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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : ...एक टी-शर्ट ने बखिया उधेडक़र धर दी औरों की
10-Sep-2022 4:31 PM
 ‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  ...एक टी-शर्ट ने बखिया उधेडक़र धर दी औरों की

किसी भी बात की प्रतिक्रिया का अंदाज लगाए बिना उसे छेडऩा कई बार आत्मघाती हो सकता है। अभी राहुल गांधी ने एक भाषण देते हुए आटे को किलो के बजाय लीटर के साथ कह दिया, तो उनके आलोचक कुछ सेकेंड की इस वीडियो क्लिप को लेकर सोशल मीडिया पर टूट पड़े। राहुल गांधी को बेवकूफ साबित करने का एक मुकाबला सा चल निकला। और ट्विटर पर जो लोग भाड़े के भोंपुओं की तरह काम करते हैं, उनकी फौज को राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया। लेकिन बिना किसी फौज के इस हमले का जवाब आम लोगों ने ही सोशल मीडिया पर दिया जब उन्होंने नरेन्द्र मोदी से लेकर अमित शाह तक दर्जन भर अलग-अलग भाजपा नेताओं के भाषणों के वीडियो निकालकर पोस्ट करना शुरू किए जिसमें

उन्होंने बोलने की वैसी ही चूक कर दी थी जैसी राहुल गांधी से हो गई थी, और राहुल ने तो तुरंत ही उसे सुधारने की भी कोशिश की थी। अब राहुल के विरोधी नेताओं की जिन चूक को लोग भूल चुके थे, वे सब एक बार फिर याद आ गईं। अब उसी तरह राहुल गांधी ने अभी अपनी पदयात्रा के दौरान एक टी-शर्ट पहना जिस पर एक कंपनी का निशान भी था, और लोगों ने उस टी-शर्ट को इंटरनेट पर ढूंढ निकाला कि वह 40 हजार रूपये का है। और इसके बाद भाजपा के अपने ट्विटर हैंडल से, और दूसरे मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी राहुल गांधी की खिंचाई शुरू हुई कि वे 40 हजार का टी-शर्ट पहनते हैं, और जनता की फिक्र करने का नाटक करते हुए पदयात्रा करते हैं। अब इंटरनेट पर कोई सामान अलग-अलग दस किस्म के दामों पर मिलता है, इसलिए राहुल ने वह टी-शर्ट कितने में खरीदा, या ननिहाल जाने पर उसे किसी ने तोहफे में दिया, यह तो बात सामने नहीं आई है, लेकिन इससे दो अलग-अलग बातें सामने आईं। लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहुत सी तस्वीरें निकालकर यह बताया कि वे किस ब्रांड के जूते पहने हुए हैं जो कितने के हैं, किस ब्रांड का धूप का चश्मा लगाए हुए हैं, जो कितने का है, और किस तरह उनका नाम बुना हुआ सूट पहने हुए हैं जो कि 10 लाख रूपये का आता है। ऐसी तमाम बातों के साथ लोगों ने यह भी याद दिलाया कि राहुल गांधी जिस परिवार के हैं, उसके मोतीलाल नेहरू आजादी की लड़ाई के भी पहले कितने दौलतमंद थे, और इस परिवार ने देश को आज के भाव से किस तरह अरबों की दौलत भेंट की है। इसके साथ-साथ लोगों ने मोदी के बचपन की चाय बेचने की कहानियां भी याद दिलाईं जो कि मोदी ही कई बार सुना चुके हैं। किसी भी बात की एक प्रतिक्रिया होती है, और जब सार्वजनिक जीवन में या राजनीतिक हथियार की तरह किसी बात को इस्तेमाल किया जाता है, तो उसका उल्टा असर भी सोच लेना चाहिए।

अब अकेले राहुल के टी-शर्ट को लेकर आज इस मुद्दे पर लिखने की जरूरत नहीं होती अगर ब्रिटेन की राष्ट्रप्रमुख, महारानी एलिजाबेथ के गुजरने के बाद लगातार यह माहौल नहीं बनता कि उन्होंने कितने महान काम किए थे, और किस तरह पूरी दुनिया में लोग उन्हें चाहते थे। वे व्यक्ति के रूप में अच्छी महिला हो सकती हैं, लेकिन उनकी सरकार ने, उनके देश की सरकार ने दुनिया भर को जिस तरह से लुटा है, जितना जुल्म ढहाया है, उसे इतिहास से मिटाना मुमकिन नहीं है। हिन्दुस्तान में जलियांवाला बाग का जो मानवसंहार एक अंग्रेज अफसर ने किया था, जिस तरह अंग्रेजीराज में बंगाल में अकाल में 30 लाख से अधिक लोगों को मर जाने दिया था, वैसी कहानियां दर्जनों देशों में अलग-अलग किस्म के जुल्म की हैं, जो कि ब्रिटिश सिंहासन से जुड़ी हुई हैं। दर्जनों देशों को गुलाम बनाकर अंग्रेजों ने जिस तरह उन देशों को लूटा है, उसे भी कोई भूल नहीं पाए हैं। इसलिए जब एलिजाबेथ को श्रद्धांजलि देते हुए बार-बार यह बात दुहराई जाने लगी कि दुनिया के लोग उन्हें कितना चाहते थे, तो गुलामी के उन दिनों से लेकर अभी इराक पर अमरीका के साथ गिरोहबंदी करके हमला करने में ब्रिटेन की भूमिका सबके सामने है, और एलिजाबेथ ही इस वक्त देश की मुखिया थीं।

इस पर लिखते हुए इंटरनेट पर जरा सा ढूंढें तो 2012 की सोलोमन आईलैंड्स की यह तस्वीर सामने आती है जिसमें ब्रिटिश राजघराने की प्रतिनिधि होकर नौजवान प्रिंस विलियम वहां गए थे, और वहां स्थानीय अफ्रीकी आदिवासियों के कंधों पर ढोए जा रहे सिंहासन पर बैठकर वे खुशी-खुशी घूमे थे। गुलामी के उस इतिहास को अभी दस बरस पहले 2012 में इस तरह दुहराते हुए भी इस शाही घराने को कुछ नहीं लगा था। एलिजाबेथ की ऐसी तस्वीर भी अभी तैर रही है जिसमें उनके मुकुट, उसके हीरे, उनके राजदंड, उनके बाकी गहने, इन सबके साथ लिखा गया है कि उन्हें किस-किस देश से लूटकर ले जाया गया था। हिन्दुस्तान में अंतरराष्ट्रीय परंपराओं के अनुरूप देश में एक दिन का राजकीय शोक रखा गया है, लेकिन लोगों का एक तबका इस पर भडक़ा हुआ है, और यह सवाल किया जा रहा है कि जिन्होंने हिन्दुस्तान को दसियों लाख मौतें दी हैं, उनका ऐसा कोई भी सम्मान क्यों किया जाना चाहिए। यह बात अलग है कि दुनिया में कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के चलते हुए हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराकर लाखों लोगों को मार डालने वाले अमरीका के राष्ट्रपति के जापान पहुंचने पर भी शिष्टाचार की वजह से उनका स्वागत ही होता है, और उसी तरह ब्रिटिश राजघराने से किसी के हिन्दुस्तान आने पर उनका भी स्वागत होता है। लेकिन किसी का गुणगान उनके इतिहास के स्याह पन्नों को भी निकालकर सामने रख देता है। इसलिए चाहे टी-शर्ट की बात हो, चाहे किसी और चीज की, किसी महत्वहीन बात को अंधाधुंध महत्व देने के पहले यह भी सोचना चाहिए कि बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी, और लोग सौ किस्म की बातें याद करेंगे।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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