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सोनिया की 'भारत जोड़ो यात्रा' से कितना होगा फ़ायदा और बीजेपी इसके ख़िलाफ़ कैसे चला रही है कैंपेन
07-Oct-2022 4:30 PM
सोनिया की 'भारत जोड़ो यात्रा' से कितना होगा फ़ायदा और बीजेपी इसके ख़िलाफ़ कैसे चला रही है कैंपेन

-इमरान क़ुरैशी

गुरुवार को 'भारत जोड़ो यात्रा' में पहली बार सोनिया गांधी ने हिस्सा लिया. कर्नाटक के मंड्या ज़िले में वो अपने बेटे और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ क़रीब 45 मिनट तक साथ चलीं. इसे पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए प्रोत्साहन की तरह देखा जा रहा है.

सोनिया गांधी की तबीयत ठीक नहीं चल रही है. वो देर से यात्रा से जुड़ीं, लेकिन पूरे जोश के साथ अपने बेटे, कर्नाटक के नेता सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के साथ क़रीब 45 मिनट तक चलीं. एक मौका ऐसा भी आया जब राहुल गांधी अपनी मां के जूते का फीता बांधते हुए दिखे.

बेलगावी ज़िले के ख़ानपुर से कांग्रेस विधायक डॉक्टर अंजलि निम्बाल्कर के मुताबिक़, "45 मिनट के दौरान उन्होंने दो बार आराम करने के लिए ब्रेक लिया और फिर यात्रा से जुड़ीं. वो स्वस्थ हैं. उन्होंने राहुल जी और दूसरे लोगों से बात की. उन्होंने मुझसे कहा कि वो ख़ुश हैं कि इतनी सारी महिलाएं यात्रा में हिस्सा ले रही हैं और हर तरफ़ यात्रा को देखने के लिए भी महिलाएं इकट्ठा हैं."

सुबह 6.30 बजे शुरू हुई यात्रा में जब 11.30 बजे पहली बार ब्रेक हुआ तो सोनिया गांधी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से बात की. यात्रा 4.30 बजे फिर शुरू हुई और 7 बजे राहुल गांधी की सभा के साथ ख़त्म हुई.

सोनिया के चेहरे से मदद मिलेगी?

मंड्या को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. सोनिया गांधी के वहां यात्रा में जुड़ने से कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा है. पिछले कुछ सालों से दक्षिण कर्नाटक के इस ज़िले में जनता दल सेकुलर (जेडीएस) का दबदबा बढ़ा है.
इस ज़िले में सबसे अधिक आबादी उच्च जाति के वोक्कालिगा समुदाय की है और इस समुदाय ने दक्षिण कर्नाटक के ज़िलों में कांग्रेस के मुख्य विरोधी जेडीएस का साथ दिया है. बीजेपी को लिंगायत समुदाय का समर्थन है जिनका दबदबा उत्तर के ज़िलों में है. बीजेपी भी दक्षिण कर्नाटक के ज़िलों में अपनी पकड़ मज़बूत करने की कोशिश कर रही है.

कांग्रेस के कार्यकर्ता और वकील टीएस सत्यानंद कहते हैं, "इससे पार्टी को मदद मिलेगी क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा है. सोनिया के प्रति लोगों का प्यार है और पांचवीं बार वो ज़िले में आई हैं."

लेकिन क्या ये जोश सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव तक कायम रहेगा?

सत्यानंद कहते हैं, "हौसले को बरक़रार रखना एक निरंतर प्रक्रिया है. 2018 विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा के बाद ज़िले के ज़मीनी हालात बदले हैं.

पिछले कुछ दशकों में पहली बार हमारी पार्टी ने विधान परिषद में हमारे ज़िले की स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों का चुनाव जीता है. सोनिया का हिस्सा लेना कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन जेडीएस से सीटें वापस जीतने के लिए कार्यकर्ताओं को प्रेरित करेगा."

क्या हौसला बरक़रार रहेगा?

जानकार मानते हैं कि सोनिया गांधी के हिस्सा लेने से कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा, लेकिन इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि ये हौसला बीजेपी शासित प्रदेश में उन्हें टक्कर देने के लिए चुनाव तक कायम रहेगा. साल 2018 से कांग्रेस और बीजेपी की सरकार बारी-बारी से सत्ता में आती रही है. साल 2018-19 में कुछ समय के लिए जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार थी.

राजनीतिक जानकार और मैसूर विश्वविद्यालय की कला संकाय (आर्ट्स फ़ैकल्टी) के चेयरमेन प्रोफ़ेसर मुज़फ़्फ़र अस्सादी कहते हैं, "सोनिया का हिस्सा लेना प्रतीकात्मक है. वो एक पॉपुलर नेता रही हैं, इसमें कोई शक नहीं हैं, लेकिन कई लोगों को ऐसा लगता है कि इसका बहुत असर नहीं होगा क्योंकि राहुल की पदयात्रा से ज़्यादा पावरफ़ुल मैसेज जा रहा है."

सोनिया गांधी कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की मुख्य कैंपेनर में से एक रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार उन्होंने बेंगलूरू में भाषण दिया था और विरोधियों को चैलेंज किया था कि वो उनके पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर बोफ़ोर्स स्कैम में लगे भ्रष्टाचार के आरोप साबित कर दिखाएं.

इसके बाद उन्होंने 1999 में बेल्लारी से लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता सुषमा स्वराज को मात दी. दोनों के बीच कड़ी टक्कर हुई, लेकिन जब राज्यसभा ने महिला आरक्षण से जुड़ा बिल पास किया तो दोनों ने गले मिलकर राजनीतिक मतभेद भुला दिए. उनके गले मिलने ने राजनीतिक मर्यादा को फिर से परिभाषित किया.

प्रोफ़ेसर अस्सादी कहते हैं, "हालांकि उनका यहां आना उन निराश हो चुके कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद देगा जिन्हें लगता है कि उन्हें भारत जोड़ो आंदोलन में नज़रअंदाज़ कर दिया गया. ये राजनीति के लिहाज़ से बड़ा सिग्नल नहीं है, लेकिन कार्यकर्ताओं के लिए है.

अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के राजनीतिक जानकार और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफ़ेसर ए नारायण का भी मानना है कि सोनिया का हिस्सा लेना "सुस्त हो चुके पार्टी कार्यकर्ताओं में नई जान फूकेंगा,

लेकिन इसका बहुत लंबा असर होगा, ऐसा नहीं लगता. पार्टी कर्नाटक में यात्रा को अधिक अधिक महत्व दे रही है क्योंकि चुनाव यहां अगले साल की शुरुआत में हैं."

नारायण कहते हैं, "इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि सोनिया के हिस्सा लेने और भारत जोड़ो यात्रा के बाद फ़ॉलो अप कैसे किया जाता है. इसके अलावा कांग्रेस कैसे बीजेपी के कैंपन का सामना करती है जो राहुल गांधी की यात्रा के कर्नाटक आने के बाद शुरू हुई है. बीजेपी जिस तरह के विज्ञापन कन्नड़ मीडिया में दे रही है, उससे लग रहा है कि यात्रा का कुछ बड़ा असर हो सकता है."

यात्रा के ख़िलाफ़ बीजेपी का कैंपेन

कर्नाटक में यात्रा के आने के बाद हफ़्ते में दूसरी बार बीजेपी के कन्नड़ अख़बारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया है जिसमें कांग्रेस और उनके नेताओं पर कई आरोप लगाए गए हैं.

एक कन्नड़ अख़बार में गुरुवार को एक विज्ञापन छपा जो कि किसी आम दिन की ख़बरों जैसा नज़र आ रहा था. फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि ये पुरानी ख़बरे थीं जिनमें कांग्रेस की आलोचना की गई थी.

पहली कहानी में बताया गया है कि राहुल गांधी नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमलों के दौरान पार्टी कर रहे थे. इस पन्ने पर एक और ख़बर छपी है जिसमें लिखा गया है कि उस वक्त के मुख़्यमंत्री सिद्धारमैया ने पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया के सदस्यों को जेल से रिहा करवाया था. इस संस्था पर हाल में ही केंद्र सरकार ने बैन लगाया है.

मुख्य लेख के बगल में लगा एक और लेख स्पीकर रमेश कुमार के भाषण के बारे में है कि कार्यकर्ताओं ने पिछले तीन दशकों में बहुत कमाई कर ली है और अब पार्टी को वापस करने का समय है. इस कहानी में रमेश कुमार के उस बयान का ज़िक्र नहीं है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी बातों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया था.

इस पन्ने पर कर्नाटक के पार्टी प्रेसिडेंट डीके शिवकुमार के ख़िलाफ़ ईडी द्वारा दायर की गई चार्जशीट का भी ज़िक्र है. पन्ने के दाहिनी तरफ़ नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़ी एक ख़बर है जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और दूसरे कांग्रेस नेताओं का ज़िक्र है. इसी ख़बर के नीचे कोने में छोटे अक्षरों में लिखा है कि इसे बीजेपी ने प्रकाशित करवाया है.

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का बीजेपी पर कोई असर नहीं होगा. उन्होंने कहा, "हर पार्टी के नेता काम कर रहे हैं और सोनिया गांधी आधा किलोमीटर चलने के बाद चली गईं. इस चीज़ों का पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ता."

बोम्मई ने कहा, "जैसा कि भारत जोड़ो यात्रा से पहले फ़ैसला लिया गया था", बीजेपी छह रैलियां करेगी. इनमें से एक रैली ओबीसी समाज की कलबुर्गी में होगी और इसमें प्रधानमंत्री भाषण देंगे. इसके अलावा पार्टी ने एलान किया है कि बोम्मई और पार्टी के स्टार कैंपेनर और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा 11 अक्तूबर से रायचूर ज़िले से तीन महीने लंबी यात्रा की शुरुआत करेंगे.

(bbc.com/hindi)

 

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