ताजा खबर
(सागर कुलकर्णी)
उदयपुर (राजस्थान), 6 दिसंबर। यहां जी20 शेरपा की बैठक में आधार, विशिष्ट भुगतान अवसंरचना और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में भारत की पहल की सराहना की गई। यह बात जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने कही।
उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने अन्य विकासशील देशों में ‘‘मॉडल को दोहराने की आवश्यकता’’ पर जोर दिया।
कांत ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने जी20 की भारत की अध्यक्षता के तहत पहली शेरपा बैठक में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में शुरू किए गए कोविड टीकाकरण अभियान को लागू करने संबंधी कोविन ऐप और 50 करोड़ लोगों को बीमा कवर देने वाली आयुष्मान भारत योजना जैसी डिजिटल पहलों पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह, भारत ने जो किया है, उसमें बहुत रुचि दिखी और उसे बहुत प्रशंसा मिली। सभी ने कहा कि इस मॉडल को दोहराने की जरूरत है। मुझे लगता है कि यह एक कहानी है जो निश्चित रूप से बाद के दौर में बड़े पैमाने पर आगे बढ़ेगी।’’
कांत ने कहा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने लेख में शांति और सद्भाव पर जोर दिए जाने की सभी देशों ने सराहना की। प्रधानमंत्री ने दुनियाभर के समाचार पत्रों के लिए यह लेख उस दिन लिखा था जिस दिन भारत ने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी।
कांत ने कहा कि अगले तीन वर्षों के लिए जी20 की अध्यक्षता करने वाले विकासशील देशों से उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक मंच पर अपना विमर्श स्थापित करने में मदद मिलेगी।
सितंबर में नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन के बाद भारत से ब्राजील इस समूह की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। इसके बाद 2025 में दक्षिण अफ्रीका को जी20 की अध्यक्षता मिलेगी। पिछले साल जी20 की अध्यक्षता करने वाला इंडोनेशिया भी एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है।
कांत ने कहा कि जी20 शेरपा बैठक में भारत की प्रस्तुति तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर केंद्रित है जो हाल के दिनों में देश में स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा, "प्रत्येक नागरिक को डिजिटल पहचान प्रदान करने, बड़ी संख्या में बैंक खाते खोलने, नागरिकों का डेटा सशक्तीकरण और तेजी से भुगतान करने में भारत की प्रगति ... भारत ने जो हासिल किया है, उसे हम सामने लेकर आए हैं।"
कांत ने रेखांकित किया कि दुनिया भर में 2015-18 के बीच खोले गए लगभग 55 प्रतिशत बैंक खाते भारत में थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम 46 करोड़ लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने में सफल रहे हैं और हम सरकार की 600 से ज्यादा योजनाओं का लाभ सीधे बैंक खातों में हस्तांतरित करने में सफल रहे हैं।’’
कांत ने वैश्विक कर्ज संकट, बढ़ती महंगाई और मंदी को जी20 के समक्ष प्रमुख चुनौतियों के रूप में चिह्नित किया।
भारत के जी 20 शेरपा ने भारत के ‘वैश्विक दक्षिण’ की आवाज बनने के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘यदि ऋण संकट दुनिया के एक हिस्से में होता है, तो इसका दुनिया के अन्य हिस्सों पर भी प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम आवाज बनने में सक्षम हों।’’
कांत ने कहा, "यह दृढ़ता से महसूस किया गया कि शांति और सद्भाव के बिना आर्थिक विकास में वापस उछाल नहीं आएगा।"
उन्होंने कहा कि शांति और सद्भाव के बिना छोटे देशों के लिए यह बहुत मुश्किल होगा।
कांत ने कहा कि जलवायु वित्त का मुद्दा शेरपा वार्ता में भी उठा और जी20 की वित्तीय बैठकों में इस पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। (भाषा)