विचार / लेख

ध्रुव गुप्त
आज आधुनिक युग के महानतम वैज्ञानिक और ब्रह्मांड के कई रहस्यों को सुलझाने वाले खगोल विशेषज्ञ स्टीफन हॉकिंग की पुण्यतिथि है। हॉकिंग की वैज्ञानिक स्थापनाएं समझने लायक बुद्धि मुझमें नहीं है, लेकिन जब भी उनका नाम आता है उनकी एक भविष्यवाणी मुझे बेचैन कर देती है। उनका मानना था कि पृथ्वी पर हम मनुष्यों के दिन अब पूरे हो चले हैं। हम यहां दस लाख साल बिता चुके हैं। पृथ्वी की उम्र अब महज़ दो सौ से पांच सौ साल ही बच रही है। इसके बाद या तो कहीं से कोई धूमकेतु आकर इससे टकराएगा या सूरज का ताप इसे निगल जाने वाला है। हाकिंग के अनुसार मनुष्य को अगर एक और दस लाख साल जीवित बचे रहना है तो उसे पृथ्वी को छोडक़र किसी दूसरे ग्रह पर शरण लेनी होगी। यह ग्रह कौन सा होगा, इसकी तलाश अभी बाकी है। इस तलाश की रफ़्तार भी बहुत धीमी है। पृथ्वी का मौसम, तापमान और यहां जीवन की परिस्थितियां जिस तेज रफ़्तार से बदल रही हैं, उन्हें देखते हुए उनकी इस भविष्यवाणी पर भरोसा न करने की कोई वजह नहीं दिखती। भरोसा मुझे इस बात का भी है कि हाकिंग मरे नहीं, बस अपनी जर्जर और असहाय देह यहीं छोडक़र सितारों की दुनिया में कहीं दूर निकल गए हैं। शायद आकाशगंगा में हम पृथ्वीवासियों के लिए एक सुरक्षित ग्रह की तलाश में !
श्रद्धांजलि, सितारों में हाकिंग !
आज आधुनिक युग के महानतम वैज्ञानिक और ब्रह्मांड के कई रहस्यों को सुलझाने वाले खगोल विशेषज्ञ स्टीफन हॉकिंग की पुण्यतिथि है। हाकिंग की वैज्ञानिक स्थापनाएं समझने लायक बुद्धि मुझमें नहीं है, लेकिन जब भी उनका नाम आता है उनकी एक भविष्यवाणी मुझे बेचैन कर देती है। उनका मानना था कि पृथ्वी पर हम मनुष्यों के दिन अब पूरे हो चले हैं। हम यहां दस लाख साल बिता चुके हैं।
पृथ्वी की उम्र अब महज़ दो सौ से पांच सौ साल ही बच रही है। इसके बाद या तो कहीं से कोई धूमकेतु आकर इससे टकराएगा या सूरज का ताप इसे निगल जाने वाला है। हाकिंग के अनुसार मनुष्य को अगर एक और दस लाख साल जीवित बचे रहना है तो उसे पृथ्वी को छोडक़र किसी दूसरे ग्रह पर शरण लेनी होगी। यह ग्रह कौन सा होगा, इसकी तलाश अभी बाकी है। इस तलाश की रफ़्तार भी बहुत धीमी है। पृथ्वी का मौसम, तापमान और यहां जीवन की परिस्थितियां जिस तेज रफ़्तार से बदल रही हैं, उन्हें देखते हुए उनकी इस भविष्यवाणी पर भरोसा न करने की कोई वजह नहीं दिखती। भरोसा मुझे इस बात का भी है कि हाकिंग मरे नहीं, बस अपनी जर्जर और असहाय देह यहीं छोडक़र सितारों की दुनिया में कहीं दूर निकल गए हैं। शायद आकाशगंगा में हम पृथ्वीवासियों के लिए एक सुरक्षित ग्रह की तलाश में !
श्रद्धांजलि, स्टीफन हॉकिंग सर !