विचार / लेख

डिजिटल होते समाज में इंसानियत का जज्बा बहुत कम हो रहा
26-Sep-2022 4:30 PM
डिजिटल होते समाज में इंसानियत का जज्बा बहुत कम हो रहा

-शिल्पा शर्मा

समय आ गया है कि महिलाओं शरीर के बारे में हम अपनी कंडिशनिंग बदलें। शरीर को केवल शरीर ही समझें, केवल उतनी ही तवज्जो दें।
आज पूरे विश्व में महिलाओं की स्थिति में जो भी सुधार आया है, जैसे- उन्हें शिक्षा का अधिकार, वोट देने का अधिकार मिलना, उनका नौकरी कर पाना, समान काम के लिए समान वेतन (जो अभी भी कई जगह नहीं मिलता!) वगैरह इसके पीछे लंबे समय (सौ वर्ष से भी अधिक) तक महिलाओं और उन्हें समझने वाले पुरुषों ने संघर्ष किया है। बावजूद इसके यह सच है कि महिलाओं को अब तक वो सहज समानता नहीं मिली, जो मिलनी चाहिए। और आज के समय में जब हर व्यक्ति के हाथ में एक मोबाइल फोन है, जिससे वह किसी भी घटना का वीडियो बना सकता है, महिलाओं के लिए अलग ही तरह की मुश्कि़ल आ खड़ी हुई है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि महिलाओं के शरीर को लेकर हम अपनी कंडिशनिंग बदलें।

कहा जाता है कि जब हम अपनी सोच बदलते हैं तो हमारे आसपास की चीजें भी बदलना शुरू हो जाती हैं। बीते सप्ताह चंडीगढ़ के नजदीक एक निजी विश्वविद्यालय में कुछ लड़कियों का बाथरूम वीडियो वायरल होने पर हंगामा मचा। कथित तौर पर यह वीडियो कैंपस की ही एक छात्रा ने बनाया और शिमला में एक लडक़े को भेज दिया, जिसने इसे वायरल कर दिया। इसके बाद कई छात्राओं के आत्महत्या करने के प्रयास करने की खबर भी चली, जिसका पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने खंडन किया।

वहीं एक खबर यह भी सामने आई है कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में गैंगरेप की शिकार एक 15 वर्षीय लडक़ी बचने के लिए निर्वस्त्र ही सडक़ पर निकल भागी और घर पहुंची। तब भी लोगों ने उसका भी वीडियो बनाया और वायरल कर दिया। काश, कि वीडियो बनाने वालों ने वीडियो बनाने की जगह, उसे कपड़े दे दिए होते। लेकिन हमारे डिजिटल होते समाज में इंसानियत का जज्बा बहुत कम होता जा रहा है। और यह चिंता का विषय है।

आज के समय में कई बार यह सुनने में आता है कि प्रेमी ही अपनी प्रेमिकाओं के साथ सेक्शुअल संबंध बनाते समय धोखे से उसका वीडियो बना लेते हैं और उसे वायरल करने का डर दिखा कर उन पर जबरन संबंध कायम करने का दबाव बनाते हैं। यहां यह कहना भी जरूरी है कि कई महिलाएं भी इस तरह के वीडियो बनाकर, वायरल करने का डर दिखा कर पुरुषों को ब्लैकमेल करती हैं। पर हम बात को महिलाओं पर ही केंद्रित रखना चाहते हैं, क्योंकि आज भी समाज इस तरह के वीडियो वायरल होने की स्थिति में महिलाओं को ही कटघरे में खड़ा करता है। सदियों की इस कंडिशनिंग का युवतियों और महिलाओं के मानस पर इतना दबाव होता है कि वे जीने और संघर्ष करने की राह छोडक़र आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती हैं।

इस तरह के वीडियो महिलाओं के प्रेम में स्वेच्छा से संबंध बनाने के भी बना लिए जाते हैं और उनका बलात्कार करते समय भी बना लिए जाते हैं। उन्हें वायरल करने की धमकी भी दी जाती है और वायरल कर भी दिया जाता है। पर ऐसे वीडियोज में संबंध तो दो लोग बना रहे होते हैं और अमूमन दोनों ही बिना कपड़ों के नजऱ आते हैं, पर शर्म का पूरा बोझ किसी महिला और उसके शरीर पर ही लाद दिया जाता है, क्यों?

सदियों की कंडिशनिंग है। आसानी से नहीं जाएगी। पर कहीं से तो इसके प्रयास शुरू करने होंगे। और अब वक़्त आ गया है कि ये प्रयास संजीदगी से शुरू किया जाए। महिलाओं शरीर के बारे में हमें अपनी कंडिशनिंग बदलनी ही होगी, क्योंकि आज हर व्यक्ति (याद रखिए मैंने केवल पुरुष नहीं कहा, क्योंकि चंडीगढ़ वाले मामले में आरोप एक युवती पर है) के हाथ में मोबाइल है। वो अपनी कुंठित मानसिकता के चलते या किसी तरह के दबाव में आकर किसी का भी वीडियो बनाकर वायरल कर सकता है। हम उन्हें नहीं रोक सकते, लेकिन अपनी मानसिकता को तो बदल ही सकते हैं।

जहां तक बात बलात्कार के समय वीडियो बनाए जाने की है तो हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि बलात्कार किसी भी लडक़ी के साथ हुई एक दुर्घटना है, जिसके लिए लडक़ी दोषी ही नहीं है। ऐसे में उस लडक़ी के परिजनों को चाहिए कि उसे कहें कि इसे एक दुर्घटना समझ कर भूल जाओ। हां, इंसाफ की लड़ाई में जरूर उसका साथ दीजिए, लेकिन इस घटना से उसके मन पर कोई अपराधबोध कभी न पलने दीजिए। ज़रूरत हो तो उन्हें साइकोलॉजिकल/साइकियाट्रिक ट्रीटमेंट दिलवाइए।

किसी महिला का बलात्कार होने पर अमूमन लिखा जाने वाला यह वाक्य कि महिला की इज़्ज़त लूट ली गई, महिलाओं के शरीर को ले कर हमारी कंडिशनिंग से ही प्रेरित है। पर साथ ही यह वाक्य यह भी तो बता देता है कि पहली बात तो पुरुष की तो कोई इज्जत ही नहीं होती और दूसरी बात कि वह तो सिर्फ इज्जत का लुटेरा है। लेकिन इन दोनों बातों पर और ख़ासतौर पर लुटेरा होने को ले कर हमने कभी किसी पुरुष को शर्मिंदा होते तो नहीं देखा। आपने देखा है क्या? जबकि शर्मिंदगी की बात तो ये होनी चाहिए।

अमूमन लड़कियां जब किसी से संबंध बनाती हैं (हनीट्रैप और वेश्यावृत्ति अपवाद हो सकते हैं) तो वे मानसिक तौर पर जुडऩे के बाद ही ऐसा करती हैं (फिर चाहे वे अविवाहित ही क्यों न हों!)। ऐसे में यदि उनका साथी धोखे से उनका वीडियो बना ले और ब्लैकमेल करता रहे तो वे इस डर से किसी को बता ही नहीं पातीं कि यदि वीडियो वायरल हो गया तो उनका नग्न शरीर सबके सामने आ जाएगा। पर शरीर तो सिर्फ शरीर है, उसका हमारी इज्जत से केवल उतना ही लेना-देना है, जितना कि हम अपने दिमाग में बिठा लें। चूंकि पितृसत्तात्मक सोच की वजह से हमेशा महिलाओं के शरीर को टैबू बना दिया गया है इसलिए उनका बलात्कार हो या फिर इस तरह के वीडियो वायरल हों तो उसे पूरे परिवार की इज्जत से जोड़ दिया गया है और इस तरह यह दबाव सिफऱ् पीडि़त महिलाओं और उनके परिजनों (जिनमें आप भी शामिल हो सकते हैं!) के मत्थे मढ़ दिया गया है।

अब मुख्य बात पर आते हैं। इस डिजिटल युग में, जब हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है और हम नहीं जानते कि किसके भीतर किस तरह का इंसान, किस तरह का साइकोपैथ है, जो किस समय का वीडियो बना लेगा। तो समय आ गया है कि हम सब (खासतौर पर पुरुष) सबसे पहले तो अपने मन के भीतर यह बात बिठा लें कि शरीर सिर्फ शरीर है। उसका इज्जत से कुछ लेना देना नहीं है। जैसे पुरुषों का शरीर है, वैसे ही महिलाओं का शरीर है। बनावट अलग है बस। इस दुनिया में शरीर को ढंक कर इज्जतदार बनने का ढोंग केवल मनुष्य ही करता है। आज भी हमारे चारों ओर जानवर (फिर चाहे वे नर हों या मादा) बिना कपड़े के ही घूमते हैं और हम उन्हें देख कर सहज ही रहते हैं। यह बात विशेषतौर पर घर के पुरुषों को अपने मन में जरूर बैठा लेनी चाहिए, ताकि वे अपने घर की महिलाओं को यह बात समझा सकें।

दूसरा कदम ये है कि अपनी बच्चियों, बहनों, महिलाओं के मन में यह बात बिठा दें कि यदि कभी कोई भी व्यक्ति आपके शरीर का किसी भी तरह का वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी दे (फिर चाहे उन्होंने संबंध स्वेच्छा से बनाए हों या उनके साथ बलात्कार हुआ हो) तो डरो मत। उसके दबाव में मत आओ। पुलिस में शिकायत करो। मामला साइबर सेल तक ले कर जाओ। उससे कहो कि यह सिफऱ् शरीर है और जैसा मेरा है, बिल्कुल वैसा ही तुम्हारी मां, बहन और बेटी का भी है। केवल उन्नीस-बीस का ही फक़ऱ् है- रंग, क़द-काठी और चेहरा। कहीं किसी सिरफिऱे ने मेरी तस्वीर की जगह मॉफऱ् कर के इसी वीडियो में तुम्हारी मां, बहन या बेटी की तस्वीर लगा दी तो क्या होगा?
जिस दिन से हमने महिलाओं के शरीर को केवल शरीर मानना सीख लिया, उस दिन से कोई भी व्यक्ति (महिला/पुरुष) किसी भी दूसरे व्यक्ति को ऐसे वीडियो वायरल करने की धमकी दे ही नहीं सकेगा, क्योंकि तब ऐसी धमकियां काम करना ही बंद कर देंगी।

जब आत्मविश्वास के साथ हर परिवार, हर परिवार का पुरुष फिर चाहे वो पिता हो, भाई हो, बेटा हो, पति हो या दोस्त, अपने घर की महिलाओं को यह बात सिखा देगा कि शरीर सिर्फ शरीर है, उसे उतनी ही तरजीह दो, तो मुझे भरोसा है कि सदियों की इस कंडिशनिंग से पार पाने में हमें बहुत ज़्यादा वक्त नहीं लगेगा। वजह? डिजिटल युग है दोस्तों ‘यदि इस पोस्ट में सार है, समझाईश है, जो सही है और आपके घर में मां, बहन और बेटी है या फिर पिता, भाई, बेटा या पति है’ तो इसे वायरल होते देर नहीं लगेगी।
 

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