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नई दिल्ली, 27 जनवरी । टेक मैगज़ीन वायर्ड ने इस सप्ताह एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके मुताबिक़ भारत सरकार ने एक साल में लगभग 6 लाख छात्रों और 10 लाख से ज़्यादा शिक्षकों का डेटा एक ओपेन वेब पर एक्सपोज़ किया है, इस डेटा को कोई भी देख सकता था.
मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने उस इंटेलीजेंस सॉफ़्टवेयर कंपनी एंडयूएन के को-फ़ाउंडर नैथेनिल फ्राइड से बात की.
इस बातचीत के आधार पर संस्था कहती है कि ये छात्र और शिक्षक दीक्षा ऐप के यूज़र थे. ये भारत सरकार के शिक्षा विभाग का ऐप है जिसे पहली से 12वीं कक्षा के छात्रों की आनलाइन शिक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
मानवाधिकार संस्था का विश्लेषण कहता है कि इस डेटा में छात्रों का नाम, स्कूल , राज्य, ज़िला, ब्लॉक, उनका पता , यहां तक की आंशिक रूप से फोन नंबर और इमेल भी शामिल है.
फ्राइड और ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, डेटा मार्च 2020 से दिसंबर 2022 तक का है जब कई बच्चों को कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने के दौरान शिक्षा के दीक्षा ऐप का इस्तेमाल करने को कहा गया था. (bbc.com/hindi)