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नहीं थम रहे मानव तस्करी के मामले, अकेले कुवैत में इस साल 1637 शिकायतें मिली
14-Aug-2022 12:23 PM
नहीं थम रहे मानव तस्करी के मामले, अकेले कुवैत में इस साल 1637 शिकायतें मिली

संकेत पाठक 

14 अगस्त | मानव तस्करी दुनिया भर के साथ साथ भारत की भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। हर साल देश में मानव तस्करी से जुड़े हजारों मामले सामने आते हैं। खासकर महिलाओं और बच्चों से जुड़ी मानव तस्करी सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनी हुई है। भारत सरकार के एक जवाब में खुलासा हुआ है, कि साल 2022 में जून तक अकेले कुवैत में भारतीय मिशन को घरेलू कामगारों द्वारा 1637 शिकायतें मिली हैं।


एक रिपोर्ट में गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने जानकारी दी है कि उनके पास महिलाओं को खाड़ी देशों में नौकरी का झांसा देकर ले जाये जाने के संबंध में कोई विशिष्ट जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन विदेशों में काम कर रहे भारतीय मिशनों को मानव तस्करी से जुड़ी कई शिकायतें जरूर प्राप्त हुई हैं।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बहरीन स्तिथ भारतीय मिशन को साल 2021 में 4 तो वहीं साल 2022 में अभी तक मानव तस्करी की 9 शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। वहीं अकेले कुवैत में भारतीय मिशन को साल 2021 में घरेलू कामगारों द्वारा 2,390 शिकायतें मिली थी, जबकि इस साल 2022 में जून तक 1,637 शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं। इन सभी को बिना उपयुक्त दस्तावेजों के खाड़ी देशों में भेजा गया था। अन्य देशों में ये आकंड़े और बढ़ सकते हैं।

जानकारी के मुताबिक मानव तस्करी के सबसे ज्यादा मामले खाड़ी देशों से जुड़े होते हैं।

मानव तस्करी के मामलों में अभी भी पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाया है। हालांकि 2016 के मुकाबले भारत में मानव तस्करी के मामलों में 25 फीसदी तक कमी आई है, लेकिन दूसरी तरफ इसका कनविक्शन रेट भी कम हुआ है। साल 2016 में जो कनविक्शन रेट 27.8 फीसदी था, वो साल 2020 में 10.6 फीसदी रह गया। यही सारी वजहें हैं कि अमेरिकी सरकार ने अपनी सालाना रिपोर्ट में साल 2022 के लिए भारत को मानव तस्करी के मामले में टीयर-2 श्रेणी में रखा है। ये श्रेणी उन देशों के लिए होती है, जहां की सरकारों में मानव तस्करी रोकने के मानकों का पूरी तरह पालन नहीं हो पा रहा है।

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम की साल 2020 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, मानव तस्कर 20 प्रतिशत पुरुषों और 46 प्रतिशत महिलाओं को अपना निशाना बनाते हैं। इनमें भी 15 फीसदी बच्चे और 19 फीसदी बच्चियां शामिल हैं। ये आंकड़े 135 देशों के पीड़ितों का विश्लेषण कर सामने लाए गए हैं।

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने हाल ही में देश के सभी हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि वो मानव तस्करी को लेकर न्यायिक सेमिनार आयोजित करे, ताकि न्यायिक अधिकारियों को मानव तस्करी जैसे अपराध के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके। देश के सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल हाल में भेजे गए एक पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा है, कि मानव तस्करी के शिकार लोगों को अक्सर वेश्यावृत्ति, जबरन विवाह और मानव अंग के व्यापार समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस विषय पर चर्चा की जानी चाहिए।

मानव तस्करी के मामलों में अक्सर विदेशों में नौकरी का झांसा देकर लोगों को अवैध तरीके से विदेश भेजा जाता है। वहां पर महिलाओं और बच्चों से घरेलू काम करवाने के अलावा वेश्यावृत्ति तक में धकेल दिया जाता है। इसको लेकर प्रवासी कामगारों के हितों में सरकार ने कई उपाय भी किए हैं। भारत सरकार ने ऐसे देश जहां सबसे ज्यादा लोगों को भेजा जाता है, उन देशों के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यही नहीं 24/7 हेल्पलाइन और पोर्टल का गठन भी किया गया है।

भारत में मानव तस्करी से निपटने के लिए देश में लगभग 330 से अधिक जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयां सक्रिय हैं, जो देश के अंदर तथा बाहरी मानव तस्करी पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय, केंद्रीय श्रम तथा रोजगार मंत्रालय एवं केंद्रीय विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम करती हैं। इसके अलावा कई कानून भी बने हैं, जैसे अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के माध्यम से भारतीय दंड संहिता की धारा 370 और 370 (अ) में मानव तस्करी से निपटने हेतु उपयुक्त प्रावधान किये गए हैं। (आईएएनएस)|

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