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असम में बाल विवाह के खिलाफ अभियान से विवाद बढ़ा
06-Feb-2023 1:07 PM
असम में बाल विवाह के खिलाफ अभियान से विवाद बढ़ा

असम में बाल विवाह करने और कराने वालों के खिलाफ बिना किसी पूर्व चेतावनी की ओर से सरकार की ओर से शुरू किए गए व्यापक अभियान और इसके तहत हजारों लोगों की गिरफ्तारियों पर विवाद लगातार तेज हो रहा है.

  डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट

रविवार को असम में एक महिला के अपने पिता की गिरफ्तारी के डर से कथित रूप से आत्महत्या करने की खबर आई. एक अन्य महिला ने धमकी दी कि वह भी खुदकुशी कर लेगी. ये महिलाएंबाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में अपने-अपने घर के पुरुषों की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इन  गिरफ्तारियों पर असम सरकार पर निशाना साधा है. ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट  (एआईयूडीएफ) के मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने भी राज्य सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उनकी पार्टी के विधायक अमीनुल इस्लाम ने इस कार्रवाई को महज बजट की खामियों और अडानी के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है.

केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018-20 के दौरान असम में मातृ मृत्यु दर सबसे अधिक रही और एक लाख शिशुओं को जन्म देने के दौरान 195 प्रसूताओं की मौत हो गई. नवजातों की मौत के मामले में असम देश में तीसरे स्थान पर है. असम सरकार का कहना है कि राज्य में बाल विवाह के कारण ही मातृ और शिशु मुत्यु दर बढ़ रही है.

चार हजार से ज्यादा मामले

असम में बाल विवाह के आरोप में चार हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. असम के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह बताते हैं, "अब तक दो हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के पास आठ हजार अभियुक्तों की सूची है और यह अभियान जारी रहेगा. इसके तहत वर और उसके परिजनों के अलावा पंडितों और मौलवियों को भी गिरफ्तार किया जा रहा है." पुलिस के मुताबिक, अब तक सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां धुबड़ी, कोकराझार, बरपेटा और विश्वनाथ जिलों में हुई हैं.

असम सरकार ने बीती 23 जनवरी को बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया था. इसके तहत बाल विवाह के दोषियों को गिरफ्तार करने के साथ ही व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाने की बात कही गई थी.

असम पुलिस 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज कर रही है. इसके अलावा 14 से 18 साल तक की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

महिलाओं का विरोध

बीते सप्ताह के आखिर में पुलिस अभियान शुरू होने के बाद खासकर बांग्लादेश से सटे मुस्लिम बहुल धुबड़ी जिले में गिरफ्तारियों के विरोध में सैकड़ों महिलाएं सड़क पर उतर आई हैं. उन्होंने इलाके के तमारहाट पुलिस स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया और पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की. इन महिलाओं ने कुछ देर के लिए हाईवे पर वाहनों की आवाजाही भी ठप कर दी थी. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. महिलाओं की मांग थी कि बाल विवाह के आरोप में गिरफ्तार उनके पतियों और पुत्रों की तत्काल रिहा किया जाए.

धुबड़ी की पुलिस अधीक्षक अपर्णा एन. ने पत्रकारों को बताया कि महिलाओं के साथ झड़प में सीआरपीएफ का एक जवान घायल हो गया लेकिन अब परिस्थिति नियंत्रण में है.

इस बीच एक महिला सीमा खातून ने शनिवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. परिजनों के मुताबिक, उसे डर था कि उसके पिता भी गिरफ्तार हो जाएंगे क्योंकि उन्होंने उसकी शादी भी कम उम्र में की थी. उसके दो बच्चे हैं और पति की मौत हो चुकी है. इसके अलावा एक और महिला ने पुलिस स्टेशन जाकर धमकी दी है कि उनके पिता और पति को नहीं छोड़ा गया तो वो भी खुदकुशी कर लेगी.

प्रदर्शनकारी महिलाओं का आरोप है कि परिजनों की गिरफ्तारी के कारण उन्हें आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. कोकराझार जिले की एक महिला एम. बसुमतारी का सवाल था, "आखिर पुरुषों को क्यों गिरफ्तार क्यों किया जा रहा है? घर के कमाऊ सदस्यों के जेल जाने के बाद परिवार का गुजारा कैसे होगा? मेरे पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है.” एक अन्य महिला सबीना खातून का कहना कि उनका बेटा एक एक नाबालिग लड़की के साथ भाग गया था. गलती उसने की लेकिन मेरे पति को क्यों गिरफ्तार किया गया?" एक अन्य महिला नसीमा बानो बताती हैं, "शादी के समय मेरी बहू 17 वर्ष की थी. अब वह 19 वर्ष की है और पांच महीने की गर्भवती है. बेटे के जेल जाने के बाद उसकी देखभाल कौन करेगा?''

सियासत तेज

अब इस मुद्दे पर सियासत भी लगातार तेज हो रही है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए बीजेपी सरकार को मुस्लिम-विरोधी बताया है. उन्होंने गिरफ्तारियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार लड़कों को जेल भेज देगी तो लड़कियों का क्या होगा? उनकी देखभाल कौन करेगा?

ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने भी बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए बीजेपी सरकार पर लोगों को धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया है. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को मुस्लिम विरोधी बताते हुए कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में 80 फीसदी मुस्लिम ही होंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री पर जानबूझकर मुस्लिमों को परेशान करने का आरोप लगाया है. अजमल का कहना था कि सरकार को पहले पूरे राज्य में 30-40 दिनों तक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए था.

एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह अडानी के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है. वह कहते हैं, "एआईयूडीएफ बाल विवाह के खिलाफ है लेकिन सरकार जागरूकता फैलाने और साक्षरता दर बढ़ाने पर ध्यान नहीं दे रही है. बाल विवाह के नाम पर लोगों को जेल भेजना उचित नहीं है.”

लेकिन इन आलोचनाओं पर ध्यान दिए बिना मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा और अभी हजारों लोगों की गिरफ्तारियां होंगी. (dw.com)

 

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