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बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर कैंपस में कोहराम
27-Jan-2023 1:21 PM
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर कैंपस में कोहराम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को दिखाने और ना दिखाने को लेकर देश के कई विश्वविद्यालयों में बवाल हो रहा है. विपक्षी दल डॉक्यूमेंट्री पर बैन पर सवाल उठा रहे हैं.

  (dw.com) 

बीबीसी ने दो भाग में डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है - इंडिया: द मोदी क्वेश्चन. डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत पहले ही ऐतराज जता चुका है और इसको ट्विटर और यूट्यूब पर बैन कर चुका है. यह डॉक्यूमेंट्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य में 2002 में हुए दंगे को लेकर है . गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों में हजारों लोग मारे गए थे और डॉक्यूमेंट्री मोदी की भूमिका पर सवाल उठाती है.

दो भाग वाली डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन भारत में बीबीसी द्वारा प्रसारित नहीं की गई है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी क्लिप सोशल मीडिया पर साझा करने से प्रतिबंधित कर दिया है. सूचना प्रौद्योगिकी कानूनों के तहत आपातकालीन शक्तियों का हवाला देते हुए भारत सरकार ने ऐसा किया है. सरकार के आदेश के बाद ट्विटर और यूट्यूब ने अनुरोध का अनुपालन किया और डॉक्यूमेंट्री के कई लिंक हटा दिए.

डॉक्यूमेंट्री पर बैन की आलोचना
डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विपक्षी दलों और अधिकार समूहों में आलोचना की एक लहर पैदा कर दी, जिन्होंने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया.

डॉक्यूमेंट्री पर बैन के कारण इसकी ओर और भी लोगों का अधिक ध्यान आकर्षित हुआ है, जिसके बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स ने फिल्म की क्लिप्स को व्हॉट्सऐप, टेलीग्राम और ट्विटर पर शेयर किया.

आलोचना को दबाने का आरोप
हाल के सालों में भारत में प्रेस की स्वतंत्रता गिरी है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 142 से आठ स्थान गिरकर 150 हो गई है. संस्था का आरोप है कि मोदी सरकार आलोचना को दबाती है खासकर ट्विटर पर होने वाली आलोचनाओं को. सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इससे इनकार किया है, भले ही मोदी सरकार नियमित रूप से ट्विटर पर ऐसी सामग्री को प्रतिबंधित करने के लिए दबाव डालती रही है जिसे वह प्रधानमंत्री या उनकी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण मानती है.

पिछले साल सरकार ने देश में ट्विटर के कर्मचारियों को आलोचकों द्वारा चलाए जा रहे खातों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार करने पर गिरफ्तार करने की धमकी दी थी. सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नियमों में व्यापक बदलाव लागू किए हैं.

इस बीच प्रतिबंध ने ट्विटर के आलोचकों को कंपनी पर सेंसरशिप का आरोप लगाने का मौका दे दिया है. ट्विटर के सीईओ इलॉन मस्क ने ट्वीट कर ऐसे ही एक आरोप का जवाब दिया "मैंने ऐसा सुना है. मेरे लिए ट्विटर के हर पहलू को दुनियाभर में रातोंरात ठीक करना संभव नहीं है."

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन ऐसे समय में लगा है जब हाल ही में केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में एक नए संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत प्रेस सूचना ब्यूरो या सरकार की दूसरी कोई संस्था जिस भी खबर को 'फेक न्यूज' बताएगी उस खबर को सभी समाचार और सोशल मीडिया संस्थानों को अपनी वेबसाइटों से हटाना होगा . पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ने इसका विरोध किया है. एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए गिल्ड ने कहा है कि फेक न्यूज निर्धारण करने की शक्ति के सिर्फ सरकार के हाथ में होने से प्रेस की सेंसरशिप होगी.

यूनिवर्सिटी परिसर में डॉक्यूमेंट्री पर बवाल
इस बीच बुधवार को राजधानी दिल्ली में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दिखाने को लेकर तनाव की स्थिति पैदा हो गई. जहां छात्रों के एक समूह ने डॉक्यूमेंट्री को दिखाने की योजना बनाई थी. जिसके बाद यूनिवर्सिटी के बाहर भारी संख्या में पुलिस तैनात की गई.

सादी वर्दी में तैनात पुलिस वालों की झड़प कुछ छात्रों के साथ हुई है और आधा दर्जन छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

इससे पहले मंगलवार को राजधानी के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की बिजली काट दी गई. विश्वविद्यालय में छात्रों के एक गुट ने डॉक्यूमेंट्री दिखाने की योजना बनाई थी. लेकिन बिजली की कटौती के बाद छात्रों ने लैपटॉप और मोबाइल पर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की. वहीं हैदराबाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने 21 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के बाद जांच शुरू कर दी है. गुरूवार को दोबारा इस डॉक्यूमेंट्री को स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दिखाई.

इसके बाद एबीवीपी ने कैंपस में विवादित फिल्म द कश्मीर फाइल्स को परिसर में दिखाई है.

पिछले हफ्ते सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डॉक्यूमेंट्री की आलोचना करते हुए इसे 'पक्षपातपूर्ण प्रोपेगेंडा' करार दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "डॉक्यूमेंट्री उस एजेंसी पर प्रतिबिंब है जिसने इसे बनाया है. हमें लगता है कि यह बदनाम करने के लिए डिजाइन किया गया प्रचार का हिस्सा है. पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और निरंतर औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है. इसे भारत में प्रदर्शित नहीं किया गया है."

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बीते दिनों कहा था, "सच्चाई हमेशा सामने आती है. आप उसे कैद नहीं कर सकते हैं. आप मीडिया को दबा सकते हैं. आप संस्थानों को नियंत्रित कर सकते हैं, आप सीबीआई, ईडी और सभी चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन सच तो सच होता है."

एए/सीके (एपी, रॉयटर्स)

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