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नयी दिल्ली, 27 जनवरी। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह हत्या के प्रयास के मामले में लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश पर गौर करेगा और कानून के दायरे में कदम उठायेगा।
दोषसिद्धि के कारण फैजल को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया था, जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने संबंधित सीट पर उपचुनाव की घोषणा की थी।
शीर्ष अदालत चुनाव आयोग के उस प्रेस नोट को चुनौती देने वाली फैजल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके पूर्ववर्ती निर्वाचन क्षेत्र लक्षद्वीप में उपचुनाव कराने की घोषणा की गई थी।
न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह के इस दलील का संज्ञान लिया कि चुनाव आयोग की कार्रवाई उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में कानून के अनुरूप होगी।
पीठ ने इसके बाद कहा “यह भी दलील दी गयी है कि निर्वाचन आयोग निचली अदालत के आदेश (दोषसिद्धि के) के अनुसार आगे बढ़ा था। आरोपों में गये बिना या किसी गुण-दोष का जिक्र किये बिना हम इन दलीलों को रिकॉर्ड में लेते हुए रिट याचिका का निस्तारण करते हैं, जिसमें कहा गया है कि ईसीआई द्वारा सजा के निलंबन के उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।’’
फैजल की ओर से पेश अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उपचुनाव नहीं हो सकता, क्योंकि उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया है।
आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने सिब्बल की दलील का विरोध करते हुए कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका नहीं टिकती है और इस पर चुनाव आयोग को फैसला करना है। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 32 किसी व्यक्ति को न्याय पाने के लिए शीर्ष अदालत जाने का अधिकार देता है लेकिन तब, जब उसे लगता है कि उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से अनुचित रूप से वंचित किया गया है।
फैजल ने अपनी याचिका में कहा कि विवादित प्रेस नोट में आयोग ने उच्च न्यायालय में दोषसिद्धि और सजा पर रोक के लिए उनकी याचिका के परिणाम का इंतजार किए बिना सीट भरने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग की घोषणा मनमानी, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण थी।
केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को फैजल की दोषसिद्धि को यह कहते हुए निलंबित कर दिया था कि ऐसा नहीं करने पर उनकी खाली सीट के लिए फिर से चुनाव होंगे, जिससे सरकार और जनता पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा।
फैजल के खिलाफ मामले में अभियोजन पक्ष के अनुसार, फैजल और 36 अन्य अभियुक्तों ने कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ सालिह और उनके दोस्त मोहम्मद कासिम पर तब हमला किया था जब वे 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक राजनीतिक मुद्दे पर हस्तक्षेप करने के लिए उनके पड़ोस में पहुंचे थे।
लक्षद्वीप की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के मामले में 11 जनवरी को फैजल समेत चार लोगों को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। (भाषा)