संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हारे देश की जीते देश को मां की गाली देने की मुहिम का मतलब समझें..
05-Sep-2022 6:16 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  हारे देश की जीते देश को मां की गाली देने की मुहिम का मतलब समझें..

हिन्दुस्तान के सोशल मीडिया को भाड़े की फौज कहकर कोसा जाता है कि दो-दो रूपये लेकर लोग ट्वीट करते हैं, और जिस पर हमला करने को कहा जाए उसे बलात्कार की धमकियां तक देते रहते हैं। अब यह इस देश के राष्ट्रवादियों के लिए सोचने की बात होनी चाहिए कि ऐसी हिंसक और अश्लील धमकियां देने वाले, सोशल मीडिया की हवा में जहर और नफरत घोलने वाले लोगों में से बहुतायत में लोग अपने प्रोफाइल फोटो में, अपने परिचय में, अपने राष्ट्रवादी और हिन्दुत्ववादी होने का दावा क्यों करते हैं? अगर ये लोग राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व का बेजा इस्तेमाल करने वाले और झूठा प्रोफाइल बनाने वाले लोग हैं, तो आज तो देश की सरकार ही राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व की हिमायती है, और वह ऐसे लोगों की शिनाख्त करने की कानूनी ताकत भी रखती है। ऐसी कानूनी ताकत के बाद भी जब सोशल मीडिया पर दसियों लाख लोग साम्प्रदायिक हिंसा और नफरत को फैलाने का ओवरटाइम करते रहते हैं, तो फिर उन्हें पकडऩे और सजा देने में ढिलाई से क्या साबित होता है?

आज इस मुद्दे पर लिखने की जरूरत इसलिए है कि कल पाकिस्तान की क्रिकेट टीम ने हिन्दुस्तान की टीम को एक बड़े मैच में हराया, और उसके तुरंत बाद से हिन्दुस्तान के अनगिनत ट्विटर हैंडलों से पाकिस्तान के नाम मां की गाली का हैशटैग बनाकर उसके खिलाफ अंधाधुंध जहर उगलना शुरू कर दिया गया। जब हिन्दुस्तान की जमीन से रात-दिन राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व का गुणगान करने वाले लोग तिरंगे झंडे की प्रोफाइल फोटो लगाए हुए यह गंदगी फैला रहे हैं, तो यह राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व का झंडा लेकर चलने वाले लोगों की जिम्मेदारी हो जाती है कि वे अपने इन हिमायती साथियों को काबू करें। मैच हारने वाले देश के लोग अगर मैच जीतने वाले देश को मां की गालियां बकते हैं, तो वे गालियां बकने वालों को ही लगती हैं।

लेकिन पहले देश के भीतर एक धर्म के खिलाफ, एक राजनीतिक विचारधारा के खिलाफ, एक नेता के खिलाफ नफरत और हिंसा भडक़ाने का नतीजा यह होता है कि आज ऐसे लोग क्रिकेट में हार को बर्दाश्त करने के बजाय मां-बहन की गालियों पर उतर आए हैं, और यह सडक़ पर बेनाम चेहरे के मुंह से निकली हुई गालियां नहीं हैं, ये सोशल मीडिया पर किसी नाम और चेहरे से निकली हुई गालियां हैं जिनका साइबर सुबूत भी मौजूद है। और जब देश की सरकार और इनकी हिमायती विचारधारा इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो नतीजा यह होता है कि हिन्दुस्तानी टीम का एक खिलाड़ी एक कैच छोड़ देने की वजह से सोशल मीडिया पर लाखों लोगों द्वारा खालिस्तानी करार दिया जा रहा है। जो सोच अपने देश के लोगों को इंसानी लहू पिला-पिलाकर पालती है, उसे ऐसे इंसानखोर ही नसीब होते हैं जो कि लहू का अगला कटोरा लाने वाले को ही चीरकर खा जाएं। आज इस देश के एक गैरमुस्लिम खिलाड़ी को, सिक्ख खिलाड़ी को खालिस्तानी करार दिया जा रहा है। जिन्हें पाकिस्तान और मुस्लिमों को गाली दिलवाना ठीक लगते रहा, उन्हें इस नौबत के लिए तैयार रहना चाहिए कि आज देश के एक सिक्ख खिलाड़ी को भी खालिस्तानी आतंकी और देश का गद्दार कहा जा रहा है। इसके बाद अगली बारी हिन्दू धर्म के करीब के दूसरे धर्मों की रहेगी, उसके बाद हिन्दू धर्म के भीतर के कहे जाने वाले दलित-आदिवासियों को गद्दार करार दिया जाएगा। नफरत के साथ दिक्कत यह है कि वह प्राण फूंके गए शेर की तरह रहती है, और उसे खाने को कोई न कोई लगते हैं। नतीजा यह होता है कि जब पाकिस्तान की मां को 25-50 लाख गालियां दी जा चुकी हैं, तब एक हिन्दुस्तानी सिक्ख की बारी आ गई, और नफरत को इस देश के भीतर रोकने का कोई जरिया भी नहीं रह गया।

जिन लोगों को यह लगता है कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तान को मां की गालियां देकर वे क्रिकेट में हार का बदला ले लेंगे, वे लोग और उनकी औलादें जिंदगी में कभी कोई मैच नहीं जीत पाएंगे क्योंकि खेल के बजाय उन्हें गाली की ताकत पर भरोसा हो गया है। और सोशल मीडिया पर ही किसी समझदार ने यह भी याद दिलाया है कि पाकिस्तान को मां की गालियां बकने वाले लोग यह भी तो सोचें कि पाकिस्तान की मां आखिर है कौन? यह सवाल पूछने वाले ने जो नहीं लिखा है, उसे भी याद दिला देना ठीक होगा कि पाकिस्तान की मां तो वह अखंड भारत है जिसका सपना ये राष्ट्रवादी हिन्दुत्ववादी देख रहे हैं। अब वे सोचें कि ये गालियां आखिर किसके नाम लिखा रही हैं!   हिन्दुस्तान की जो सोच अपने मुंह मियां मि_ू होकर विश्वगुरू होने का दावा करती है, उसके नाम कल यह तो लिखा ही गया है कि खेल में हारने के बाद इस देश के लोगों ने जीतने वाली टीम के देश को मां की गाली देने में विश्व रिकॉर्ड बनाया है। अगर यही विश्वगुरू होना है, तो फिर क्या इसी संस्कृति पर यह देश गौरव करने जा रहा है?

जब पूरे देश को नफरत और हिंसा का ऐसा खून मुंह लगा दिया गया है, तो यहां के बाकी लोगों को भी सावधान हो जाना चाहिए। ये लोग अभी तक तो अपनी हिंसक सोच से असहमत हिन्दुस्तानियों की मां-बहनों के नाम बलात्कार की धमकियां रात-दिन पोस्ट करते आए हैं, और अब वह बढक़र इस देश के एक खिलाड़ी तक पहुंच गई हैं। इस देश की जो सरकार ट्विटर के साथ देश की अदालतों तक में मुकदमे लड़ रही है कि बहुत सी सामग्री हटाई जाए, वह सरकार कल ट्विटर पर मां की गाली के इस हैशटैग को देखते हुए चुप थी, उसने ट्विटर से यह नहीं कहा कि इस हैशटैग को हिन्दुस्तान में ब्लॉक किया जाए। जब सरकार खुली आंखों से यह सब देखते हुए कोई भी कार्रवाई नहीं करती है, न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर, और न ही देश के नाम को कालिख पोतने वाले ऐसे हिंसक हिन्दुस्तानियों पर, तो फिर यह मानने की कोई वजह नहीं रह जाती कि यह सरकार इन गालियों से असहमत है। सरकार की तो यह कानूनी और संवैधानिक जिम्मेदारी ही है कि वह नफरत के खिलाफ कार्रवाई करे, लेकिन हिन्दुस्तानी सोशल मीडिया पर नफरत के जिस सैलाब को जिस तिरंगे झंडे के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है, वह एक भयानक नजारा है, और अगर कुछ लोगों को यह लगता है कि यह देश आगे जाकर लोगों के लिए महफूज नहीं रह जाएगा, तो उन्हें गलत नहीं लगता है, यह देश आज भी उदार विचारधारा के लिए, लोकतांत्रिक सोच के लिए, सामाजिक इंसाफ के नजरिये के लिए महफूज नहीं रह गया है। क्रिकेट कोई ऐसी खबर नहीं है जो कि सरकार को न दिखे, और पाकिस्तान के साथ हिन्दुस्तान के रिश्ते ऐसे नहीं है कि सरकार पाकिस्तान के खिलाफ हिन्दुस्तान में चल रहे ऐसे किसी अभियान को न देखे। यह नौबत इस देश के चेहरे पर कालिख पोत चुकी है, और तथाकथित विश्वगुरू को अपनी इस गंदगी के बारे में सोचना चाहिए।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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