विचार / लेख

अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे
02-Mar-2023 4:00 PM
अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे

अरुण माहेश्वरी
अडानी मामले को दबाना अब मोदी के लिए संभव नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आज अडानी मामले की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अभय मनोहर सपरे की अध्यक्षता में पाँच सदस्यों की एक कमेटी के गठन का महत्वपूर्ण फ़ैसला लिया है । इस कमेटी के अन्य सदस्यों के नाम हैं -

1. श्री ओपी भट्ट- भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष। वर्तमान में, तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी), टाटा स्टील लिमिटेड और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक।

2. न्यायमूर्ति जेपी देवधर- बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के पूर्व पीठासीन अधिकारी।

3. श्री के.वी. कामत- ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रमुख और इन्फोसिस लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष।

4. श्री नंदन नीलेकणि- इन्फोसिस के सह-संस्थापक, यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष।

समिति को जिन विषयों पर काम करने के लिए कहा गया है, वह इस प्रकार होगा-

1. उन कारकों और स्थितियों का एक समग्र मूल्यांकन प्रदान करें जिनके कारण अभी प्रतिभूति बाजार में अस्थिरता आई है।

2. निवेशक जागरूकता बढ़ाने के उपायों का सुझाव दें । 

3. इस बात की जाँच करें कि अडानी समूह या अन्य कंपनियों के द्वारा प्रतिभूति बाजार से संबंधित कानून के कथित उल्लंघन से निपटने के लिए नियामक ढांचा था या नहीं ।

4. निवेशकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा वैधानिक ढांचे और नियामक ढांचे को मजबूत करने और मौजूदा ढांचे में शिकायतों पर अमल के उपाय सुझाएँ । 

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के अध्यक्ष से इस समिति को सभी जानकारी प्रदान करने का अनुरोध किया है। केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों को भी इस कमेटी से सहयोग के लिए कहा गया है। कमेटी अन्य विशेषज्ञों का सहारा लेने के लिए भी स्वतंत्र है। कमेटी के सदस्यों का मानदेय अध्यक्ष तय करेंगे और केंद्र सरकार उसका खर्च वहन करेगी। सचिव, वित्त मंत्रालय, एक वरिष्ठ अधिकारी को कमेटी के लिए सामग्री जुटाने के लिए एक नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए नामित करेगा। कमेटी के कार्य में होने वाला समस्त व्यय केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।

कमेटी को दो महीने में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय को सौंपने के लिए कहा गया है। 

न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कमेटी का गठन अन्य नियामक एजेंसियों के कामों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा। इसके साथ ही, न्यायालय ने सेबी को भी दो महीने की अवधि के भीतर अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपनी जांच पूरी करने और अदालत के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है ।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news