सामान्य ज्ञान

लैवेंडर एक पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम लैवेडुला है। लैवेंडर, पुदिना परिवार लैमिआसे के 39 फूल देने वाले पौधों में से एक प्रजाति है। एक पुरानी विश्व प्रजाति मकारोनेसिया (केप वर्डे और कैनरी द्वीप और मैदेरा) अफ्रीका, भूमध्यसागरीय, दक्षिणी पश्चिमी एशिया, अरब, पश्चिमी ईरान और दक्षिण पूर्व भारत के पार से वितरित हुई। ऐसा सोचा जाता है कि यह प्रजाति एशिया में उत्पन्न हुई, लेकिन यह अपने पश्चिमी वितरण में अधिक विविधता लिए हुए है।
देशी प्रकार कैनरी द्वीप, उत्तरी और पूर्वी अफ्रीका, दक्षिणी यूरोप और भूमध्य सागर, अरब और भारत के पार तक फैला है। लैवेंडर के लैबिएटी जीनस के फूल एवं पत्तियां सुगंधित होती है। भू-मध्यसागरीय देशों के जंगलों में जो लैबेंडर पाया जाता है, उसे लैवेंडुला स्पाइका कहते हैं।
लैवेंडर की झाड़ी तीन से चार फुट तक ऊंची होती है। लैवेंडर की पत्तियां लंबी, संकरी तथा हलकी हरी होती हैं। इसके फूल हलके नीले रंग के होते हैं। फूल सूखने पर भी पर्याप्त समय तक सुगंधित रहते हैं। इसी कारण सूखे फूलों को कपड़ों में रखकर बहुत से लोग उन्हें सुगंधित रखते थे।
लैवेंडर के फूल में वाष्पशील तेल लगभग 15 प्रतिशत रहता है, जो ओषधि, इत्र तथा चित्रकारी में प्रयुक्त होता है। इस तेल को ऐल्कोहॉल में घुलाकर लैवेंडर जल बनाते हैं। इससे तेल के साथ कुछ अन्य सुगंधित द्रव्य, जैसे मुश्क, गुलाब तथा बर्गामोंट का सत भी डालते हैं। चौड़ी पत्तीवाले लैंवेडर से कम सुगंधित इत्र बनता है। तेल निकालने के लिए फूल अगस्त में एकत्र किए जाते हैं। लैवेंडर का उपयोग बड़े पैमाने पर जड़ी बूटियों और एरोमाथेरपी के साथ किया जाता है।