संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : राहुल की पदयात्रा देश में सेहत को अकेला खतरा?
22-Dec-2022 5:18 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :   राहुल की पदयात्रा देश में  सेहत को अकेला खतरा?

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का राहुल गांधी के नाम लिखा खत हैरान करता है। डॉ. मनसुख मांडविया ने राजस्थान के दो सांसदों (जाहिर तौर पर भाजपा के) की लिखी गई चिट्ठी के हवाले से राहुल गांधी से उनकी पदयात्रा में सांसदों के उठाए मुद्दों पर शीघ्र कार्रवाई करने की सिफारिश की है। उन्होंने राहुल को लिखा है कि सांसदों ने राजस्थान में चल रही भारत जोड़ो यात्रा से फैल रही कोविड महामारी पर चिंता जाहिर की है। स्वास्थ्य मंत्री ने सांसदों की दो सलाहें राहुल को भेजी हैं। इनमें से एक राजस्थान में चल रही भारत जोड़ो यात्रा में कोविड गाईडलाईन का सख्ती से पालन करने की है, और यह मांग की गई है कि सिर्फ कोरोना-टीका लगे हुए लोग ही इसमें शामिल हों, और यात्रा में जुडऩे के पहले, और उसके बाद यात्रियों को आइसोलेट किया जाए। दूसरी सलाह यह है कि अगर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं है तो पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के हालात को देखते हुए देश को कोविड महामारी से बचाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा स्थगित की जाए। सांसदों के जिक्र के अलावा स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी तरफ से भी सिफारिश की है, इसलिए यह माना जाना चाहिए कि यह भारत सरकार की स्वास्थ्य नीति के अनुकूल लिखी गई बात है। मांडविया ने कहा है कि उन्होंने मंत्रालयों में विशेषज्ञों से बात की है, और उसके आधार पर उन्होंने गहलोत और गांधी को पत्र लिखे हैं। अब इस चिट्ठी की रौशनी में यह देखने की जरूरत है कि भारत सरकार की आज की कोरोना नीति क्या है, कोरोना प्रोटोकॉल क्या है। 

कांग्रेस पार्टी ने अपने जवाब में कुछ बातें गिनाई हैं जिन्हें यहां स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी के साथ पढऩे की जरूरत है। कांग्रेस ने कहा है कि क्या इस तरह का पत्र राजस्थान के भाजपा अध्यक्ष को भेजा गया है क्योंकि वो जनआक्रोश यात्रा निकाल रहे हैं? कांग्रेस ने पूछा कि क्या इस तरह का पत्र कर्नाटक बीजेपी को भेजा गया है, जो इसी तरह की यात्रा निकाल रही है? यह पूछा है कि क्या भारत सरकार ने कोरोना नियमों और प्रोटोकॉल की कोई घोषणा की है, क्या संसद का सत्र स्थगित किया गया है? कांग्रेस प्रवक्ता ने याद दिलाया कि अब तक हवाई सफर में भी न मास्क लगाया जाता है, न सेनेटाइजर दिया जाता है। उन्होंने पूछा कि क्या भारत सरकार को सिर्फ राहुल गांधी, कांग्रेस, और भारत जोड़ो यात्रा ही दिख रही है? कांग्रेस ने यह भी गिनाया है कि जब कोरोना महामारी अपनी चरम पर थी, तब कुंभ का आयोजन किया गया, और यूपी, बिहार, प.बंगाल में विधानसभा चुनाव करवाए गए। एक अखबार ने दो तारीखों के भारत के सरकारी कोरोना आंकड़े गिनाए हैं, द टेलीग्राफ ने लिखा है कि 20 दिसंबर को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान देश में 3408 कोरोना पॉजिटिव थे, और 19 अप्रैल 2021 को प.बंगाल में अमित शाह चुनावी रैली कर रहे थे, उस दिन देश में 20 लाख, 31 हजार, 977 कोरोना पॉजिटिव थे। 

वैसे तो कांग्रेस पार्टी ने स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी पर पर्याप्त जवाब दे दिया है, लेकिन हम उसके मुद्दों से परे की कुछ बातें उठाना चाहते हैं। पिछले बहुत सारे महीनों पहले कोरोना की कोई रोक-टोक रही हो, तो रही हो, अभी तो बहुत समय से कोई कोरोना प्रतिबंध याद भी नहीं पड़ रहे हैं। अभी हाल ही में गुजरात का चुनाव हुआ, और उसमें लाखों लोगों की भीड़ एक साथ दिखी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभी तीन-चार दिन पहले ही बच्चों के किसी समंदर जैसी भीड़ में झुक-झुककर हर किसी से हाथ मिलाते आगे बढ़ते दिख रहे थे, और यह नजारा सभी समाचार चैनलों पर था। पूरे देश में जगह-जगह धार्मिक और सामाजिक समारोह चल रहे हैं, राजनीतिक कार्यक्रम हो रहे हैं, जहां जिसकी जितनी शोहरत है, वहां पर उतने लोग जुट रहे हैं। पूरे देश को लेकर कोई भी कोरोना गाईडलाईन या प्रोटोकॉल सामने नहीं है। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय का ट्विटर पेज कोरोना से सावधान रहने का एक पोस्टर दिखा रहा है, लेकिन इससे परे कोरोना की कोई बात नहीं है। ऐसे में एकदम से एक अकेले राहुल गांधी को नसीहत देना अटपटा है। खासकर तब जबकि स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी चिट्ठी में किसी विशेषज्ञ की राय के आधार पर बात नहीं लिखी है, बल्कि दो भाजपा सांसदों की चिट्ठी की मांग को अपनी सिफारिश बनाकर भेज दिया है। केन्द्र सरकार को कुछ अधिक जिम्मेदारी से कुछ अधिक निष्पक्ष होकर, कुछ अधिक पारदर्शी होकर नसीहत देनी चाहिए। भारत एक संघीय गणराज्य है, और इसमें केन्द्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ मिलकर तालमेल से काम करना होता है। अभी तो चीन में कोरोना की एक नई लहर की खबर के बाद भारत सरकार ने राज्यों को भी कोई चेतावनी नहीं भेजी है, सार्वजनिक रूप से कोई सावधानी नहीं गिनाई है, सार्वजनिक आवाजाही में, भीड़ में किसी सावधानी के निर्देश नहीं हैं, और जैसा कि कांग्रेस ने गिनाया है, दो राज्यों में भाजपा के प्रादेशिक नेताओं की पदयात्राओं को लेकर भी केन्द्र सरकार ने कोई नसीहत जारी नहीं की है। ऐसे में इस एक अकेली यात्रा को लेकर  दो चुनिंदा सांसदों की चिट्ठी को बुनियाद बनाकर स्वास्थ्य मंत्री की ऐसी चिट्ठी पूरी तरह से नाजायज है, और यह केन्द्र सरकार की इज्जत को घटाती है। कांग्रेस का यह सवाल बिल्कुल जायज है कि देश में अगर कोई कोरोना प्रोटोकॉल लागू है तो उसकी जानकारी दी जाए, और कांग्रेस पार्टी उसका पालन करेगी। आज जब देश में कांग्रेस और भाजपा के बीच संबंध इतने अधिक कड़वे चल रहे हैं कि नीम चढ़ा करेला भी उसके सामने शक्कर लगेगा, तो फिर इन दोनों पार्टियों की सरकारों को दूसरे पक्ष से बात करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि हर चिट्ठी और हर बयान इसी कड़वाहट के साथ तौले जाएंगे। फिर जब देश में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के हालात जैसी बात स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी में जा रही है, तो यह खुलासा करना जरूरी है कि यह पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी जैसी परिस्थितियां देश में कहां-कहां पर है, कब से है, और इससे जूझने के लिए सरकार ने क्या-क्या किया है, और क्या-क्या करने को कहा है। 

कोरोना का खतरा छोटा नहीं है, लेकिन अकेले राहुल गांधी की पदयात्रा को देश की सेहत के लिए खतरा अगर केन्द्र सरकार मानती है, तो उसे इस चुनिंदा निशानेबाजी की ठोस वजहें गिनाकर इस पर रोक लगा देनी चाहिए। फिलहाल तो केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से इन बातों पर जवाब आना चाहिए कि अकेले राहुल गांधी को ऐसी चिट्ठी क्यों लिखी गई है, और अकेली यह पदयात्रा केन्द्र सरकार को इतनी खतरनाक क्यों लग रही है? 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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