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ऋषभ पंत से बेहतर रिकॉर्ड, फिर भी वनडे टीम में अनदेखी का शिकार क्यों हुए संजू सैमसन
04-Dec-2022 3:39 PM
ऋषभ पंत से बेहतर रिकॉर्ड, फिर भी वनडे टीम में अनदेखी का शिकार क्यों हुए संजू सैमसन

-मनोज चतुर्वेदी

नई दिल्ली, 4 दिसंबर ।  भारत न्यूज़ीलैंड दौरे पर बारिश के कारण तीसरा वनडे मैच रद्द होने के बाद सीरीज़ 1-0 से हार गया.

लेकिन चर्चा भारत के सिरीज़ हारने से ज़्यादा सिरीज़ में विकेटकीपर बल्लेबाज़ संजू सैमसन की उपेक्षा किए जाने की हो रही है.

संजू सैमसन को इस दौरे पर खेली गई टी-20 सिरीज़ के तीनों मैचों में खेलने का मौका ही नहीं दिया गया.

दिलचस्प बात यह है कि वह आक्रामक अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करने की वजह से क्रिकेट के इस सबसे छोटे प्रारूप के बेहतरीन खिलाड़ी माने जाते हैं.

इस दौरे पर टी-20 सीरीज़ में भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले हार्दिक पांड्या ने संजू को सैमसन को नहीं खिला पाने के बारे में कहा था, "सैमसन को नहीं खिला पाने का मामला दुर्भाग्यपूर्ण था. अंतिम ग्यारह चुनते समय रणनीतिक कारणों से उन्हें एकादश से बाहर बैठाने का फैसला करना पड़ा."

छठे गेंदबाज़ी विकल्प के नाम पर चढ़ी बलि

भारतीय टीम प्रबंधन असल में छठे गेंदबाज़ी विकल्प के तौर पर दीपक हुडा को खिलाना चाहता था. इस कारण संजू सैमसन की बलि दे दी गई.

पर दिलचस्प यह है कि दीपक हुडा को यह सोचकर खिलाया गया कि उनके रहने से बल्लेबाज़ी मज़बूत होगी. लेकिन दीपक इस सिरीज में कभी भी बल्ले से चमक बिखेरने में सफल नहीं रहे.

उन्होंने टी-20 और वनडे सिरीज दोनों में दो-दो मैच खेले और दोनों में ही 9-9 रन बनाए. यह ज़रूर है कि वह दोनों सिरीज़ में चार-चार विकेट निकालने में सफल रहे.

दीपक हुडा की वनडे में गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी को देखने के बाद लगता है कि इससे तो बेहतर होता कि टी-20 सिरीज़ में देश के प्रमुख स्पिनर कुलदीप यादव को मौका दिया जाता तो गेंदबाज़ी कहीं बेहतर हो सकती है.

हुडा ने जितने रन बनाए, उतने तो कुलदीप भी बना ही देते.

वनडे सिरीज में किया व्यवहार उचित नहीं

टी-20 सिरीज़ में बाहर बैठाने के बाद जब उन्हें ऑकलैंड में खेले गए पहले वनडे में खिलाया गया तो लगा कि अब उन्हें अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का मौका मिल जाएगा.

इस मैच में भारत को शुरुआती झटके लग जाने पर जब भारतीय टीम मुश्किल में पड़ती नज़र आई, तो संजू ने श्रेयस अय्यर के साथ 96 रन की साझेदारी बनाकर टीम को संभाला.

इसमें उन्होंने 38 गेंदों में 36 रन की पारी खेली. इस प्रदर्शन के बाद लग रहा था कि अब उन्हें दूसरे वनडे की टीम में भी मौका मिल जाएगा.

लेकिन दूसरे वनडे की टीम से एक बार फिर उनका नाम नदारद दिखा. वजह वही पुरानी कि छठे गेंदबाज़ के विकल्प के लिए बाहर बैठाया गया.

जबकि दूसरा वनडे बारिश में धुलने के बाद तीसरे वनडे के लिए टीम में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया और संजू फिर बाहर बैठा दिए गए.

पंत को वरीयता देने का विरोध

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऋषभ पंत विस्फोटक अंदाज़ वाले बल्लेबाज़ हैं और उन्होंने तमाम मौकों पर अपने विस्फोटक अंदाज़ से मैच का रुख़ बदला है.

लेकिन पिछले कुछ समय से ख़राब फॉर्म में रहने पर भी टीम प्रबंधन उन्हें लगातार खेलने का मौका दे रहा है और संजू सैमसन की अनदेखी की जा रही है.

हम सभी जानते हैं कि संजू सैमसन आक्रामक बल्लेबाज ही नहीं बेहतरीन विकेट कीपर भी हैं. पर टीम प्रबंधन उन्हें विकेट कीपर के तौर खिलाने से क्यों बच रहा है? पंत ने इस दौरे पर खेले कुल चार मैचों में 34 रन बनाए हैं.

टीम को जब भी उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की, वह उस पर खरे नहीं उतर सके. पर टीम प्रबंधन लगातार उनके ऊपर भरोसा बनाए रहा.

उसने इस स्थिति में कभी संजू सैमसन को मौका देने के बारे में सोचा ही नहीं, इससे लगता है कि कहीं संजू की जानबूझकर अनदेखी तो नहीं की जा रही है.

संजू का पंत से रिकॉर्ड है बेहतर

संजू सैमसन ने अब तक खेले 11 वनडे मैचों में 66.00 के औसत से 330 रन बनाए हैं, जिसमें दो अर्धशतक शामिल हैं. वहीं 16 टी-20 मैचों में 21.14 के औसत से 296 रन बनाए हैं.

पर ऋषभ पंत का व्हाइट बॉल रिकॉर्ड टेस्ट मैचों की तरह उम्दा नहीं है. उन्होंने 27 वनडे मैचों में 36.52 के औसत से 840 रन और 66 टी-20 मैचों में 22.00 के औसत से 987 रन बनाए हैं.

यही नहीं पिछले कुछ समय से पंत का प्रदर्शन उनके इन आंकड़ों से भी बहुत ख़राब रहा है.

बीसीसीआई की चयन समिति के पूर्व प्रमुख रहे श्रीकांत ने तो यहां तक कह दिया है कि बेहतर हो कि पंत को आराम दे देना चाहिए. इस तरह उन्हें ज़बरदस्ती खिलाकर उनकी प्रतिभा का नुकसान किया जा रहा है.

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया का तो कहना है कि ऐसा लगता है कि संजू सैमसन चयन समिति की आंतरिक राजनीति का शिकार बन रहे हैं.

वह कहते हैं कि "संजू की अंबाति रायुडू वाली स्थिति होती नज़र आ रही है." उनके हिसाब से "वह खासे रन बनाकर भी टीम के की नियमित सदस्य नहीं बन सके थे."

बिना मौका दिए दिखाया बाहर का रास्ता

संजू सैमसन को न्यूज़ीलैंड दौरे पर मौका दिए बग़ैर बांग्लादेश दौरे की टीम से बाहर कर देने से लगता है कि उनके साथ ज़्यादती हो गई है. वह यदि मौका दिए जाने पर फ्लॉप रहते, तब उन्हें नहीं चुना जाता तो भी समझ में आता.

पूर्व टेस्ट खिलाड़ी आकाश चोपड़ा ने भी संजू को इस तरह टीम से बाहर करने का 'अनुचित' बताया है. वैसे भारतीय क्रिकेट टीम में खिलाड़ियों को इस तरह से बाहर करने की यह कोई पहली घटना नहीं है.

मुझे याद है कि भास्कर पिल्लै को भी इसी तरह टीम में चुना गया था और वह मैच बारिश के कारण नहीं खेला जा सका और इसके बाद उनका टीम में चयन ही नहीं किया गया.

संजू सैमसन को न्यूज़ीलैंड दौरे पर मौका नहीं देने के बाद बांग्लादेश दौरे की टीम में नहीं चुने जाने का सोशल मीडिया पर तो ज़बरदस्त विरोध किया जा रहा है.

साथ ही सोशल मीडिया पर चयन समिति के जातिवादी व्यवहार करने का आरोप तक लगा है. (bbc.com/hindi)

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