 नाबाद की पारी शामिल थी.

ये रिकॉर्ड्स बताते हैं कि भारतीय टॉप ऑर्डर ने खुलकर बल्लेबाज़ी की और तेज़ रन बनाकर विपक्षी टीम के गेंदबाज़ों पर दबाव बढ़ाया.

यही नहीं, टीम ने विरोधी टीम के स्लेजिंग का जवाब भी लगातार दिया. इय तरह टीम ने दिखा दिया की ये नई इंडिया की टीम है जो किसी के आगे झुकेगी नहीं.

इस टूर्नामेंट में एक और क्षेत्र जहां भारतीय महिलाओं ने प्रभावित किया वो था फ़ील्डिंग. चाहे वो आउटफ़ील्डिंग हो या फिर कैच पकड़ना, टीम ने शायद ही कोई ग़लती की.

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ फ़ाइनल में राधा यादव ने दो विकेट अकेले अपने फ़ील्डिंग के दम पर लिए.

खेल के 11वें ओवर में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की लैनिंग को शानदार तरीके से नॉन स्ट्राइकर एंड पर रन आउट किया. पहले तो उन्होंने स्ट्राइकर बल्लेबाज़ मूनी के तेज़ शॉट को रोका और फिर अपनी टांगो के बीच से गेंद को स्टंप्स पर रिवर्स फ्लिक कर फेंका जिससे लैनिंग रन आउट हो गई क्योंकि उनका बल्ला हवा में था.

अगले ही ओवर में उन्होंने पॉइंट पर फ़ुल लेंथ डाइव कर टाहिला मैक्ग्रॉ का ज़बरदस्त कैच लपका.

टूर्नामेंट में उनके अलावा दूसरे फ़ील्डर्स ने भी अपने दम पर मैच का रूख बदला. टूर्मानेंट में सबसे ज्यादा कैच लेने की लिस्ट में दीप्ति शर्मा और राधा यादव 4-4 कैचों के साथ सबसे उपर रहीं.

वहीं टूर्नामेंट में बॉलिंग की बात करें तो रेणूका सिंह विकेट लेने वाले खिलाड़ियों की सूची में सबसे उपर रहीं. उन्होंने 9.45 की औसत से 11 विकेट लिए. रेणूका ने दो बार पारी में 4-4 विकेट लिए जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ लीग मैच भी शामिल था. वहीं ऑफ़ स्पिनर स्नेह राणा ने 12 की औसत से 8 विकेट लिए और मैकग्रा के साथ संयुक्त रूप से दूसरे नंबर पर रहीं.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ फाइनल में भारत को 162 रन का टारगेट मिला. शेफाली वर्मा ने पहले ही ओवर से चोकौं की झड़ी लगा दी लेकिन कहीं न कहीं यही आक्रामकता टीम को ले डूबी. मंधाना एक गलत शॉट खेलते हुए आउट हुई.

भारत ने जल्दी दो विकेट और खो दिए लेकिन पारी को संभाला कप्तान हरमनप्रीत और रॉड्रिग्स ने.

दोनों ने 96 रनों की पारी की और जब साझेदारी टूटी तब टीम को 34 गेंदों में 44 रन बनाने थे और 7 विकेट हाथ में थे.

लेकिन गार्ड्नर की ओवर में भारत ने पूजा वस्त्रारकर और हरमनप्रीत का विकेट खो दिया और इसके बाद टीम संभल नहीं सकी. एक समय स्कोर का सफल पीछा करने के काबिल दिखने वाली टीम इंडिया 9 रनों से मैच हार गई.

पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफ़ान पठान ने भी ट्वीट किया कि उन्हें लगा था मैच भारतीय टीम के हाथ में हैं जिसे उन्होंने गंवा दिया, फिर भी सिल्वर मेडल लाना कोई छोटी बात नहीं है.

पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने ट्वीट किया कि भारतीय टीम ने बेहद खराब बैटिंग की और जीता हुआ मैच हार गई.

भारतीय टीम फाइनल मैच तो हार गई लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने टीम की खूब तारीफ़ की.

फ़ाइनल से पहले भारतीय टीम की कप्तान हरमनप्रीत ने कहा था कि अगर टीम गोल्ड जीत जाती है तो भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य बदल जाएगा.

हालांकि टीम गोल्ड नहीं जीत सकी लेकिन खेल में ये भी बड़ी सीख है कि किस तरह मैच पर पकड़ बनाए रखना होता है और जो बल्लेबाज़ सेटल होकर खेल रहे हैं उनकी जिम्मेदारी मैच जिताने की होती है.

भारतीय टीम की खिलाड़ियों ने दिखाया है कि वो फास्ट लर्नर्स है.

ऑस्ट्रेलिया ने वनडे वर्ल्ड कप, 20-20 विश्व कप और अब कॉमनवेल्थ गेम्स का गोल्ड जीतकर साबित कर दिया है कि वो दुनिया की नंबर एक टीम है. भारतीय टीम की निगाहें कंगारुओं को इसी गद्दी से उतारने की है. (bbc.com)

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