अंतरराष्ट्रीय

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बीबीसी की पीएम नरेंद्र मोदी पर डॉक्यूमेंट्री को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा है कि हम दुनिया में प्रेस की आज़ादी का समर्थन करते हैं, और हम हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों के महत्व को उजागर करते आए हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस से सवाल पूछा गया कि पीएम नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को भारत सरकार ने बैन कर दिया है. इसे लेकर यूनिर्सिटी, कॉलेज बंद किए जा रहे हैं, लिंक सोशल मीडिया से हटाए जा रहा हैं. क्या आपको लगा है कि ये बोलने की आज़ादी का मुद्दा है?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि जब इस तरह की बात आती है तो हम दुनियाभर में प्रेस की आज़ादी का समर्थन करते हैं. हम और हम हमेंशा लोकतांत्रिक मूल्यों की महत्ता को उजागर करते आए हैं, जैसे-बोलने की आज़ादी, धर्म और मान्यताओं को मानने की आज़ादी, मानवाधिकार. इस सभी से लोकतंत्र मज़बूत होता है. ये वो बिंदु हैं जिसके आधार पर हम दुनियाभर के देशों से रिश्ते बनाते हैं.ज़ाहिर तौर पर भारत के साथ हमारे रिश्ते में भी ये एक बिंदु है.”
बीबीसी ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है - 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन'.
इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को ब्रिटेन में प्रसारित हुआ था. दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित हुआ.
ये डॉक्यूमेंट्री बीबीसी 2 पर दिखाई गई है. बीबीसी ने भारत में इसे रिलीज नहीं किया है.
सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को सो़शल मीडिया या यूट्यूब जैसे प्लेटफ़ॉर्मों पर शेयर करने पर रोक लगाई है.
सरकारी प्रतिबंध का विरोध करते हुए बड़ी तादाद में लोग बीबीसी की अनुमति के बग़ैर डाउनलोडेड वर्जन शेयर कर रहे हैं.
मंगलवार को दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' की स्क्रीनिंग के दौरान डॉक्यूमेंट्री देखने वाले छात्रों पर पथराव हुआ है और छात्रों ने जेएनयू गेट तक मार्च निकाला और नारेबाज़ी की.
इसके अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े छात्र संगठन एसएफ़आई ने बुधवार को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की घोषणा की थी. लेकिन यहां भी भारी सुरक्षा बल तैनात रही और स्क्रीनिंग नहीं करने दिया गया. (bbc.com/hindi)