संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : राहुल के बहाने नेहरू पर लांछन लगाना भाजपा नेता को भारी पड़ा, बुरी घिरीं..
30-Oct-2022 3:19 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : राहुल के बहाने नेहरू पर  लांछन लगाना भाजपा नेता को भारी पड़ा, बुरी घिरीं..

कुछ समर्थक अपने ही नेताओं का जीना हराम किए रहते हैं। अधिक हफ्ते नहीं गुजरे हैं कि राहुल गांधी के मुंह से आटे का भाव गिनाते हुए लीटर शब्द निकल गया था। शायद ही कोई ऐसे नेता होंगे जिनसे किसी तरह की चूक नहीं होती होगी। फिर भी जिन्होंने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा राहुल गांधी को पप्पू साबित करने को समर्पित किया हुआ है, उन्होंने इस मौके को लपक लिया, और भाजपा के बड़े-बड़े नेता राहुल की इस जुबानी चूक पर टूट पड़े। नतीजा यह हुआ कि लोगों ने कुछ घंटों के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक के ऐसे वीडियो ढूंढ निकाले जिनमें उन्होंने बोलते हुए इससे भी बड़ी-बड़ी दर्जनों गलतियां की थीं। उनकी वह चूक आई-गई हो चुकी थी, लेकिन उनके उत्साही और समर्पित भक्तों ने वैसे दर्जनों वीडियो चारों तरफ फैलाने का एक माहौल बना दिया, और मोदी विरोधी संख्या में चाहे कम हों, वे सोशल मीडिया पर कुछ चीजें तो फैला ही सकते हैं। ऐसे में जितना नुकसान राहुल गांधी का हुआ, उससे हजार गुना नुकसान मोदी-शाह का हो गया। लेकिन उससे कोई सबक लिए बिना अभी हिमाचल के चुनाव प्रचार में भाजपा के एक बड़े नेता ने एक बार फिर आमसभा के भाषण में इसे मुद्दा बनाया। और अब अगर इसके जवाब में भाजपा विरोधी एक बार फिर मोदी-शाह के वीडियो फैलाने लगेंगे, जो कि संख्या में दर्जनों गुना अधिक हैं, तो इससे बड़ा नुकसान भाजपा का ही होगा। 

आज इस पर चर्चा की जरूरत इसलिए है कि कर्नाटक की एक भाजपा नेता प्रीति गांधी ने ट्विटर पर कल राहुल की पदयात्रा की एक फोटो पोस्ट की है जिसमें दक्षिण भारत की एक अभिनेत्री उनके साथ चल रही हैं, और राहुल उनका हाथ थामे हुए हैं। प्रीति गांधी ने इस तस्वीर के ऊपर हॅंसते हुए लिखा है- अपने ग्रेट ग्रैंड फॉदर के पदचिन्हों पर। यह बात नेहरू की तरफ एक इशारा है जिनके चाल-चलन की चर्चा करते हुए उनके विरोधियों को ऐसा लगता है कि नेहरू के सारे योगदान को उनके किसी प्रेमप्रसंग के चलते खारिज किया जा सकता है। जब ऐसी चर्चा भाजपा के लोग करते हैं तो उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि नेहरू से भी कहीं अधिक गंभीर किस्म का, सामाजिक रूप से कुछ अधिक आपत्तिजनक प्रेमप्रसंग अटल बिहारी वाजपेयी का था जो कि अपनी महिला मित्र के पूरे परिवार को अपने साथ अपने सरकारी बंगले पर रखते थे, और उसकी बेटी को भारत की कूटनीतिक व्यवस्था में प्रधानमंत्री की बेटी का दर्जा दिया गया था। उस बेटी का पति अटल सरकार के वक्त तरह-तरह के आरोपों से भी घिरा रहता था। लेकिन शायद ही किसी पार्टी के किसी नेता ने अटल बिहारी वाजपेयी की इस अनोखी पारिवारिक व्यवस्था के बारे में कोई लांछन लगाया हो। अब प्रीति गांधी नाम की यह भाजपा नेता नेहरू के चरित्र पर लांछन लगाने के अपने पसंदीदा काम को करते हुए खुली सडक़ पर सैकड़ों लोगों से घिरे हुए पैदल चलते राहुल गांधी के हाथ को थामे चलती एक अभिनेत्री के चरित्र पर भी लांछन उछाल रही है। जाहिर है कि कांग्रेस ने इस पर इतना तो कहना ही था कि एक महिला होकर वे दूसरी महिला को बदनाम कर रही हैं। इस अभिनेत्री पूनम कौर ने प्रीति गांधी की पोस्ट पर लिखा कि यह वे बिल्कुल अपमान कर रही हैं, याद रखें प्रधानमंत्री नारी शक्ति के बारे में बात करते हैं। मैं फिसल गई और लगभग गिरने ही वाली थी, और इस तरह सर (राहुल) ने मेरा हाथ पकड़ लिया, थैंक यू सर। महिला कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी नताशा शर्मा ने लिखा- तुम औरत होकर इतना कैसे गिर जाती हो, तुमसे ज्यादा नीच और गिरा हुआ तो मैंने आज तक नहीं देखा, कुछ तो शर्म करो, या फिर शर्म बेच खाई है? कांग्रेस की एक प्रवक्ता ने लिखा- हां, वे अपने परनाना के नक्शेकदम पर चल रहे हैं, और हमारे इस महान देश को एकजुट कर रहे हैं, आपके बचपन के दुख गहरे हैं, और आपके बीमार दिमाग का सुबूत हैं, आपको इलाज की जरूरत है। 

लेकिन बात महज जुबानी जमाखर्च पर नहीं रूकी, और एक लडख़ड़ाती महिला का हाथ थामकर उसे सहारा देते राहुल के बारे में लिखी ओछी बात के जवाब में लोगों ने प्रीति गांधी की इसी पोस्ट पर जितने तरह की तस्वीरें लगाई हैं वे देखने लायक हैं। इनमें से एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की है जिनमें वे एक युवती के टी-शर्ट की बांह पर आटोग्राफ दे रहे हैं। इंटरनेट पर सर्च करने पर यह फोटो बॉक्सिंग में विश्व चैंपियन बनकर लौटी निकहत (या निखत) जरीन की है। इसके अलावा लोगों ने बहुत सी ऐसी तस्वीरें पोस्ट की  हैं जिनमें मोदी अपने सामाजिक परिचय की महिलाओं से सार्वजनिक रूप से उनके हाथ थामे हुए बात कर रहे हैं, जिनमें आपत्तिजनक तो कुछ नहीं है लेकिन जो प्रीति गांधी की पोस्ट की गई गंदी नीयत का एक राजनीतिक जवाब जरूर बन सकती हैं, बनी हैं। लोग देख रहे हैं कि राहुल गांधी इन महीनों में लगातार पैदल चलते हुए छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं और आदमियों तक की मोहब्बत पा रहे हैं, लोग उनसे लिपट रहे हैं, उनके हाथ थामकर उनके साथ चल रहे हैं, और किसी को इसमें गंदगी की कोई बात नहीं लगी। अब भाजपा की एक नेता जिसकी अपनी बहुत सी तस्वीरें मोदी के साथ उसने खुद ही पोस्ट की हुई हैं, वह राहुल की एक सार्वजनिक तस्वीर को लेकर अगर उनके परनाना पर इस तरह का ओछा हमला कर रही है, तो यह समझ लेने की जरूरत है कि हिन्दुस्तान के अधिकांश जनता इस दर्जे के नफरत की तारीफ नहीं करती। जो लोग ऐसी घटिया नफरत फैलाना चाहते हैं, जो दूसरों के चरित्र पर ऐसा लांछन लगाना चाहते हैं, वे मुंह की खाते हैं, और उनकी गंदी हरकतों का भुगतान उनके नेता और उनकी पार्टी को करना होता है। 

सोशल मीडिया का जमाना लांछन उछालो और भाग निकलो, जैसा नहीं है, अब यहां पर की गई हरकतों का भुगतान भी करना पड़ता है। यह एक अलग बात है कि भाड़े के भोंपुओं को अधिक संख्या में रखने वाले लोग अपने विरोधियों पर हमला अधिक तेजी से कर सकते हैं, लेकिन दूसरे लोग भी जवाबी हमला कुछ हद तक तो कर ही सकते हैं। पार्टियों और संगठनों को अपने लोगों को काबू में रखना चाहिए, वरना एक व्यक्ति की नीचता उसके संगठन को भारी पड़ सकती है। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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