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सुरक्षा परिषद में चरमपंथियों पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव पर चीन की रोक दुर्भाग्यपूर्ण: भारत
12-Aug-2022 8:34 PM
सुरक्षा परिषद में चरमपंथियों पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव पर चीन की रोक दुर्भाग्यपूर्ण: भारत

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के उप-प्रमुख अब्दुल रऊफ अज़हर सहित कई चरमपंथियों पर प्रतिबंध लगाकर वैश्विक चरमपंथी करार देने वाले प्रस्ताव पर चीन द्वारा लगाई गई तकनीकी रोक को भारत ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

इस प्रस्ताव को भारत और अमेरिका ने पेश किया था, जिस पर विचार करने की बात कहकर चीन ने रोक लगा दी. दो महीनों से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब चीन ने इस प्रस्ताव पर रोक लगाई है.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को इस पर अपनी चिंता ज़ाहिर की है.

उन्होंने कहा, "जैश-ए-मोहम्मद का उप-प्रमुख अब्दुल रऊफ अज़हर आतंकवाद की कई घटनाओं में लगातार शामिल रहा है. चाहे 1999 में इंडियन एयरलाइंस का अपहरण हो या 2001 में संसद पर हुए हमला, या 2014 में कठुआ आर्मी कैंप और 2016 में पठानकोट के वायुसेना बेस पर हुए हमले."

अरिंदम बागची ने आगे कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया के चुनिंदा कुख्यात आतंकवादियों से जुड़े सच्चे और साक्ष्यों पर आधारित प्रस्ताव रोक दिए जा रहे हैं. दोहरे मानक और राजनीतिकरण के चलते प्रतिबंध लगाने वाली समिति की विश्वसनीयता अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है."

"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई की बात आती है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक साथ मिलकर आवाज़ उठाने में असमर्थ रहा है. 9 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने खुली बहस में ये मुद्दा उठाया है."

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन द्वारा तकनीकी रोक लगाए जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है, "यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर संयुक्त राष्ट्र में हमारे स्थायी प्रतिनिधि ने बयान देकर अपनी चिंता को विस्तार से उठाया है. हमने दुख के साथ गौर किया है कि लिस्टिंग प्रस्ताव पर लगी ये रोक अब्दुल रऊफ अज़हर के लिए लगाई गई है."

ताइवान पर क्या कहा?

वहीं ताइवान के मौजूदा हालात पर बागची ने कहा, "कई अन्य देशों की तरह भारत भी हाल के घटनाक्रमों से चिंतित है. हम संयम बरतने, स्टेटस बदलने के लिए होने वाली एकतरफा कार्रवाई से बचने, तनाव कम करने और इलाके में शांति और स्थिरता बनाए रखने का प्रयास करने का आग्रह करते हैं."

अरिंदम बागची के अनुसार, "भारत की प्रासंगिक नीतियां सबको पता है और वो अभी भी है. उन्हें दोहराने की ज़रूरत नहीं है." (bbc.com)

 

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