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विवाह समारोह यादगार
प्रदेश भाजपा के बड़े नेता बृजमोहन अग्रवाल की पुत्री के विवाह समारोह में सोमवार को साधु-संतों से लेकर मंत्री-विधायक, और अफसरों का जमावड़ा रहा। इस समारोह में हजारों लोग शामिल हुए।
कुछ दिन पहले ही पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के पुत्र के विवाह निपटा था। कौशिक एक हफ्ते दिल्ली में रहकर तमाम बड़े नेताओं को न्यौता दिया था। बिलासपुर में हुई कौशिक के बेटे की शादी में यद्यपि राष्ट्रीय नेता नहीं आ पाए थे, लेकिन प्रदेश भाजपा के तमाम बड़े नेता और सरकार के कुछ मंत्री मौजूद थे।
बिलासपुर से सटा कौशिक का विधानसभा क्षेत्र बिल्हा भी है। लिहाजा, वहां से अच्छे-खासे लोग विवाह में शामिल होने पहुंचे थे। चुनावी साल में अच्छी भीड़ से गदगद कौशिक के एक करीबी पदाधिकारी ने पार्टी के एक सीनियर विधायक से कह गए कि विवाह समारोह का माहौल किसी मेला-मड़ई से कम नहीं है। तब विधायक ने बृजमोहन के यहां की शादी का जिक्र किए बिना हंसी मजाक में कहा था कि कुंभ जैसा माहौल देखना है, तो आप 6 तारीख को रायपुर आइएगा। विधायक का दावा सही निकला।
बृजमोहन अपार संपर्कों के लिए जाने जाते हैं। यहां विवाह समारोह में शामिल होने दिल्ली-भोपाल के 50 से अधिक पत्रकार भी पहुंचे थे। जम्मू कश्मीर और झारखंड के राज्यपाल के अलावा मध्य प्रदेश के सीएम व वहां के मंत्रियों समेत पार्टी के कई राष्ट्रीय नेता भी शामिल हुए। छत्तीसगढ़ के तकरीबन सभी विधायक, सीएम भूपेश बघेल, अपने पूरे कैबिनेट के साथ समारोह में थे।
विवाह समारोह स्थल में पांच गेट बनाए गए थे। और सभी जगहों पर आम से लेकर वीआईपी लोगों के लिए एक ही तरह के खाने-पीने का इंतजाम किया गया था। बृजमोहन लोगों से मिलते रहे, और खाकर जाने का ही आग्रह करते रहे। इस व्यवस्था में न सिर्फ वो बल्कि उनका पूरा स्टाफ लगा रहा। कुल मिलाकर विवाह समारोह एक तरह से यादगार रहा।
2023 में महूरत नहीं
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सबसे चर्चित और सबसे बड़े ढांचे, स्काई वॉक की जांच अभी कुछ दिन पहले ही शासन ने एसीबी-ईओडब्ल्यू को दी है जिसने प्रारंभिक जांच शुरू की है। यह पूरा मामला टेंडर की औपचारिकताओं का बताया जा रहा है, और कांगे्रस सरकार आने के चार बरस बाद यह जांच शुरू हो रही है। यह एक अलग बात है कि स्काई वॉक के खिलाफ कांगे्रस पार्टी चुनाव के पहले से बोलती आई है, और ऐसा लग रहा था कि कांगे्रस सरकार बनने पर इसे तोडक़र हटा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपना पहला साल पूरा होने पर संपादकों के साथ चाय-पार्टी में एक सवाल के जवाब में यह कहा भी था कि स्काई वॉक न रहने पर जीई रोड़ के ऊपर शहर के आरपार एक मिनी मैट्रो चलाई जा सकती है, और एक कंपनी ने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई है। उस वक्त उन्होंने यह साफ किया था कि स्काई वॉक रहते हुए मिनी मैट्रो की योजना नहीं बन सकती। उन्होंने यह भी कहा था कि महापौर एजाज ढेबर ऐसी किसी कंपनी को लेकर आए थे जो मिनी मैट्रो अपने खर्च से बनाकर चलाने का प्रस्ताव लाई थी। मुख्यमंत्री ने उस समय यह भी कहा था कि महापौर ऐसी कंपनी को लेकर आए, इसलिए उनके परिवार पर इनकमटैक्स का छापा मारा गया।
अब एसीबी-ईओडब्ल्यू के मौजूदा मुखिया डीएम अवस्थी का कार्यकाल बस कुछ महीने ही बचा है। ऐसे में उनके रहते यह जांच पूरी होने की उम्मीद कम ही है। और हो सकता है कि कुछ महीने बाद के विधानसभा चुनाव तक भी यह जांच किसी किनारे न पहुंच सके, और अगर पूरी हो भी जाए तो वह चुनावी मुद्दे की तरह देखी जाएगी। कुल मिलाकर मतलब यह है कि स्काई वॉक पूरे पांच बरस इसी तरह खड़े रहा, न पूरा हुआ, न हटा। अब इसका कोई भी भविष्य 2024 में ही अगली सरकार के हाथों तय होना दिखता है।
गरीबी भुखमरी के साथ मजाक
इस समय शादियों का सीजन चल रहा है। कई लोग रिसेप्शन में ज्यादा से ज्यादा व्यंजन सजाकर अपना रुतबा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की कोशिश करते हैं। अनेक लोग ऐसे भी होते हैं जो हैसियत से ज्यादा दिखावा शादियों में करते हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा स्वरूचि भोज में निकल जाता है।
ऑक्सफैम की सन् 2021 की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में हर मिनट 11 लोगों की भूख से मौत हो जाती है। अक्टूबर 2022 में आई ग्लोबल हंगर रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 121 देशों में 107 पर रखी गई थी। केंद्र सरकार ने हालांकि इसका तत्काल इसका प्रतिवाद किया और इसे जमीनी सच्चाई से अलग बताया। पर यह सच तो सबके सामने है कि देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देना पड़ रहा है।
इधर दिखावे का चलन ना केवल खुशी की दावतों में बल्कि मृत्यु-भोज मैं भी दिखाई देने लगा है। पंगत बिठाकर खिलाने की परंपरा बंद कर तरह-तरह के व्यंजनों से सजे बफेट के स्टॉल शादी समारोह जैसे दिखाई देते हैं। कुछ जातियों और सामाजिक संगठनों ने विवाह और मृत्यु संस्कार के भोज में पाबंदियां हाल के वर्षों में लगाई हैं, पर बहुत कम इसका असर हुआ है। ऊपर की तस्वीर आईएएस अवनीश शरण ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर शेयर की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि ऐसे लोगों को पार्टियों में घुसने पर बैन लगा देना चाहिए।
सही नीयत से डाली गलत पोस्ट
हाथियों का झुंड खरसिया से होते हुए जांजगीर-चांपा जिले के जंगलों से गुजरा और फिर वह अब बिलासपुर वन मंडल में नीलागर नदी के किनारे सीपत इलाके में डेरा डालकर रखा है। बिलासपुर से इसकी दूरी करीब 30 किलोमीटर है। हाथियों का इन इलाकों में पहली बार विचरण हो रहा है, इसलिए कुछ गांवों में भारी दहशत है। इस बीच युवा और बच्चे शरारत करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। जांजगीर के पास जंगल में सेल्फी लेने की कोशिश कर रहे ऐसे ही एक युवक को एक हाथी ने अपने पैरों से रौंदा है। गंभीर हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें हाथियों का दल सडक़ पार कर रहा है और दोनों तरफ युवाओं और बच्चों का हुजूम उन्हें उकसा रहा है। उनके शोरगुल और छेड़छाड़ से परेशान होकर कतार में सबसे पीछे चल रहा हाथी भडक़ जाता है। भीड़ की तरफ वह घूम जाता है और एक युवक को पटक देता है। इसे जांजगीर का वीडियो बनाकर पोस्ट किया गया है। इसे सैकड़ों लाइक्स भी मिल चुके हैं। पड़ताल करने से मालूम होता है कि यह वीडियो यहां का है ही नहीं। वीडियो असम की है और घटना दिसंबर 2021 की। सोशल मीडिया में वीडियो के बारे में जगह की जानकारी गलत जरूर दी जा रही है, पर चाहें तो अपने आसपास की घटना समझ लें। सेल्फी लेने और नजदीक से देखने की चक्कर में अब तक छत्तीसगढ़ में भी कई लोग हताहत हो चुके हैं।