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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 7 अक्टूबर। विकासखण्ड मुख्यालय के 10 किलोमीटर परिधि में ऊंची पहुच वाले शिक्षकों की भरमार ने ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों को अल्प शिक्षकीय या शिक्षक विहीन बना दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण चरमराई शिक्षा व्यवस्था इस चुनाव में बड़ा चुनावी मुद्दा होगा।
प्रदेश सरकार द्वारा चलाये जा रहे कथित उत्कृष्ट विद्यालय एवम स्वामी आत्मानन्द अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की चमक ने पारंपरिक रूप से ग्रामीण बच्चों के लिए उपयोगी स्कूलों को बन्द की कगार पर पहुंचा दिया है। सरकार ने शिक्षकों की बेहिसाब नियुक्तियां तो की है परन्तु इनकी पदस्थापना में नेतागिरी ने ग्रामीण विद्यालयों को करीब करीब बन्द ही करवा दिया है।
ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश स्कूल अब मात्र औपचारिक रूप से संचालित दिखते हंै। ग्रामीण स्कूलों में अनेक स्कूल शिक्षक विहीन बताए गए हैं, जबकि अधिकांश स्कूलों में पर्याप्त छात्र संख्या के बावजूद ये स्कूल शिक्षको की कमी से जूझ रहे हैं।
एक जानकारी के अनुसार विकासखण्ड मुख्यालय के 10 किलोमीटर दायरे के प्राय: सभी स्कूलों में अतिशेष शिक्षक हैं। कुछ स्कूलों में तो कुल दर्ज संख्या से 50 फीसदी शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल एक एक शिक्षक के लिए तरस रहे हैं।
इस सम्बंध में बताया जाता है कि मोटी सैलरी के कारण शिक्षक शहरों में निवास कर ग्रामीण बच्चों को उनके हालात पर छोड़ कर अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। जिससे स्वाभाविक रूप से ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल शिक्षक विहीन हो गए हंै।
व्यवस्था करने पर जिले द्वारा वापस भेजा जाता है- बीईओ
उक्त मामले में स्थानिय खण्ड शिक्षा अधिकारी के के ठाकुर ने बताया कि विकासखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी है परन्तु नगर के 10 किलोमीटर की परिधि में स्थित स्कूलों में अतिशेष शिक्षक पदस्थ है। अतिशेष को हटा कर आवश्कता वाले स्कूलों में पदस्थ करने से तत्काल उच्च स्तर से इन शिक्षकों को यथावत या अन्य शिक्षकों से भरे स्कूलों में पदस्थ करने के लिए निर्देश कर दिए जाते है, इसलिए शिक्षकों से रिक्त स्कूलों में शिक्षक भेज पाने में असमर्थ है।
शिक्षकों से रिक्त स्कूल राजनीतिक मजबूरी- डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी सौरिन चन्दरसैनि ने बताया कि जिले भर के शहरी स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों एवं ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक विहीन स्कूलों की जानकारी शासन को लगातार भेजी जा रही है। किसी ग्रामीण आंदोलन के बाद शिक्षक विहीन स्कूल में किसी स्कूल के अतिशेष शिक्षक को वहां पदस्थ करते ही ऊपर से अतिशेष शिक्षक को जस का तस रहने का दबाव आ जाता है, जिससे ग्रामीण स्कूल पुन: रिक्त हो जाते हंै।
इस समस्या से निजात पाने के लिए शासन जिला शिक्षा अधिकारी को युक्तियुक्तकरण का अधिकार दे जिससे अतिशेष शिक्षकों को छात्र संख्या के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पदस्थ कर समाधान कर सके।
अमलोर में एक पद के लिए दो-दो माह काम करेंगे तीन शिक्षक
मिली जानकारी के अनुसार विगत दिनों महासमुंद विकासखण्ड के ग्राम अमलोर में शिक्षक नियुक्ति को लेकर ग्रामीण आंदोलन कर रहे थे। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा तत्काल शहर के करीबी एक स्कूल में पदस्थ शिक्षक को अमलोर भेजने के आदेश कर दिए, परन्तु उक्त शिक्षक अपनी ऊंची पहुंच के कारण पूर्व की तरह ही अतिशेष स्कूल में रह गए।
इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने लगातार 3 शिक्षको के आदेश अमलोर स्कूल के लिए किए, परन्तु एक एक कर सभी शिक्षकों ने वहां जाने से मना कर दिया और अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए यथावत रहे। परन्तु ग्रामीणों के दबाव के चलत्व शिक्षा अधिकारी ने चार शिक्षकों को दो-दो माह अमलोर में पदस्थ रहने के लिए मना लिया।