संपादकीय

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बड़े दिलचस्प आदमी हैं। उन्होंने हिन्दुत्व के सबसे आक्रामक मॉडल की रक्षा का जिम्मा अकेले ले लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इन दिनों सिर्फ पूजा-पाठ और कन्या-कल्याण के सिलसिले में ही खबरों में आते हैं, राज्य के बाहर की मामलों को लेकर एक हमलावर-हिन्दुत्व तेवरों के साथ खड़े हुए सिर्फ नरोत्तम मिश्रा दिखते हैं। और ऐसे तेवर चूंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बड़े सुहाते हैं, इसलिए चैनल एक-दूसरे से गलाकाट मुकाबले में उनके कहे हुए एक-एक शब्द को कैमरों और माइक्रोफोन पर सोखते हुए उसे लोगों के सामने परोसने की हड़बड़ी में रहते हैं। हाल के बरसों में मध्यप्रदेश के ये गृहमंत्री बहुत से लेखकों, कलाकारों, अभिनेताओं, कार्टूनिस्टों को कानूनी कार्रवाई की धमकियां देते आए हैं, गिरफ्तारी की चेतावनी देने में भी वे देश के अव्वल मंत्री हैं। यह एक बड़ा अजीब सा संयोग है कि नरोत्तम मिश्रा उन्हीं मुद्दों पर अधिक भडक़ते दिखते हैं जिनके पीछे कोई मुस्लिम नाम होता है। जिस तरह सांड के बारे में कहा जाता है कि वह लाल कपड़ा देखकर भडक़ता है, नरोत्तम मिश्रा हरा कपड़ा देखकर भडक़ते हुए दिखते हैं।
अब अभी ताजा मामला एक निजी बैंक के एक वीडियो-इश्तहार का है जिसमें आमिर खान और कियारा अडवानी एक नए शादीशुदा जोड़े की तरह दिखाए गए हैं, और इसमें परंपरागत बिदाई के बाद दुल्हन दूल्हे के घर नहीं जाती, बल्कि दूल्हा दुल्हन के घर जाता है, वहां दुल्हन की मां दोनों की आरती करती है। यह इश्तहार सवाल करता है कि सदियों से जो प्रथा चल रही है वही क्यों चलती रहेगी? जो लोग विज्ञापन के कारोबार की बहुत मामूली और सतही समझ रखते हैं, उन लोगों को भी यह मालूम है कि विज्ञापन की योजना कोई विज्ञापन एजेंसी बनाती है, उसके लोग कथानक लिखते हैं, कोई फिल्मकार टीम उस पर इश्तहार बनाती है, और उसमें सबसे कम दखल कलाकारों का होता है जो कि उन्हें दिए गए कपड़े पहन लेते हैं, दिए गए डायलॉग बोल देते हैं, बताए मुताबिक मुस्कुरा या रो देते हैं। अब ऐसे में जिस बैंक का यह इश्तहार है उसे चेतावनी देने के बजाय, विज्ञापन एजेंसी को चेतावनी देने के बजाय अगर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री सिर्फ आमिर खान को चेतावनी दे रहे हैं, तो इसके पीछे की उनकी नीयत को आसानी से समझा जा सकता है। इसी इश्तहार में परंपराओं को तोडऩे का ठीक उतना ही काम तो दुल्हन बनी हुई हिन्दू अभिनेत्री कियारा अडवानी ने भी किया है जो कि दूल्हे को ब्याह कर घर लेकर आई है। लेकिन नरोत्तम मिश्रा को इस दुल्हन का काम नहीं खटक रहा, सिर्फ आमिर खान के बारे में उनका कहना है कि इस तरह की चीजों से धर्म विशेष की भावनाएं आहत होती हैं, और उनका मानना है कि उन्हें (आमिर खान को) किसी की भावनाओं को आहत करने की इजाजत नहीं है।
यह बहुत ही विरोधाभासी बात है कि एक तरफ तो भाजपा यह कहती है कि सैकड़ों बरस बाद दिल्ली पर एक हिन्दू का राज लौटा है। दूसरी तरफ देश भर में जगह-जगह, बात-बात पर हिन्दू भावनाएं इस तरह और इस हद तक आहत हो रही हैं जैसी कि कांग्रेसी या किसी दूसरी सरकार के रहते भी नहीं हुई थीं। आज हिन्दू पहले के मुकाबले सबसे अधिक खतरे में दिख रहे हैं क्योंकि देश भर में जगह-जगह वे अपनी भावनाओं को आहत पा रहे हैं। अब ये जख्म देश में एक हिन्दूवादी सरकार के रहते, और अधिकतर प्रदेशों में हिन्दूवादी सरकारों के रहते कैसे पैदा हो रहे हैं, यह हैरानी की बात है। सैकड़ों बरसों में हिन्दू भावनाएं हिफाजत से थीं, और अब वे खतरे में पड़ गई हैं, यह कैसी अजीब बात है? खुद भाजपा के भीतर बड़े-बड़े मुस्लिम नेताओं ने हिन्दू लड़कियों से शादियां की थीं, बड़े-बड़े भाजपा नेताओं की बेटियों ने मुस्लिम नौजवानों से शादियां की थीं, लेकिन कभी भी इस देश पर लव-जेहाद नाम का खतरा नहीं मंडराया था। पता नहीं कैसे देश के सबसे आक्रामक हिन्दूवादी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से देश इस लव-जेहाद के खतरे में बुरी तरह डूब गया है, या शायद पहली बार उसका अहसास हुआ है, क्योंकि मुस्लिम मर्दों के हिन्दू लड़कियों से शादी करने पर कभी भाजपा ने भी अपने मुस्लिम नेताओं को नोटिस जारी नहीं किया था, इसके खिलाफ कोई सलाह जारी नहीं की थी। मुस्लिमों के खिलाफ सबसे अधिक बोलने और लिखने वाले नेताओं में से एक, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की अखबारनवीस बेटी ने एक मुस्लिम से शादी की, लेकिन तब भी हिन्दू धर्म खतरे में नहीं आया था। जब से उत्तरप्रदेश में योगीराज आया, देश में मोदीराज आया, और मध्यप्रदेश में नरोत्तम मिश्रा गृहमंत्री बने, तब से हिन्दुत्व पता नहीं कैसे इस बुरी तरह खतरों से घिर गया है! यह एक बहुत फिक्र की नौबत है कि देश में सेंसर बोर्ड के रहते हुए, केन्द्र सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय रहते हुए, विज्ञापनों पर निगरानी रखने वाले संगठन के रहते हुए, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर नजर रखन वाले संगठन के रहते हुए, और प्रेस कौंसिल जैसी संवैधानिक संस्था के रहते हुए भी मध्यप्रदेश के गृहमंत्री को पूरे देश में अभिव्यक्ति पर नजर रखनी होती है, और पूरे देश में हिन्दुत्व की रक्षा करनी पड़ती है। यह बात हिन्दुत्व के तमाम झंडाबरदारों के लिए फिक्र की है कि एक प्रदेश के गृहमंत्री के कंधे चाहे कितने ही मजबूत हों, वे आखिर कितना बोझ उठा सकते हैं? ऐसा लगता है कि नरोत्तम मिश्रा योगी आदित्यनाथ के बाद अपने आपको हिन्दुत्व के सबसे बड़े रक्षक की तरह पेश कर रहे हैं, और आगे तो फिर हिन्दुत्ववादी ताकतों और संगठनों को यह सोचना होगा कि इन मजबूत कंधों पर और कौन-कौन सी जिम्मेदारियां डाली जाएं। आज यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि अगर नरोत्तम मिश्रा जैसा गृहमंत्री मध्यप्रदेश मेें न हो, तो फिर पूरे देश में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतें, और मुस्लिम लेखक-कलाकार क्या-क्या नहीं करेंगे? लगातार मेहनत से अपने आपको हिन्दुत्व-रक्षक की तरह पेश करते हुए नरोत्तम मिश्रा ने एक मिसाल कायम की है, और जैसे-जैसे देश में हिन्दुत्व पर खतरा बढ़ेगा, वैसे-वैसे नरोत्तम मिश्रा का महत्व बढ़ेगा, उनकी जरूरत बढ़ेगी। आगे-आगे देखें, होता है क्या।