विचार / लेख

करो या मरो का करिश्माई खेल
30-Jan-2023 4:36 PM
करो या मरो का करिश्माई खेल

photo : twitter

-प्रकाश दुबे
हॉकी की बदहाली पर सिर्फ रोना रोने वाले चकित हैं। शर्मिंदा हों न हों। सरकारी फाइलों में बेअसर हॉकी की मार को नए ब्रांड एंबसडर ने देश को आजाद कराने वाले नारे से जोड़ा। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नारा था-करो या मरो। जीतने वाले या वोट दिलाऊ शोहरत पाने वाले कलाकार-खिलाड़ी को ईनाम बांटने का रिवाज पुराना है। इस नारे को ओडिशा सरकार ने हॉकी को चमकाया। पूर्व कप्तान दिलीप तिर्की को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पार्टी उम्मीदवार बनाकर राज्यसभा भेजा। 85 अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी देने वाले आदिवासी बहुल जिले सुंदरगढ़ में शानदार हॉकी स्टेडियम बना। विश्व कप हॉकी प्रतियोगिता जारी है। नवीन बाबू को गांवों से प्रेरणा मिली। सुंदरगढ़ जिले की दिलचस्प परंपरा है। बच्चे करो या मरो की भावना से हॉकी खेलते हैं। जीतने वाले बच्चों को सरकार या बाकी कोई कुछ दे या न दे, गांव वाले मुर्गा या बकरा ईनाम देते थे। जितनी बड़ी जीत। उतने अधिक बकरे। जीत की चाह जगाने में बकरों की बलि से भी सरकारें सबक ले सकती हैं।

सविनय अवज्ञा आंदोलन
भारत जोड़ो की पुलिस सुरक्षा में कश्मीर और दिल्ली के रहनुमा सर खपाते रहें। हमसे सुनो हवाल इन दिनों केन्द्रशासित जम्मू-कश्मीर में जारी अजीब किस्म का सविनय अवज्ञा आंदोलन का। 22 दिसंबर 2022 को फरमान जारी हुआ था कि  सारे सरकारी कर्मचारी 31 जनवरी 2023 तक सालाना अपनी संपत्ति का ब्यौरा आन लाइन भिजवा दें। गणतंत्र दिवस बीत गया। कर्मचारियों की नाफरमानी का आलम यह है कि प्रशासन को फिर से कड़ा निर्देश जारी करना पड़ा। चेतावनी दी गई कि अंतिम तिथि नहीं बढ़ाई जाएगी और उसके बाद आन लाइन विवरण लेना बंद होगा। सतर्कता विभाग, वेतन विभाग आदि नाफरमानी करने वालों को देख लेंगे। इससे जुड़ी दूसरी विपदा। एक अप्रैल से संपत्ति कर लागू करने का शहरी विकास मंत्रालय का पक्का इरादा है। जम्मू कश्मीर के आवास और शहरी विकास विभाग के अफसरों के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं। वज़ह भारतीय जनता पार्टी भी प्रस्ताव का विरोध कर रही है। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी पर दबाव है कि सिर्फ कारोबारी इमारतों से संपत्ति कर वसूलें। घरों का छूट मिले।       

नमक कानून
गणतंत्र दिवस पर अलंकरण से सजने वाले बधाई के पात्र हैं। एक से अधिक बधाई के पात्रों में दो पुलिस अधिकारी शामिल हैं। देवेन भारती ने पांच जनवरी को मुंबई के विशेष पुलिस आयुक्त का प्रभार संभाला। यह पद पहली बार बना। भारती के विरुद्ध जांच और प्राथमिकी कचरा टोकरी में गईं। जांच करने वाले पुलिस महानिदेशक संजय पांडे जमानत पर घर बैठे। राष्ट्रपति से पुलिस पदक पाने वालों की सूची में नाम दर्ज हुआ। 
महानिदेशक की दौड़ में फिलहाल रश्मि शुक्ला से पीछे हैं। दूसरा नाम जम्मू कश्मीर के विजय कुमार का है। जवाहर लाल नेहरू विवि में पढ़ाई के कारण सीखे दांवपेंच के कारण विजय कुमार को नक्सली गंठजोड़ तोडऩे के लिए बस्तर में तैनाम किया गया था। अमित भाई की टीम उन्हें दिल्ली में चाहती है। जम्मू कश्मीर कैडर का होने के कारण पुलिस महानिदेशक के लिए दावा तो बनता ही है। विजय कुमार को 2022 में महानिरीक्षक से पदोन्नत किया गया। उनके छप्पन इंच के सीने पर राष्ट्रपति का पुलिस पदक सजेगा। वैसे पदक संख्या में उनसे होड़ लेने वाला शायद ही कोई दूसरा पुलिस अधिकारी हो।  

खिलाफत
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला वसंतपंचमी को अपना जन्मदिन मनाते थे। वर दे वीणावादिनि, वर दे कविता लिखने वाले निराला का जन्म बंग भूमि महिषादल में हुआ। हाथे खड़ी पर्व पर सरस्वती पूजा के साथ अक्षर ज्ञान की शुरुआत होती है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनकर पहुंचे बोस के नाम से सुभाष चंद्र बोस का भ्रम होगा। आनंद बोस मलयाली हैं। पिछले सालों का तनाव खत्म करते हुए राज्यपाल और मुख्यमंत्री हाथे खड़ी समारोह में साथ साथ थे। राज्यपाल ने बांग्ला अक्षर लिखा और राज्यपालों के प्रति दुर्गावतार धारण करने वाली ममता बनर्जी ने मधुर वाणी में मलयालम में अभिवादन किया। भाषा संगम हो और खिलाफत न हो? ऐसा नहीं हो सकता। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ममता-मोह से परे हैं। नेताजी सुभाष बाबू पर श्रद्धा है। राज्यपाल  बोस पर कुपित हैं। लोकसभा सदस्य दिलीप बाबू का कहना है कि बच्चों के अक्षर ज्ञान कार्यक्रम तमाशे में राज्यपाल को जाने की जरूरत नहीं थी। 
विशेष- सभी शीर्षक महात्मा गांधी के जन आंदोलनों के नाम हैं।
(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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