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नई दिल्ली, 16 अगस्त । गुजरात के 2002 के बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार कांड के 11 दोषियों को जेल से छोड़ने के विरोध में महिला संगठनों, महिला बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक बयान जारी करके कहा है कि दोषियों की रिहाई वापस हो और उन्हें जेल भेजा जाए.
इस बयान पर 6000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, सईदा हामिद और कविता श्रीवास्तव जैसे जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं.
हस्ताक्षर करने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि एक गंभीर अपराध के मामले में "न्यायपूर्ण कार्रवाई को पलटने की कोशिश" को रोका जाए और देश की सर्वोच्च अदालत इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करे.
तीन मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के 14 सदस्यों को मार दिया गया था. मृतकों में बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी.
इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी जिसके बाद 2008 में बॉम्बे सत्र अदालत ने 11 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
15 अगस्त, 2022 को गोधरा जेल में सज़ा काट रहे इन 11 क़ैदियों को गुजरात सरकार की सज़ा माफ़ी की नीति के तहत रिहा कर दिया गया है.
दोषियों की रिहाई पर बिलकिस बानो ने बयान जारी कर कहा था कि इससे उनका 20 साल पुराना सदमा फिर ताज़ा हो गया है और उनके पास कहने के लिए शब्द नहीं बचे हैं. बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार से इस फ़ैसले को वापस लेने की अपील की थी.
वहीं, कांग्रेस ने दोषियों की सज़ा माफ़ किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा. कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा कि फ़ैसला पीएम मोदी की कथनी और करनी में अंतर दिखाता है. (bbc.com/hindi)