सामान्य ज्ञान
बैकवाटर्स नदियों के मुहाने के उन स्थानों पर बनते हैं जहां नदियों का तल समुद्र तल के लगभग बराबर हो। ऐसे में ज्वार उठने पर खारा समुद्री जल नदी की धारा के साथ साथ काफी पीछे तक चला जाता है। रेतीले तट और लहरें नदी के पन्वाह को समुद्र में मिलने से रोक देती हैं जिससे नदी के मुहाने में पानी का पन्वाह स्थिर सा हो जाता है। ज्वार अवधि के पूरा होने पर भी यह जल बहुत धीरे-धीरे ही सागर में मिल पाता है या फिर से ज्वार आने पर मिल पाता है। इससे नदी का मुहाना भी एक बार खारे पानी से भर जाता है।
ऐसी ही जगहों पर मैन्गनेव उगते हैं। यानी समुद्र तटों के किनारे उगने वाली वनस्पति जिनमें झाडिय़ां भी होती हैं तो छोटे-बड़े वृक्ष आदि भी। मैन्गनेव बैकवाटर्स, नदी के मुहानों, कुछ खाडिय़ों व समुद्र के किनारे पर ही मिलते हैं। मसलन केरल में, जहां पर अनेक स्थानों पर बैकवाटर्स तो हैं लेकिन वहां बैकवाटर्स में मैन्गनेव देखने में नहीं आते हैं। फिर भी केरल के बैकवाटर्स अपने आप में सुन्दर हैं जो वहां के पर्यटन का मुख्य आधार हैं।