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हॉकी विश्व कप: टीम इंडिया की मुट्ठी में आई जीत न्यूज़ीलैंड ने ऐसे छीनी
23-Jan-2023 9:19 AM
हॉकी विश्व कप: टीम इंडिया की मुट्ठी में आई जीत न्यूज़ीलैंड ने ऐसे छीनी

-वात्सल्य राय

बहुत से लोगों के लिए ये पैसा वसूल मैच था. टीवी के प्राइम टाइम पर दिखाई जाने वाली किसी सस्पेंस, थ्रिलर, 'संडे ब्लॉकबस्टर' की तरह.

कभी पलड़ा इधर, कभी उधर. आख़िरी पलों में तो ये तय करना मुश्किल था कि कौन बाज़ी जीतेगा और कौन घुटने टेकेगा.

कभी भारत आगे था तो कभी न्यूज़ीलैंड भारी.

रोमांच का आलम ये था कि क़रीब 15 हज़ार की क्षमता वाले भुवनेश्वर के कलिंग स्टेडियम में 60 मिनट के खेल के बाद जब पेनल्टी शूटआउट दौर शुरु हुआ तो स्टैंड्स में शायद ही कोई दर्शक हो जो अपनी कुर्सी छोड़कर खड़ा न हो गया हो.

हॉकी वर्ल्ड कप के क्रॉसओवर मैच में भारत की हार
न्यूज़ीलैंड ने रोमांचक मुक़ाबले में मेज़बान टीम को हराया
निर्धारित समय तक 3-3 से बराबर रहा मुक़ाबला
शूटआउट दौर में दोनों टीमों को मिले पांच मौक़े, स्कोर रहा बराबर
सडनडेथ राउंड में न्यूज़ीलैंड ने मारी बाज़ी, 5-4 से जीता मैच
भारत को मैच में कई मौक़े गंवाना पड़ा भारी
क्वार्टर फ़ाइनल में डिफेंडिंग चैंपियन बेल्जियम से न्यूज़ीलैंड की टक्कर

गेंद रोकने की कोशिश में चोट खाने के बाद कराहते और दर्द छुपाने की कोशिश करते पीआर श्रीजेश गोलपोस्ट के पीछे की बाउंड्री पर पीठ टिकाकर बैठे तो पूरा कलिंग स्टेडियम उनका नाम पुकारने लगा. 'श्रीजेश... श्रीजेश'... की पुकार मानो उस 'दीवार' के टिके रहने की फरियाद थी जो न्यूज़ीलैंड और क्वार्टर फ़ाइनल के बीच खड़ी थी.

शूटआउट दौर में 'गिर' कर गोल बचाने की कोशिश तो कामयाब हो गई लेकिन जिस्म ने 'सडन डेथ' दौर में खड़े होने से इनकार कर दिया.

श्रीजेश ने आइस पैक मंगाया लेकिन बात नहीं बनी. दूसरे गोलकीपर कृष्णा पाठक भी जीत छिटकने देने को तैयार नहीं थे लेकिन उनके जोश पर न्यूज़ीलैंड की ज़िद भारी पड़ी.

'दिल तोड़ने वाली' हार
पूरे मैच के दौरान 'गला फाड़' देने की हद तक चीखते हुए भारतीय टीम का जोश बढ़ाते रहे फैन्स ने मैच के बाद 'विक्ट्री मार्च' पर निकली न्यूज़ीलैंड टीम की दिल खोलकर सराहना की.

टीम हारी तो भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे पर मायूसी की लकीर साफ़ नज़र आई.

चेहरे पर तिरंगा पेंट कराए, हाथों में तिरंगा थामे कुछ फैन्स के लिए तो भावनाएं काबू करना भी मुश्किल हो गया.

माता-पिता के साथ मैच देखने आए करीब 10 साल के अभिजीत मोहंती भी ऐसे फैन्स में शामिल थे.

अभिषेक ने कहा, "मुझे बहुत दुख हुआ, वो इस तरह हारे. वो खेल ही नहीं पा रहे थे."

फेवरेट थी भारतीय टीम

फैन्स के मायूस होने की बड़ी वजह ये थी कि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ क्रॉसओवर मैच में भारतीय टीम फेवरेट थी.

न्यूज़ीलैंड टीम ग्रुप सी में तीसरे नंबर पर रही थी. उसने हार का झटका भी झेला था. वहीं, भारतीय टीम ने रविवार के पहले टूर्नामेंट में कोई मैच नहीं गंवाया था और ग्रुप डी में दूसरे नंबर थी.

न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ उसका हालिया रिकॉर्ड दमदार था और रैंकिंग (न्यूज़ीलैंड 12 वीं, भारत छठी) में भी मेज़बान टीम कहीं आगे थी.

मैच के पहले दो हाफ में भारतीय टीम बेहद आक्रामक थी और ज़्यादातर वक़्त गेंद न्यूज़ीलैंड के सर्किल में रखने में कामयाब रही थी.

तीसरे क्वार्टर में एक वक़्त उसके पास 3-1 की बढ़त थी लेकिन मैच के 43वें मिनट से न्यूज़ीलैंड ने ऐसा पलटवार किया कि भारतीय रक्षापंक्ति बिखर गई.

भारतीय टीम ने अगर हाथ आए सभी मौक़े भुनाए होते तो मैच में शूटआउट और सडनडेथ तक जाने की ज़रूरत ही नहीं होती.

भारत को पहला पेनल्टी कॉर्नर पहला क्वार्टर ख़त्म होने के दो मिनट पहले मिला लेकिन कप्तान हरमनप्रीत मौक़ा नहीं भुना सके.

दूसरे क्वार्टर में भारतीय टीम ज़्यादा आक्रामक थी. खेल शुरू होने के दूसरे ही मिनट (मैच के 17वें मिनट) में शमशेर सिंह के पास पर ललित उपाध्याय ने मैच का पहला गोल दागा.

चार मिनट बाद भारत को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला. गेंद न्यूज़ीलैंड के गोलपोस्ट में गई. खिलाड़ी जश्न मनाने लगे और दर्शक झूमने लगे लेकिन थर्ड अंपायर के फ़ैसले ने न्यूज़ीलैंड को राहत दी.

23वें मिनट में भारत ने एक और पेनल्टी कॉर्नर को बेकार कर दिया लेकिन एक मिनट बाद सुखजीत सिंह ने भारत की बढ़त दोगुनी कर दी.

पहले दो क्वार्टर में नर्वस दिख रही न्यूज़ीलैंड टीम के लिए मैच के 28वें मिनट में सैम लैन ने पहला गोल दागा. खाता खोलने के बाद तीसरे क्वार्टर में न्यूज़ीलैंड के खिलाड़ी आक्रामक नज़र आने लगे.

दोनों टीमों के गोलपोस्ट बदलने के बाद टीम की किस्मत भी बदलती दिखी लेकिन तीसरे क्वार्टर में भी आगे भारतीय टीम थी.

40वें मिनट में वरुण कुमार ने पेनल्टी कॉर्नर को भुनाया और भारत के खाते में 3-1 की बढ़त हो गई.

यहां न्यूज़ीलैंड पर निर्णायक दबाव बनाने का मौक़ा था लेकिन भारतीय खिलाड़ी मौक़े गंवाते गए. उनके पास न्यूज़ीलैंड के काउंटर अटैक का भी जवाब नहीं था.

न्यूज़ीलैंड का पलटवार
न्यूज़ीलैंड के लिए कैन रसेल ने 43वें मिनट में दूसरा गोल दागा.

चौथे क्वार्टर के दौरान ( मैच के 49 वें मिनट में) सीन फिनले ने न्यूज़ीलैंड के लिए तीसरा गोल दागा और स्कोर बराबर कर दिया. इस क्वार्टर में भारतीय टीम कोई गोल नहीं कर सकी.

अब मैच का फ़ैसला शूटआउट से होना था. दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने पहले दो मौक़े भुनाए. भारत के लिए अभिषेक तीसरा मौक़ा नहीं भुना सके और न्यूज़ीलैंड टीम आगे निकल गई.

श्रीजेश ने न्यूज़ीलैंड के अगले दो खिलाड़ियों को गोल नहीं भेदने दिया और शमशेर सिंह ने भारत को बराबरी पर ला दिया लेकिन वही शमशेर जब सडन डेथ राउंड में मोर्चे पर आए तो गेंद को गोलपोस्ट में नहीं डाल सके.

हार के बाद उठे सवाल
महिला हॉकी खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले शंकर बेंगलुरू से मैच देखने भुवनेश्वर आए थे.

दूसरे हाफ़ में भारतीय टीम के खेल और कई पेनल्टी कॉर्नर गंवाने को लेकर वो बहुत ख़फ़ा दिखे.

उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैच में जो मौक़े मिलते हैं, अगर उनमें से 40 से 50 प्रतिशत को गोल में नहीं बदलेंगे तो जीत मुश्किल है."

शंकर ने कहा कि सिर्फ़ इस मैच में नहीं बल्कि पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम एक सी ग़लतियां करती रही.

उन्होंने कहा, "वेल्स के सामने आठ पेनल्टी कॉर्नर मिले, इंग्लैंड के सामने नौ पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन टीम उन्हें भुना नहीं पाई."

अगर भारतीय टीम ने इंग्लैंड पर जीत हासिल की होती या फिर वेल्स के खिलाफ़ जीत का अंतर बड़ा होता तो उसे सीधे क्वार्टर फ़ाइनल में जगह मिल सकती थी.

शंकर इसे सिर्फ़ खिलाड़ियों की कमी नहीं मानते. उन्होंने कोच ग्राहम रीड की रणनीति पर भी सवाल उठाए.

उन्होंने कहा, "कोच को इस मामले में सुधार लाने की कोशिश करनी चाहिए. भारतीय कोच ने अगर रणनीति बनाई थी तो मैदान पर नतीजे क्यों नहीं मिले, उन्होंने जो भी योजना बनाई वो दमदार नहीं थी."

ये वो सवाल हैं जिन्हें कई और लोग भी पूछ रहे हैं.

भारतीय टीम ख़िताबी रेस से बाहर हो गई है लेकिन वर्ल्ड कप अभी जारी है.

कलिंग स्टेडियम को केंद्र में रखकर रोशनी से नहाए भुवनेश्वर की चमकती सूरत 29 जनवरी (फ़ाइनल का दिन) तक शायद ही फ़ीकी हो लेकिन रविवार की शाम यहां उठा जोश और जुनून का आसमान छूता गुबार इस वर्ल्ड कप में दोबारा दिखे, ये मुश्किल लगता है.

मेज़बान टीम की हार फैन्स का जोश भी ठंडा कर गई. (bbc.com/hindi)

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