संपादकीय
कर्नाटक में एक और धार्मिक सेक्सकांड सामने आया है। इस बार वहां भारी राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव रखने वाले एक लिंगायत मठ के स्वामी शिवमूर्ति को मठ की आश्रम-स्कूल की नाबालिग दलित छात्राओं के यौन शोषण की शिकायत आने, और मजिस्ट्रेट के सामने इन लड़कियों का हलफिया-बयान हो जाने के बाद यह गिरफ्तारी की गई है। यह मठ कर्नाटक के सबसे ताकतवर मठों में से एक माना जाता है, और कर्नाटक के राजनीतिक दल स्तब्ध हैं कि वे क्या कहें। एक नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वी.एस.येदियुरप्पा ने इसे स्वामी के खिलाफ राजनीतिक साजिश कहा है, और इसे झूठा केस बताया है। हर किसी को डर है कि इस स्वामी की आलोचना करना राजनीतिक रूप से आत्मघाती हो सकता है क्योंकि कर्नाटक में लिंगायत आबादी 17 फीसदी है। जिस तरह बापू कहे जाने वाले आसाराम के अनगिनत राजनेता भक्त थे, उसी तरह लिंगायत मठों के स्वामियों के भी बड़े-बड़े नेता अनुयायी होते हैं। इस स्वामी की तस्वीरें अभी कुछ समय पहले ही कांग्रेस के मुखिया राहुल गांधी को दीक्षा देते हुए सामने आई थीं। खबरें बताती हैं कि लिंगायत मठ जाति व्यवस्था के खिलाफ कुछ सुधारवादी काम भी करते हैं, जिनमें गरीबों के लिए स्कूल चलाने जैसी बातें शामिल हैं। लेकिन अब मठ की ही स्कूल की छात्राओं की यह शिकायत सामने आई है, और इस मामले में हॉस्टल वार्डन की भी गिरफ्तारी हुई है।
यहां यह बात याद रखना चाहिए कि दुनिया भर में धर्म और आध्यात्म से जुड़े हुए बहुत से लोग तरह-तरह के सेक्स-अपराध करते पकड़ाते हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे रहते हैं जो कि अपने धर्म या सम्प्रदाय की परंपराओं के मुताबिक शादियों से दूर रहते हैं। जाहिर है कि देह की जरूरत पर वे जीत हासिल नहीं कर पाते, और अपने कमजोर वक्त में वे पिघलकर किसी पर बिछ जाते हैं। वैटिकन के तहत आने वाले चर्चों में बच्चों के यौन शोषण का बड़ा लंबा इतिहास है, और ऐसी शिकायतों के सुबूत दर्ज हो जाने के दशकों बाद जाकर चर्च ने इन्हें माना, और इनके लिए माफी मांगी। लेकिन चर्च से परे अमरीका में हिन्दू धर्म के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन, इस्कॉन के गुरूकुलों में बच्चों का यौन शोषण अच्छी तरह दर्ज है, और इसके ऊपर गंभीर रिसर्च-लेख भी लिखे गए हैं। लोगों ने हिन्दुस्तान की सडक़ों पर भी इस हरे कृष्ण आंदोलन के ब्रम्हचारियों को गाडिय़ों को रोक-रोककर इस्कॉन की किताबों को बेचते हुए देखा है। अब जिस धर्म या सम्प्रदाय में लोगों के ब्रम्हचारी होने की शर्त हो, वहां पर इस तरह के सेक्स-अपराध होते ही रहते हैं। भारत में कितने ही धर्मगुरू इसी तरह पकड़ाए गए हैं, इनमें सबसे चर्चित तो आसाराम है जिसने अपने सम्प्रदाय की एक स्कूल के छात्रावास की एक नाबालिग लडक़ी से बलात्कार किया था, और वह मामला कई बार सुप्रीम कोर्ट तक जाकर भी आसाराम को जमानत नहीं दिला पाया है, और सजा में मिली कैद जारी है। इसलिए जिस धर्म में जिनके ब्रम्हचर्य की शर्त रहती है, उन्हें आपस में एक-दूसरे के लिए, या बाकी भक्तों के लिए खतरा मानकर ही चलना चाहिए। जिन लोगों से उनके धर्म की व्यवस्था यह उम्मीद रखती है कि वे सारा वक्त ईश्वर की आराधना में लगाएंगे, उनका सारा वक्त अगर सेक्स की सोच में गुजरता है, तो ऐसे ब्रम्हचर्य से उस धर्म का क्या भला होता है?
लोगों को याद होगा कि अभी कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश में उमा भारती के करीबी एक ओबीसी नेता ने हिन्दू धर्म के प्रवचनकर्ताओं के बारे में यह कहा कि प्रवचन करते हुए भी उनकी नजरें सामने बैठी हुईं महिलाओं में से सुंदर महिलाओं पर टिकी रहती है, और बाद में वे उनके घर खाने-ठहरने का जुगाड़ जमाने में लगे रहते हैं। ऐसी चर्चाएं सभी धर्म के बाबाओं, ब्रम्हचारियों, और गुरुओं के बारे में आम रहती हैं। लोगों को कुछ बरस पहले का स्वामी नित्यानंद का अपनी शिष्या के साथ का एक सेक्स-वीडियो याद होगा जिसमें वे एक अभिनेत्री के साथ बिस्तर पर सेक्स में जुटे दिखते हैं। अब यह स्वामी बलात्कार के आरोपों में अंतरराष्ट्रीय पुलिस, इंटरपोल का ब्लूनोटिस झेल रहा है, और दुनिया भर में इसकी तलाश की जा रही है। वह हिन्दुस्तान छोडक़र भाग गया, और बाद में एक किसी टापू पर उसने कैलाश नाम का अपना खुद का एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की घोषणा की।
छोटे स्तर पर देखें तो धर्म से जुड़े हुए अंधविश्वासों पर पलने वाले तांत्रिक जैसे लोग भी किसी का भूत उतारने के नाम पर, तो किसी का इलाज करने के नाम पर बलात्कार करते मिलते हैं, और जैसा कि हिन्दुस्तान का आम चलन है, ऐसे अधिकतर मामलों में पारिवारिक और सामाजिक दबाव में मामले पुलिस तक नहीं जा पाते, और उन्हें दबाकर, भुलाकर छोड़ दिया जाता है। जो लोग धर्म और आध्यात्म से जुड़े हुए लोगों के आसपास रहते हैं, उन्हें अपने, और अपने परिवार के लोगों की हिफाजत का ख्याल रखना चाहिए। धर्म के आसपास कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकते, सिवाय मुजरिमों के। हर किस्म के मुजरिमों को पाप से बचने का रास्ता बताने वाले धर्म उन्हीं की सबसे अधिक हिफाजत कर पाते हैं क्योंकि प्रायश्चित पर खर्च करवाने का एक रिवाज है। धर्म के लोग जब बलात्कारी हो जाएं, तब उसमें हैरानी की कोई बात नहीं रहती, क्योंकि जब लोगों की आस्था अंधविश्वास की तरह मजबूत हो जाती है, तो उसका शोषण करने से बाबा और बापू से लेकर पादरी तक कौन चूकेंगे?
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