विचार / लेख
पुस्तक सार
-लक्ष्मण सिंह देव
1975 तक नंदा देवी भारतीय कब्जे वाले क्षेत्र की सबसे ऊंची पर्वत चोटी थी। 1975 में सिक्किम के भारत में विलय के बाद कंचनजंगा हो गयी।नंदा देवी एक ऐसा पर्वत है जिस पर आरोहण करने से भी ज्यादा मुश्किल साबित हुआ उसकी घाटी में पहुंचना। पहली बार नन्दा देवी नेशनल पार्क में एरिक शिप्टन एवम तिलमैन पहुंचे। नन्दा देवी गवाल इलाके में है और नंदा देवी की पवित्र पर्वत एवम देवी के रूप में भी मान्यता भी है।
नंदा देवी नेशनल पार्क में सिर्फ प्रवेश करने में 50 साल तक प्रयास चलते रहे। दर्जन भर अभियानों के बाद 1934 में ब्रिटिश नागरिक शिप्टन एवं टिलमैन 3 नेपालियों की सहायता से वहां पहुंच पाए।नन्दा देवी पार्क की लोकेशन ऐसी है कि उस पर किसी इंसान का प्रवेश करना बहुत मुश्किल है। यह इलाका चारों ओर से 6 हजार मीटर ऊंचे पहाड़ों से घिरा है जिन्हें पार करना बहुत मुश्किल था, सिर्फ एक छोटा रास्ता ऋषि गंगा खोह के पास है। उसे ढूंढने में 50 साल से भी ज्यादा समय लग गया।
कहा जाता है कि नंदा देवी पार्क में प्रवेश अभियान, उत्तरी ध्रुव पर जाने वाले अभियान से भी दुष्कर एवम कठिन था। एवरेस्ट पर चढऩे वाले पहले इंसान एडमंड हिलेरी ने भी कहा कि नन्दा देवी पर चढऩा एवरेस्ट से ज्यादा मुश्किल है। 1935 में टिलमैन ने इस पर सफलतापूर्वक आरोहण किया।
किताब में जिक्र है कि एक बार बद्रीनाथ धाम के महारावल (मुख्य पुजारी) ने शिप्टन को बताया कि पहले जमाने मे एक ऐसा पुरोहित होता था जो एक ही दिन में बदरीनाथ एवम केदारनाथ दोनों जगह पूजा करवा देता था। दोनों धामों के बीच 35 किलोमीटर की दूरी है, लेकिन ग्लेशियर एवम ऊंचे पहा? हैं। शिप्टन एवम टिलमैन ने बद्रीनाथ से केदारनाथ तक यात्रा उसी कल्पित मार्ग से करने की सोची कि क्या यह संभव है कि कोई व्यक्ति पैदल एक ही दिन बदरीनाथ से केदारनाथ पहुंच जाए। वे पहुंच तो गए लेकिन बहुत ज्यादा मुश्किल हुई क्योंकि ग्लेशियर एवं ऊंचे पहाड़ थे।
शिप्टन ने किताब में लिखा है कि दोनों धाम पहले बौद्ध धर्मस्थल थे जिन पर शंकराचार्य ने हिन्दुओं का कब्जा करवा दिया। शिप्टन ने बद्रीनाथ के मार्ग में तीर्थ यात्रियों के द्वारा गंदगी करने पर हैजा फैलने का जिक्र किया है और यह भी लिखा है कि सरकार ने उस समय कुछ गांवों में पाइप से साफ पानी भिजवाने का इंतेजाम किया जिससे लोग बीमार न हो।