अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने एक बार फिर भारत की "स्वतंत्र विदेश नीति" की प्रशंसा की है. उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस से तले ख़रीदने के मसले पर अमेरिकी दवाब को नज़रअंदाज़ करने की भी तारीफ़ की.
इमरान ख़ान पाकिस्तान की 75वीं वर्षगांठ पर लाहौर में हुई अपने पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ की रैली में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि अमेरिका के लगातार दवाब के बावजूद भारत रूस से सस्ता तेल ख़रीदने पर अडिग रहा. इमरान ख़ान ने कहा कि भारत ने रूसी तेल इसलिए ख़रीद क्योंकि ऐसा करना लोगों के हित में है, लेकिन पाकिस्तान की शहबाज़ शरीफ़ की सरकार कहती है कि पाकिस्तान के लिए बिना अमेरिकी समर्थन के जीना संभव नहीं है.
इमरान ख़ान ने रैली के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक प्रेसवार्ता का वीडियो प्ले किया और कहा, "भारत के विदेश मंत्री को हुक्म दिया कि आप रूस से तेल न ख़रीदें. हिंदूस्तान अमेरिका का 'रणनीतिक सहयोगी' है.हमारा कोई अमेरिका के ख़िलाफ़ एलांयस नहीं है. इसके बावजदू देखें रूस से तेल ख़रीदने को मना करना पर उनके विदेश ने क्या कहा."
इसके बाद इमरान ख़ान ने रैली के एक बड़े स्क्रीन पर जून 2022 का भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का एक वीडियो चलाया.
ये वीडियो स्लोवाकिया में हई 'ग्लोबसेक-2022 ब्रातिस्लावा फ़ोरम' का था. रूस से तेल ख़रीदने के विषय पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा था कि कोई भी देश भारत को अपने लोगों के लिए एक बेहतर डील करने से कोई नहीं रोक सकता. एस जयशंकर के इस जवाब ने भारत समेत दुनिया भर के मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं.
रविवार को वीडियो चलाने के बाद इमरान ख़ान ने कहा, "ये होता है आज़ाद मुल्क. हमारे यहाँ इंपोर्टड हुकूमत जब आई, तब तक हमने रूसियों से सस्ता तेल लेने की बात कर ली थी. लेकिन इनकी हिम्मत नहीं थी कि (अमेरिका से) कहें कि हमारे लोग महंगाई झेल रहे हैं."
इमरान ख़ान ने पाकिस्तानी की शहबाज़ शरीफ़ सरकार पर हमला करते हुए कहा, "वो हिंदुस्तान जो हमारे साथ आज़ाद हुआ था, उनमें इतनी ख़ुद्दारी है कि वो अपने लोगों की ज़रुरतों के मुताबिक अपनी फ़ॉरेन पॉलिसी बनाते हैं. तो ये हमारे कौन (शहबाज़ शरीफ़ सरकार की तरफ़ संकेत) आ गए हैं जो उनके पैरों में लेटे हुए हैं."
क्रिकेट से सियासत में आए 69 वर्षीय इमरान ख़ान की राजनीतिक पार्टी पिछले महीने पाकिस्तान संसद में अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी. उसके बाद विपक्षी की सरकार अस्तित्व में आई जिसने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के भाई शहबाज़ शरीफ़ को प्रधानमंत्री बनाया था. लेकिन इमरान ख़ान ने बार-बार दोहराया है कि उनकी सरकार गिराने के पीछे अमेरिका का हाथ है क्योंकि उनकी सरकार एक स्वतंत्र विदेशी नीति अपना रही थी.
ये पहली बार नहीं है कि जब पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ (पीटीआई) के चेयरमैन ने एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने के लिए भारत की तारीफ़ की हो.
इसी वर्ष मई के महीने में उन्होंने भारत को स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की प्रशंसा करते हुए कहा था कि अमेरिका की हिम्मत नहीं है कि वो भारत को डिक्टेट करे क्योंकि भारत एक आज़ाद मुल्क़ है.
उस वक़्त इमरान ख़ान ने कहा था, "भारत रूस से तेल और हथियार ख़रीद रहा है लेकिन अमेरिका उसको कुछ नहीं बोलता क्योंकि भारत एक आज़ाद मुल्क़ है. भारत ईरान के साथ भी व्यापार करता है लेकिन अमेरिका इसपर भी कोई आपत्ति नहीं जताता."
इमरान ख़ान सत्ता खोने के बाद सारे पाकिस्तान में बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे हैं. उन्हें सुनने आ रही भारी भीड़ से वर्तमान में सत्तारूढ़ गठबंधन अक्सर असहज दिखा है.
रैलियों के दौरान इमरान ख़ान मौजूदा पाकिस्तान सरकार पर रूस से तेल ख़रीदने के विषय में अमेरिकी दवाब के आगे झुकने के आरोप लगाते रहे हैं. साथ ही वे दोहराते रहे हैं कि उनकी सरकार गिराने के पीछे अमेरिका का हाथ था.
पाकिस्तान की 75वीं वर्षगांठ के दौरान लाहौर में अपनी स्पीच के दौरान इमख़ान ख़ान ने फिर कहा, "अगर भारत अपने लोगों की हितों की रक्षा कर सकता है तो पाकिस्तान सरकार भी ऐसा क्यों नहीं कर सकती."
इमरान ख़ान ने कहा कि वो एंटी-अमेरिकन नहीं है और अमेरिका के साथ दोस्ताना रिश्ते चाहते हैं लेकिन उनका ग़ुलाम नहीं बनना चाहते. उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके सम्मानजनक संबंध थे.
इमरान ख़ान ने दावा किया, "आप पाकिस्तान-अमेरिकन समुदाय में किसी से भी पूछ लें. ट्रंप ने मुझे जो प्रोटोकोल दिया वो मुझसे पहले किसी को नहीं मिला था. रैली के दौरान इमरान ने अपनी पार्टी का असली आज़ादी का रोडमैप भी पेश किया. हक़ीक़ी आज़ादी नाम के इस रोडमैप का उद्देश्य शहबाज़ शरीफ़ सरकार को काउंटर करते हुए जल्द संसदीय चुनाव करवाना है. (bbc.com)