विचार / लेख
-अपूर्व गर्ग
अपराध पहाड़ों पर कभी न चढ़ सका था। पहाड़ों से आती अपराध की खबरें एक डंक सी चुभती हैं, खासकर तब जब अपराध की शिकार बेटियां हो रही हों।
जाहिर है जब पूरे देश में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं तो अब पहाड़ कैसे बचते?
एनसीआरबी की रिपोर्ट से भी जाहिर है 2021 में ही महिलाओं पर हुए अपराधों में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जबकि 2012 में निर्भया कांड के बाद बीजेपी महिलाओं की सुरक्षा के वायदे के साथ केंद्र की सत्ता में आई।
खतरनाक बात है शांत और अपराधमुक्त रहने वाले पहाड़ों से अमानवीय, बर्बर और दहला देने वाली खबरों का आना।
अंकिता पर हुई हैवानियत से उत्तराखंड की उखड़ी-उखड़ी अपराध ग्रस्त तस्वीर सामने है।
जरा गौर फरमाइए हिमाचल की तस्वीर और भी भयावह मिलेगी। अब हिमाचल के पहाड़ों से अपराध रिस-रिस कर हिमाचल को कैसे दागदार बना रहे कभी गौर करिये।
2017 में हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित कोटखाई में गुडिय़ा गैंगरेप-मर्डर के बाद सत्ता में आयी और महिला सुरक्षा च्ज् के तहत 8 घोषणाएं जोर-शोर से की गईं।
उत्तराखंड में जिस तरह महिलाओं पर हुए अपराधों में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी और बलात्कार में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई ठीक वैसे ही पड़ोसी हिमाचल प्रदेश में बलात्कार के मामले 2016 में जो 244 थे, वो 2018 में बढक़र 345, 2019 में 360 ,2020 में 333, 2021 में लगातार बढ़ते 359 हुए।
दोनों प्रदेशों में बीजेपी की सरकार जिसने घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े वायदे किए।
उत्तराखंड में चुनाव हो चुके और अब हिमाचल की बारी है। गुडिय़ा काण्ड के बाद हिमाचल की जनता को 2017 के घोषणा पत्र जिसे स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र कहा गया और अपराध मुक्त हिमाचल की बात की गई हुआ बिल्कुल उल्टा।
2004 में जहां महिलाओं पर हुए अपराधों के 910 मामले दर्ज किए गए थे वहीं 2021 में यह संख्या बढक़र 1700 तक जा पहुंची है।
ये है वो ‘वर्णिम’ सुरक्षा जो हिमाचल की महिलाओं को जयराम सरकार ने दी।
इनसे पूछिए उत्तराखंड हो या हिमाचल आखिर शांत अपराधमुक्त पहाड़ों का इन्होंने ये क्या हाल कर दिया?
इनके खुद के नेता के बेटे ने उत्तराखंड का सिर दुनिया में झुका दिया।
हिमाचल में महिलाओं पर अपराध बहुत बढ़े हैं। स्वर्णिम घोषणा पत्र के बाद अब कौन सा हीरक आश्वासन देंगे?
उत्तराखंड में ये चुनाव जरूर जीत चुके पर हिमाचल अभी बाकी है।
पहाड़ों की बेटी अंकिता के साथ जो बर्बरता हुई उससे जितना क्रोधित उत्तराखंड है उतना ही हिमाचल भी।
कभी पहाड़ों पर बेटियां तितली की तरह निर्भीक होकर उड़ा करतीं।
पर अब पहाड़ों में अपराध बढ़ रहे, पहाड़ इंसाफ मांग रहे। पहाड़ों में बैठी ये सरकारें न सुरक्षा दे पा रहीं न कर पा रहीं इंसाफ।
दो महीने बाद हिमाचल में चुनाव हैं। हिमाचल से एक बड़ा परिवर्तन शुरू होना चाहिए। एक ऐसा परिवर्तन जो पहाड़ों की ही नहीं मैदानों की बेटियों को भी महसूस हो।
हिमालय से ऐसी शीतल बयार का सबको इंतजार है।