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बिलकिस बानो गैंगरेप: जब गुजरात के सिंहवाड़ा में दोषियों की रिहाई पर मना जश्न- ग्राउंड रिपोर्ट
19-Aug-2022 8:45 AM
बिलकिस बानो गैंगरेप: जब गुजरात के सिंहवाड़ा में दोषियों की रिहाई पर मना जश्न- ग्राउंड रिपोर्ट

-रॉक्सी गागडेकर छारा

गुजरात के सबसे जघन्य अपराधों का इतिहास देखें तो रंधिकपुर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. ये जगह साल 2002 में बिलकिस बानो गैंगरेप केस की वजह से कुख्यात है.

यहां तीन मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के 14 सदस्यों को मार दिया गया था. मृतकों में बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी.

इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी जिसके बाद 2008 में बॉम्बे सत्र अदालत ने 11 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

15 अगस्त, 2022 को गोधरा जेल में सज़ा काट रहे इन 11 क़ैदियों को गुजरात सरकार की सज़ा माफ़ी की नीति के तहत रिहा कर दिया गया है.

इसके बाद जब ये लोग अपने गांव सिंहवाड़ा पहुंचे तो वहां स्थानीय लोगों ने मिठाई बांटकर इनका स्वागत किया.

कई लोगों ने अपने घरों पर ऊंची आवाज़ में संगीत बजाकर डांस करते हुए जश्न मनाया. वहीं, कुछ लोग इस मौके पर अपने चेहरों पर हल्दी का टीका लगाए हुए दिखे.

रिहा किए गए 11 लोग बीते 15 सालों से जेल में थे और इनमें से कुछ लोग बीते 18 सालों से जेल में थे.

गुजरात का सिंहवाड़ा गांव किसी आम गांव से बड़ा है लेकिन किसी कस्बे से छोटा है. यहां बड़ी-बड़ी दुकानें और पुलिस स्टेशन है. बिलकिस बानो गैंगरेप केस की वजह से इस गांव ने आसपास के क्षेत्र में एक तरह की प्रसिद्धि हासिल की है.

बीबीसी की टीम बीते 15 अगस्त को बलात्कार के मामले में सज़ा काटने वाले व्यक्ति के घर पहुंची थी.

यहां हमें हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें नज़र आईं. इसके बाद हमें माथे पर चंदन लगाए हुए एक शख़्स नज़र आया जिसने कहा कि वह किसी भी रिपोर्टर से बात नहीं करना चाहता.

हालांकि, इसके बाद भी वह खुद को ये कहने से नहीं रोक पाया कि उसने मीडिया ट्रायल की वजह से जेल में 15 साल काटे हैं. इस व्यक्ति के घर पर आरएसएस संस्थापक एमएस गोलवलकर और डॉ. केबी हेडगेवार की तस्वीरें थीं. और आरएसएस द्वारा परिभाषित भारत माता की तस्वीर भी थी.

मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कम से कम दो लोगों ने पत्रकारों से बात की है. राधेश्याम साही उनमें से एक हैं. साही की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को एक कमेटी बनाकर बिलकिस बानो केस में दोषी 11 लोगों को रिहा करने पर विचार करने के लिए कहा था.

इंडिया टीवी से बात करते हुए साही ने कहा है कि उन्हें तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा ग़लत तरह से फंसाया गया था. उन्होंने कहा कि ये राज्य और केंद्र सरकार का संघर्ष था जिसमें वो फंस गए.

साही भी सिंहवाड़ा गांव के ही रहने वाले हैं. इस मामले के एक अन्य दोषी गोविंद रावल ने कहा है कि उन्हें सिर्फ इस वजह से फंसाया गया क्योंकि वह एक हिंदूवादी संगठन से जुड़े थे.

वायरल वीडियो में साही कहते दिख रहे हैं कि वह रिहा होकर खुश हैं और अपनी ज़िंदगी फिर शुरू करेंगे.

क्या कहते हैं गाँव वाले
बीबीसी ने इस गांव में रहने वाले कई लोगों से बात करने की कोशिश की. इनमें से ज़्यादातर लोगों का मानना ये था कि उन्होंने जो कुछ भी किया था, उसके लिए उन्हें काफ़ी सज़ा मिल चुकी है. और अब उन्हें भी जेल से रिहा होने का अधिकार है.

एक दुकानदार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि उन्हें जितनी सज़ा मिली है, उतनी अब तक गांव में किसी को नहीं मिली है, उन्हें मुंबई की जेल में भेजा गया था जिसकी वजह से उनके परिवारों को बहुत दिक्कतें हुईं.

बीबीसी ने साल 2004 से 2011 तक महाराष्ट्र में सत्र एवं उच्च न्यायालय में इन लोगों का केस लड़ने वाले वकील गोपाल सिंह सोलंकी से बात की है.

उन्होंने कहा कि इन्हें रिहा करने में कुछ भी ग़लत नहीं है, ये उनका हक़ है.

जब उनसे पूछा गया कि क्या इतने जघन्य अपराध में दोषी पाए गए लोगों को छोड़ा जाना उचित है.

इस पर उन्होंने कहा कि हमारे यहां सज़ा देने की प्रक्रिया सुधारात्मक सिद्धांत पर टिकी है जिसके तहत जेल में बंद लोगों को अपनी ज़िंदगी एक बार फिर नए ढंग से शुरू करने का मौका मिलना चाहिए.

क्या कहती हैं बिलकिस बानो
गोपाल सिंह सोलंकी के बयान पर टिप्पणी करते हुए अहमदाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता समसाद पठान ने कहा है कि चिंता लोगों को रिहाई मिलने पर नहीं जताई जा रही है, बल्किन इतने जघन्य मामले में सज़ायाफ़्ता कैदियों को छोड़ने पर जताई जा रही है.

वो कहते हैं कि कई लोग अपनी सज़ा काटने के बाद भी रिहाई का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. यही नहीं, कई लोग कम गंभीर अपराधों के लिए भी सालों से जेल में हैं.

हालांकि, बिलकिस बानो ने इन 11 लोगों की रिहाई पर टिप्पणी जारी की है.

मीडिया को जारी किए गए एक बयान में उन्होंने कहा है कि वह और उनका परिवार डर के साये में है.

उन्होंने कहा है, "बीते 20 साल के दर्द ने एक बार फिर मुझे झकझोर दिया है. मेरे पास शब्द नहीं बचे हैं. मैं अभी भी सुन्न हूँ. आज, मैं सिर्फ़ ये कह सकती हूँ कि किसी महिला को मिले न्याय का अंत ऐसे कैसे हो सकता है? मैंने अपने देश की उच्चतम अदालतों पर भरोसा किया था. मैंने व्यवस्था पर भरोसा किया था और मैं धीरे-धीरे अपने दुख के साथ जीना सीख रही थी. इन दोषियों की रिहाई ने मेरा सुकून छीन लिया है और न्याय से मेरा भरोसा भी डिगा दिया है. मेरा ये दुख और डिगता विश्वास केवल अपने लिए नहीं बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही हैं."

इसके साथ ही उन्होंने कहा है, "इतना बड़ा और अन्यायी फ़ैसला लेने से पहले किसी ने भी मेरी सुरक्षा के बारे में नहीं सोचा. मैं गुजरात सरकार से अपील करती हूँ कि वो इस फ़ैसले को वापस लें. मुझे भय के बिना शांति से जीने का मेरा अधिकार लौटाएँ. कृपया मेरे और मेरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें."

बीबीसी से बात करते हुए बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमें घर देने का आदेश देने के बाद भी राज्य सरकार ने अब तक इस आदेश का पालन नहीं किया है और हम अब भी प्रक्रियाओं के पूरा होने का इंतज़ार कर रहे हैं.

सज़ा और रिहाई
साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के पास रनधिकपुर गांव में एक भीड़ ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था. उनकी तीन साल की बेटी सालेहा की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.

21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में 11 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी सज़ा को बरकरार रखा था.

15 साल से अधिक की जेल की सज़ा काटने के बाद दोषियों में से एक राधेश्याम शाह ने सज़ा माफ़ी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को सज़ा माफ़ी के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था.

इसके बाद गुजरात सरकार ने एक कमेटी का गठन किया. इस कमेटी ने मामले के सभी 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करने के पक्ष में सर्वसम्मत फ़ैसला लिया और उन्हें रिहा करने की सिफ़ारिश की.

आख़िरकार 15 अगस्त को इस मामले में उम्रकै़द की सजा भुगत रहे 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया. (bbc.com)

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