अंतरराष्ट्रीय

चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मानव के क्रमिक विकास पर अनुसंधान के लिए स्वीडिश वैज्ञानिक को मिला
04-Oct-2022 10:59 AM
चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मानव के क्रमिक विकास पर अनुसंधान के लिए स्वीडिश वैज्ञानिक को मिला

स्टाकहोम, 3 अक्टूबर। चिकित्सा के क्षेत्र में इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार ‘मानव के क्रमिक विकास’ पर खोज के लिए स्वीडिश वैज्ञानिक स्वैंते पैबो को देने की घोषणा की गई है।

पुरस्कार समिति ने कहा कि उनकी इस खोज ने ‘‘हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर और हमें मानव की विलुप्त प्रजातियों की तुलना में अनूठा बनाने वाले कारकों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्‍टि उपलब्ध कराई है।’’

नोबेल कमेटी के सचिव थॉमस पर्लमैन ने स्टाकहोम, स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टिट्यूट में सोमवार को इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा की।

पैबो (67) ने आधुनिक मानव की उससे काफी मिलती-जुलती विलुप्त प्रजातियों निएंडरथल एवं डेनिसोवंस के ‘जीनोम’ की तुलना करने के लिए नयी तकनीक विकसित करने में अनुसंधानकर्ताओं का नेतृत्व किया।

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "जैसे आप अतीत के बारे में पता लगाने के लिए पुरातात्विक खुदाई करते हैं, वैसे ही हम मानव जीनोम में अन्वेषण करते हैं।"

निएंडरथल की अस्थियां सर्वप्रथम 19वीं सदी के मध्य में खोजी गई थीं। उसके डीएनए की संरचना का पता लगाने से यह सफलता मिली। इस उपलब्धि को अक्सर ‘जीवन का कोड’ के तौर पर जाना जाता है। इस तरह, प्रजातियों के बीच संबंध को पूरी तरह से समझ पाने में वैज्ञानिक सफल रहे।

नोबेल कमेटी की अध्यक्ष एना वेडेल ने कहा कि इसमें करीब आठ लाख साल पहले का वह समय शामिल है, जब आधुनिक मानव और निएंडरथल एक प्रजाति के रूप में अलग-अलग हुए।

उन्होंने कहा, ‘‘पैबो और उनकी टीम ने आश्चर्यजनक ढंग से यह भी पाया कि जीन प्रवाह निएंडरथल से होमो सैपियंस में हुआ। उनकी खोज में यह पता चला कि सह-अस्तित्व की अवधि के दौरान उन्होंने साथ मिलकर संतान को जन्म दिया होगा।’’

जीन के स्थानांतरण ने कोरोना वायरस जैसे संक्रमण के प्रति आधुनिक मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के तौर-तरीकों को प्रभावित किया।

अफ्रीका महाद्वीप के बाहर करीब एक-दो प्रतिशत लोगों में निएंडरथल जीन हैं।

पुरस्कार की घोषणा के बाद नोबेल एसेंबली के सदस्य निल्स गोरान लार्सन ने कहा, ‘‘स्वैंते पैबो ने हमारी करीबी प्रजातियों, निएंडरथल और डेनिसंस होमीनिंस की आनुवांशिक संरचना का पता लगाया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘और इन विलुप्त प्रजातियों तथा आधुनिक मानव के बीच मामूली अंतर हमारे शरीर के अंदर एवं अब तक हमारे मस्तिष्क के विकसित होने के तरीके के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्‍टि उपलब्ध कराएगा।’’

पैबो ने पुरस्कार दिलाने वाला अपना यह अनुसंधान जर्मनी के म्यूनिख विश्वविद्यालय और लेपजीग के मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी में किया।

पैबो के पिता सुने बेर्गस्ट्रॉम को 1982 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला था। नोबेल फाउंडेशन के मुताबिक, यह आठवां मौका है जब किसी नोबेल पुरस्कार विजेता के बेटा/बेटी को यह पुरस्कार मिला है।

सिर्फ एक बार ऐसा हुआ, जब पिता-पुत्र दोनों ने नोबेल पुरस्कार साझा किया। ऐसा 1915 में हुआ था, जब सर विलियम हेनरी ब्रैग और उनके बेटे विलियम लॉरेंस ब्रैग को एक साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था।

चिकित्सा जगत से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस वर्ष के लिए नोबेल कमेटी की घोषणा की सराहना की है।

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जीन विज्ञानी डेविड रीच ने कहा कि डीएनए को हजारों वर्षों तक संरक्षित रखे जा सकने और उसकी जानकारी प्राप्त करने के तौर तरीके विकसित करने को मान्यता दिये जाने के साथ पैबो तथा उनकी टीम ने ‘‘हमारे अतीत के बारे में सवालों का जवाब देने का पूरी तरह से एक नया तरीका ईजाद किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह मानव की विभिन्नता एवं मानव इतिहास के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह से नया रूप देता है।’’

चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के ऐलान के साथ ही नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरूआत हो गई है। मंगलवार को भौतिकी विज्ञान, बुधवार को रसायन विज्ञान और बृहस्पतिवार को साहित्य के क्षेत्र में इन पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी।

इस वर्ष (2022) के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में पुरस्कार की घोषणा 10 अक्टूबर को की जाएगी।

पुरस्कार के रूप में विजेता को करीब एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (करीब 9,00,000 डॉलर) दिए जाएंगे। (एपी)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news